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भूमि 3. गाय का दूध 4. धनुष की डोरी 5. रंगीन बनाने की सामग्री, पीला रंग, -- व्या 1. गौओं की हेड 2. दो कोस के बराबर दूरी 3. धनुष की डोरी 4. रंग देने की सामग्री, पीला रंग । गव्यूतम्, -ति: ( स्त्री० ) [ गो: यूतिः पृषो० ] 1. एक कोस यादो मील की दूरी की माप 2. दो कोस के बराबर दूरी का माप ।
गह, (चुरा० उभ०- -- गहयति - ते ) 1. ( जंगल की भांति ) संघन या सांद्र होना 2. गहराई तक पहुँचना । गम ( वि० ) [गह + ल्युट् ] 1. गहरा, सघन, सांद्र 2. अभेध, अप्रवेश्य, अलंघ्य, दुर्गम 3. दुर्बोध, अव्याख्येय, रहस्यपूर्ण - सेवाधर्मः परमगहनो योगिनामप्यगम्य: -- पंच० १।२८५, भर्तृ० २।५८, गहना कर्मणो गतिः- भग० ४।१७, शा० १३८ 4. कठोर, कठिन पीडाकर, कष्टकर - गहनः संसारः - - शा० ३।१५ 5. गहरा किया हुआ, तीव्र किया हुआ मा० १1३०, - नम् 1. गह्वर, गहराई 2. जंगल, झाड़ी या झुरमुट, घोर या अप्रवेश्य जंगल - - यदनुगमनाय निशि गहनमपि शीलितम् - गीत० ७, भामि० १।२५ ३. छिपने का स्थान 4. गुफा 5. पीडा, दुःख ।
गह्वर ( वि० ) ( स्त्री० - रा - री) [गह, + वरच् ] गहरा, दुस्तर, — रम् 1. रसातल, अथाह खाई 2. झाड़ी या झुरमुट, जंगल 3. गुफा, कन्दरा गौरीगुरोर्गह्वरमा विवेश - रघु० २।२६, ४६, ऋतु० १२१ 4. दुर्गम स्थान 5. छिपने की जगह 6. पहेली 7. पाखंड 8. रोना, चिल्लाना, – रः लतामण्डप, निकुंज, री 1. गुफा, कंदरा, खोह । [+ डा ] गाना, लोक ।
गाङ्ग (वि०) (स्त्री०--- -गी) [ गङ्गा + अण् ] गंगा में या गंगा पर होने वाला 2. गंगा से प्राप्त या गंगा से आया हुआ---गाङ्गमम्बु सितमम्बु यामुनं कज्जलाभमुभयत्र मज्जतः - काव्य ० १०, कु० ५/३७, ग: 1. भीष्म का विशेषण 2. कार्तिकेय की उपाधि, गम् 1. विशेष प्रकार का वर्षा का जल (जो स्वर्गीय गंगा से आने वाला माना जाता है) 2. सोना । गाङ्गट:, - टेयः [ गाङ्ग + अट् - अच्, शक० पररूप, पृषो० ] झींगा मछली, या जलवृश्चिक ।
गाङ्गानि [गङ्गा + फि ] भीष्म या कार्तिकेय का नाम । गाङ्गेय ( वि० ) ( स्त्रिी० - यी ) [ गङ्गा + ढक् ] गंगा पर या गंगा में होने वाला - यः भीष्म या कार्तिकेय का नाम - यम् सोना ।
गाजरम् [ गाजं मदं राति, गाज + रा+क ] गाजर | गाञ्जिकाय: - बत्तख । गाढ (भू० क० कृ० ) [ गाह् + क्त ] 1. डुबकी लगाया हुआ, गोता लगाया हुआ, स्नान किया हुआ, गहरा
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घुसा हुआ 2 बार २ डुबकी लगाया हुआ, आश्रित, संघन या घना बसा हुआ - तपस्विगाढां तमसां प्राप नदीं तुरंगमेण -- रघु० ९।७२ 3. अत्यंत दबाया हुआ, कस कर खींचा हुआ, पक्का, मंदा हुआ, कसा हुआ - गाढाङ्गदे बहुभिः -- रषु० १६/६०, गाढालिङ्गन -अमरु ३६, घुट कर छाती से लगाना - चौर० ६ 4. सघन, सांद्र 5. गहरा, दुस्तर 6. बलवान्, प्रचण्ड, अत्यधिक तीव्र - गाढोत्कण्ठाललितलुलितै रङ्गकंस्ताम्यतीति मा० ११५, मेघ० ८३, प्राप्तगाढप्रकम्पाम् -श्रृंगार० १२, अमर ७२, गाढतप्तेन तप्तम्- मेघ ० १०२, -ढम् ( अव्य० ) ध्यानपूर्वक, जोर से, अस्यधिकता के साथ, भरपूर, प्रचण्डता से, बलपूर्वक । सम० - मुष्टि (वि०) बन्द मुट्ठी वाला, लोलुप, कंजूस, (ष्टिः) तलवार |
गाणपत (वि०) (स्त्री० - - ती ) गणपति- अणु 1 1. किसी दल के नेता से संबंध रखने वाला 2. गणेश से संबंध रखने वाला ।
गाणपत्यः [ गणपति + यक् ] गणेश की पूजा करने वाला,
- श्यम् 1. गणेश की पूजा 2. किसी दल का नेतृत्व, चौघरात, नेतृत्व ।
गाणिक्यम् [गणिकानां समूहः- या ] रंडियों का समूह । गाणेश: [ गणेश + अण् ] गणेश की पूजा करने वाला । गाण्डि (डी) वः, बम् [गाण्डिरस्त्यस्य संज्ञायां व पूर्वपद
दीर्घो विकल्पेन ] अर्जुन का बाण ( यह बाण सोम ने वरुण को दिया, वरुण ने अग्नि को और अग्नि ने अर्जन को, जबकि खांडव वन को जलाने में उसने अग्नि की सहायता की) गाण्डिवं स्रंसते हस्तात् - भग० १।२९ 2. धनुष । सम० - धम्बन् (पुं०) अर्जुन का विशेषण – मेघ० ४८ ।
गाण्डीविन् (पुं० ) [ गाण्डीव + इनि ] अर्जुन का विशेषण, तृतीय पांडव राजकुमार - वेणी० ४ ।
गातागतिक ( वि०) (स्त्री० की) [ गतागत + ठक् ] जाने आने के कारण उत्पन्न ।
गातानुगतिक ( वि० ) ( स्त्री० की ) [ गतानुगत + ठक् ] अंधानुकरण से अथवा पुरानी लकीर का फकीर बनने से उत्पन्न ।
गातुः [गै+तुन् ] 1. गीत 2. गाने वाला 3. गंधर्व 4. कोयल 5. भौंरा ।
गात (पुं० ) ( स्त्री० – त्री ) 1. गवैया 2. गंधर्व । गात्रम् [गै + त्रन्, गातुरिदं वा, अण् ] 1. शरीर, अपचित
मपि गात्रं व्यायतत्वादलक्ष्यं श० २४, तपति तनुगात्रि मदनः – ३।१७ 2. शरीर का अंग या अवयव - गुरुपरितापानि न ते गात्राण्युपचारमर्हन्ति श० ३११८, मनु० ३।२०९, ५।१०९ 3. हाथी के अगले पैर का ऊपरी भाग । सम० -- अनुलेपनी
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