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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३२६ ) सातकः [खात+कन्] 1. खोदने वाला 2. कर्जदार,-कम् । -हि०२।१४१, पराभूत-शा०३।७, भट्टि०१४।१०८, खाई, परिखा। १७।१० 2. डरना, त्रस्त करना, (प्रेर०)। परि-- खाता [खात+टाप् बनाया हुआ तालाब । पीडित होना, कष्ट सहना, दुःखी या क्लांत होना । खातिः (स्त्री०) [खन्+क्तिन्] खुदाई, खोखला करना। खिदिरः [खिद् + किरच ] 1. संन्यासी, 2. दरिद्र 3. चन्द्रमा। खात्रम् [खन्+ष्ट्रन्, कित् .] 1. कुदाली 2. आयताकार खिन्न (भू० क० कृ०) [खिद्+क्त ] 1. अवसाद प्राप्त, तालाब 3. धागा 4. वन, जंगल 5. विस्मयोत्पादक कष्ट ग्रस्त, उदास, दुःखी, पीडित-गुरुः खेदं खिन्ने भय । मयि भजति नाद्यापि कुरुष-वेणी० ११११, अनङ्गबाणखाद् (भ्वा० पर०- खादति, खादित) खाना निगल लेना, व्रणखिन्नमानस:-- गीत०३ 2. क्लान्त, थका हुआ, खिलाना, शिकार करना, काट लेना-प्राकपादयोः श्रान्त- खिन्नः खिन्न: शिखरिषु पदं न्यस्य गन्तासि पतति खादति पृष्ठमांसम्-हि० ११८१, खादन्मांसं न यत्र-मेघ० १३, ३८, तयोपचारांजलिखिन्नहस्तया दुष्यति- मनु० ५।३२, ५३, भट्टि०६।६, २१७८, -रघु० ३।११, चौर० ३।२०, शि० ९।११। १४१८७, १०१, १५।३५ । खिलः,----लम् [खिल+क] 1. ऊसर भूमि या परती जमीन खादक (वि.) (स्त्री०- विका) [खाद+ण्वुल] खाने वाला का टुकड़ा, मरुभूमि, वृक्षहीन भूमि 2. अतिरिक्त सूक्त उपभोग करने वाला,—क: कर्जदार । जो किसी मलसंग्रह में जोड़ा गया हो---मनु० ३।२३२ खादनः खाद्+ल्युट] दांत,-नम् 1. खाना, चबाना 3. सम्पूरक 4. संग्रहग्रंथ या संकलित ग्रंथ 5. खोखला2. भोजन । पन, शन्यता ('खिल' का प्रयोग भ या कृ के साथ भी खाविर (वि.)(स्त्री०--री) [खादिर+अञ] खैर वृक्ष होता है--खिलीभू अगम्य होना, बन्द होना, अनभ्यस्त का, या खैर वृक्ष की लकड़ी का बना हुआ-खादिरं रहना ---खिलीभते विमानानां तदापातभयात्पथि...-कु० यूपं कुर्वीत--- मनु० २।४५ । २१४५, खिलीकृ (क) रोकना, बाधा डालना, अगम्य खावुक (वि.) (स्त्री०-को) [खाद्+उन्+कन्] उत्पाती, बनाना, रोकना-रघु० ११।१४, ८७ (ख) परती हानिकर द्वेषपूर्ण। छोड़ना, उजाड़ना, पूर्णतः नष्ट कर देना....विपक्षमखिखाद्यम् [खाद्+ण्यत् भोजन, भोज्य पदार्थ । लीकृत्य प्रतिष्ठा खलु दुर्लभा-शि० २१३४ । खानम् खिन् + ल्युट] 1. खुदाई 2. क्षति । सम०---उदक: । खुङ्गाहः [खुम् इत्यव्यक्तशब्दं कृत्वा गाहते - खुम्+गाह नारियल का पेड़। +अच् ] काला टट्ट या घोड़ा। खानक (वि.) (स्त्री०-निका) [खन् ।- ण्वल ] खोदने | खुरः [खुर+क] 1. सुम– रघु० ११८५, २।२, मनु० वाला, खनिक। ४१६७ 2. एक प्रकार का सुगंध द्रव्य 3. उस्तरा खानिः (स्त्री०) खनिरेव पृषो० वृद्धिः] खान । 4. खाट का पाया। सम०---आघातः,-क्षेप: लात खानिक:-कम् [खान+ठन ] दीवार में किया हुआ छेद, मारना,---णस्,--णस (वि०) चिपटी नाक वाला, दरार, तरेड़। --पदवी घोड़े के पदचिह्न,---प्र: अर्धगोलाकार नोक सानिल: [खान+इलच बा० घर में सेंध लगाने वाला। का बाण-दे० क्षुरप्र। खारः,-रिः, (स्त्री०---री) [खम् आकाशम् आधिक्येन । खरली [खुरैः सह लाति पौन: पुन्येन पत्र-खुर+ला-+क ऋच्छति-ख-+ +अण, ख+आ+रा+क+ङीष् +ङीष् ] (शस्त्र तथा धनुष आदि का) सैनिक अभ्यास वा ह्रस्वः ] १६ द्रोण के बराबर अनाज का माप। । - अस्त्रप्रयोगखुरलीकलहे गणानाम्---महावी० २१३४, खारिपच (वि०) [खारिम्+पच्+खश् ] एक खारी-भर दूरोत्पतनखुरलीकेलिजनितान्---५।५ । अनाज पकाने वाला। खुरालकः [खुर इव अलति पर्याप्नोति---खुर : अल+ण्वुल्] खार्वा (स्त्री०) त्रेतायुग, दूसरा युग। लोहे का बाण । खिकरः (स्त्रो०-री) [ खिम् इति शब्द किरति-खिम्+ खरालिकः [ खुराणाम् आलिभिः कायति प्रकागते. खुरालि +क पृषो०] 1. लोमड़ी 2. खाट या चारपाई का +के+क.] 1 उस्तरा रखने का घर 2. लोहे का पाया। तीर 3. तकिया। सिदi (भ्वा०, तुदा० पर०-खिन्दति, खिन्न) प्रहार करना, खुल्ल (वि.) [--क्षुल्ल, पृषो०] छोटा, ओछा, अधम, खींचना, कष्ट देना । (दिवा० रुधा०, आ०--खिद्यते, नीच-दे० क्षुद्र । सम० तात: चाचा । खिन्ते, खिन्न) 1. पीडित होना, कष्ट सहना, कष्टग्रस्त खेचर दे० 'खचर'। होना, क्लान्त होना, थकान अनुभव करना, अवसाद या खट: [खे अटति ---अद+अच, खिच-+-अच् वा ] 1. गाँव, श्रान्ति अनुभव करना-श० ५।७, किं नाम मयि छोटा नगर, पुरखा 2. कफ 3. बलराम की गदा खिचते गुरु:-बेणी० १, स पुरुषो य: खिद्यते नेन्द्रियः। 4. घोड़ा (वि० समासान्त 'खेट' सदोषता तथा ह्रास For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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