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कौल (वि०) (स्त्री० ली ) [ कुल + अण् ] 1. परिवार से संबंध रखने वाली, पैतृक, आनुवंशिक 2. अच्छे घराने का, सुजात, लः वाममार्गी सिद्धांतों के अनुसार 'शक्ति' की पूजा करने वाला, लम् वाममार्गी शाक्तों के सिद्धान्त और व्यवहार ।
कौलकेयः [ कुल + ढक्, कुक् ] व्यभिचारिणी स्त्री का पुत्र, हरामी, वर्णसंकर ।
फौल टिप: [ कुलटा +ढक्, इनङादेशः ] 1. सती भिखारिणी का पुत्र 2. वर्णसंकर ।
कौलिक ( वि०) (स्त्री० की ) [ कुल + ठक् ] 1. किसी वंश से संबंध रखने वाला 2. कुल में प्रचलित, पैतृक, वंशपरंपरागत,—कः 1. जुलाहा - कौलिको विष्णुरूपेण राजकन्यां निषेवते - पंच० १।२०२ 2 विधर्मी 3. वाममार्गी, शाक्त सिद्धान्तों का अनुयायी । कौलीन ( वि० ) [ कुल + खञ ] खदानी, कुलीन, नः 1. भिखारिणी स्त्री का पुत्र 2. वाममार्गी शाक्त सिद्धांतों का अनुयायी, -नम् लोकापवाद, कुत्सा - मालविकागतं किमपि कौलीनं श्रूयते - मालवि० ३, तदेव कोलीनमिव प्रतिभाति - विक्रम० २, मेघ० ११२, कौलीनमात्माश्रयमाचचक्षे --- रघु० १४/३६, ८४ 2. अनुचित कर्म, दुराचरण - रुपाते तस्मिन् वितमसि कुले जन्म कोलीनमेतत्-वेणी० २।१० 3. पशुओं की लड़ाई 4. मुर्गों की लड़ाई 5. संग्राम, युद्ध 6. उच्च कुल में जन्म 7. गुप्तांग, योनि ।
कौलीम्यम् [ कुलीन + ष्यञ ] 1. कुलीनता 2. वंश की कुत्सा ।
कोत: [ कुलूत + अण् ] कुलूतों का राजा - कौलूतश्चित्रवर्मा - मुद्रा० १२० ।
कौलेयकः [ कुल + ढका ] कुता, शिकारी कुत्ता । कौल्प (वि० ) [ कुल + ष्यञ ] उच्च कुल में उत्पन्न, खान्दानी |
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कौबे (वे) र (वि०) (स्त्री० री) [कुबे (वे) र + अण] कुबेर से संबंध रखने वाला, कुबेर के पास से आने वाला --- यानं सस्मार कौबेरम्-- रघु० १५/४५, री उत्तर दिशा - ततः प्रतस्थे कौबेरीं भास्वानिव रघुर्दिशम् — रघु० ४ । ६६ । कौश ( वि० ) ( स्त्री०
शी ) [ कुश = अण् ] 1. रेशमी 2. कुश घास का बना हुआ । कौशलम् (ल्यम् ) [ कुशल + अण्, ष्यञ वा ] 1. कुशलक्षेम, प्रसन्नता, समृद्धि 2. कुशलता, दक्षता, चतुराई - किमकौशलादुतप्रयोजनापेक्षितया – मुद्रा० ३, हावहारि हसितं वचनानां कौशलं दृशि विकारविशेषाः - शि० १० । १३ ।
कौशलिकम् [ कुशल + ठक् ] घूस, रिश्वत । कौशलिका, कौशली [ कौशलिक+टाप्, कुशल + अण् +
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ङीप् ] 1. उपहार, चढ़ावा 2. कुशल प्रश्न पूछना, अभिवादन ।
कौशलेयः [ कौशल्या + ढक्, यलोपः ] राम का विशेषण, कौशल्या का पुत्र ।
कौशल्या [ कोशलदेशे भवा-छय ] दशरथ की ज्येष्ठ पत्नी तथा राम की माता ।
कौशल्यायनिः [ कौशल्या + फिञ्ञ ] कौशल्या का पुत्र राम, भट्टि० ७/९० ।
कौशाम्बी [ कुशाम्ब + अणु + ङीप् ] गंगा के किनारे स्थित एक प्राचीन नगर (जिसे कुश के पुत्र कुशांब ने बसाया था - यह नगर ही वत्स देश की राजधानी थी ) । कौशिक (वि०) (स्त्री० की ) [ कुशिक + अण् ] 1. डब्बे में बन्द, म्यान में रक्खा हुआ 2. रेशमी - कः 1. विश्वामित्र का विशेषण 2. उल्ल - उत्तर० २।२९३. कोशकार 4. गूदा 5. गुग्गुल 6. नेवला 7. सपेरा 8. श्रृंगार रस 9. जो गुप्तधन को जानता है 10 इन्द्र का विशेषण, - का प्याला, पानपात्र, की 1. बिहार प्रदेश में बहने वाली एक नदी का नाम 2. दुर्गादेवी का नाम 3. चार प्रकार की नाट्यशैलियों में एक सुकुमारार्थसंदर्भा कौशिकी तासु कथ्यते - दे०, सा० द०, ४११, तथा आगे पीछे । सम० अरातिः, अरिः कौवा, फल: नारियल का वृक्ष, प्रियः राम का विशेषण | (षे ) यम् कोशस्य विकार:-- ढञ्ञ ] 1. रेशम - पंच० १।९४ 2. रेशमी कपड़ा मनु० ५।१२० 3. रेशम का बना स्त्री का पेटी कोट निर्नाभि कौशेयमुपाशबाणमभ्यङ्गनेपथ्यमलञ्चकार - कु० ७१९, विद्युद्गुण कौशेय :- मृच्छ०५३, ऋतु०५९ । कौसीद्यम् [ कुसीद + ष्यञ ] 1. व्याज लेने का व्यवसाय 2. आलस्य, अकर्मण्यता ।
कौशे
कौसूतिकः [ कुसृति + ठक् ] 1. ठग, बदमाश 2. बाजीगर । कौस्तुभः [ कुस्तुभो जलधिस्तत्र भवः - अण् ] एक विख्यात
रत्न जो समुद्रमन्थन के फलस्वरूप १३ अन्य रत्नों के साथ समुद्र से प्राप्त हुआ तथा जिसको विष्णु ने अपने वक्षस्थल पर धारण किया हुआ है-सकौस्तुभं ह्रेपयतीव कृष्णम् - रघु० ६०४९, १०/१० । सम० -- लक्षण: - वक्षस् (पुं० ) - हृदयः विष्णु के विशेषण | क्रूय् [ स्वा० आ० क्रूयते) 1. चूं चूं शब्द करना 2. डूबना 3. गीला होना ।
क्रकचः [ ऋ इति कचति शब्दायते क्र + कच् + अच् ] आरा। सम० उछदः केतक वृक्ष, पत्रः सागौन वृक्ष, --पाव (पुं० ) - पादः छिपकली ।
क्रकरः [* इति शब्दं कर्तुं शीलमस्य क्र + कृ + अच् ] 1. एक
प्रकार का तीतर 2. बारा 3. निर्धन व्यक्ति 4. रोग । ऋतु: [ कृ + कतु] 1. यज्ञ - तोरशेषेण फलेन युज्यताम्
- रघु० ३।६५, शतं ऋतूनामपविघ्नमाप सः - ३०३८,
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