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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३०२ ) सम-प्रहः अवरोही शिरोविन्दु (जहाँ ग्रहमार्ग व | प्रिज,....सखः परिहाम, क्रीडा, मनोरंजन,--वक्षः कदंबरविमार्ग एक दूसरे को बटन है।-मःयाल, यष्टिः बक्ष का जाति, --- शयनम् विलाशय्या, सुवाया, कोच (स्त्री०) ध्वज का दंड ५० १२११०३, रत्नम् --लिपनाबातम् गीत० ११,-- शुषिः (म्बी०) नीलम, वैदूर्य, -- वसनम् ध्वजा, पताका । पृथ्वी, . सचिवः आमादप्रिय सखा, विश्रब्ध मित्र । केदारः [ के शिसि दारो.स्य- व. स.] 1. पानी भगति के-ि--कन् | अशोक वृक्ष । हुआ खेत, चरागाह 2. थांबला, आलवाल 3. पहाड़ । औली कलि-डी 1. जल, क्रीड़ा 2. आमोद-कीडा । मम० 4. केदार नामक पहाड़ जो हिमालय का एक भाग है जिका माननादार्थ रक्ली हाई कोयल,-वनी प्रमोद5. शिव का नाम। सम० ख मिट्टी का बना काका, वालिकानन, कीडोद्यान,--शुकः मनोरंजनार्थ एक छोटा सा बांध जो पानी को रोके, नाथः शिव पाला दुआ जोता।। का विशेष रूप। क्षेवल (4) कंद सेवने पाकल ] 1. विशिष्ट, एकाकेनारः [ के मनि नारः-- अल० स०] 1. सिर 2. खोपड़ी। ति::, अगाधारण 2. अकेला, मात्र, एकल, एकमात्र, 3. गाल 4. जोड़। इकादुक्का सहितस्य न केवला थियं प्रतिगेदे सककेनिपातः [ के जले निपात्यतेऽमी--- के नि-+ +णि । लान् गुपानपि-- रधु०८।५, न केवलानां पयसां प्रमूति+अच् ] पतवार, डांड, चप्पू ।। मवेहि मां कामदुधां प्रमन्नाम् २।६३, १५।१, कु. केन्द्रम् (नपु०) 1. वृत्त का मध्य बिंदु 2. वृत्त का प्रमाण २।३४ 3. पूर्ण, समस्त, परम, पूरा 4. नग्न, अनावत 3. जन्मकुंडली में लग्न से पहला, चौथा, सातवां और (भूमि आदि) कु० ५.१२ 5. बालिस, सरल, अमिदसवां स्थान । श्रित, विमल-कातर्य केवला नीति: -रघ० १७४४७, केयूरः,---रम् [ के बाहौ शिरसि वा याति, या+कर किच्च, - लम् (अव्य०) केवल, सिर्फ, एकमात्र, पूर्ण रूप से, अल० स०, तारा०] टाड, बिजायठ, बाजूबंध . केयरान नितान्त, सर्वथा--केवलमिदमेव पच्छामि-का० १५५, विभूषयन्ति पुरुष हारा न चन्द्रोज्ज्वला:-भतं० २१९, न केवला - अपि न सिर्फ" बल्कि, म तस्य पिभोर्न रघु० ६।६८, कु० ७।६९, - रः एक रतिबंध । केवलं गुणवत्तापि परप्रयोजना --रघ० ८।३१, तु० केरलः (ब० ब०) दक्षिण भारत का एक देश (वर्तमान ३।१९, २०।३१। सम-आत्मन् (वि०) परम मलाबार) और उसके निवासी---- मा०६।१९, रघ० । एकता ही जिसका सार है कू० २।४,--नैयायिकः सिर्फ ४।५४,—ली (स्त्री० ) 1. केरल देश को स्त्री ताकित (जो ज्ञान को किमी और शाखा में प्रवीण न 2. ज्योतिर्विज्ञान । हो), इसो प्रकार वैयाकरण । केल (म्वा० पर०केलति, केलित) 1. हिलाना.खेलना, केवलतः (अव्य०) [ केवल-तमिल | केवल, निग, नवथा, खिलाड़ी होना, क्रीडा परायण या केलिप्रिय होना। निपट, मिर्फ। केलकः [ केल+वल ] नर्तक, कलाबाजी करने वाला नट । सलिन 19ी . मी केवल नि |1 अकेला केलासः [ केला विलासः सीदत्यस्मिन्- केला+सद् +ड: ] एकमात्र 2. आला की एकता के परम सिद्धान्न का स्फटिक। पक्षपाती। केलिः (पुं०--स्त्री०) [केल-इन् ] 1. खेल, क्रीडा क्षेशः विनायते क्लिानानि ना किला --अन, लालोपटच | 2. आमोद-प्रमोद, मनोविनोक-केलिचलन्मणिकुण्डल । 1. चाल ----विकीर्ण कगार परेन भूमिग कु० ५।६८ आदि-गोत० १, हनिरिह मुग्धवनिकरे विलासिनि 2. सिर के बाल-केगेपु गृहीला-या-केगमा यध्यन्ते बिलराति केलिपर-१०, राधामाधवयोजयंति यमनाकले । — मिासकेगा मा० १०.१, कंगव्यपरोपणारह के लयः-१०, अ. 3, मा० ८१३५३, ऋतु०४।१० वित्र ...२०५६, ८ 3. घोड़े या शेर की अबाल 3. परिहास, सन्द, हसीदिल्ली ,---लि: (स्त्रि०) । 4. प्रकाश को किरण 5. वसा का विशेषण एक पश्वी 1. --कला कीड़ा प्रिय कला विलासिता, । प्रकार का मृगन्ध व्य। मम ---अन्त: 1. बाल का शृंगाप्रिया मंधा 2. मस्पनी की वोगा,---किल: मिग 2. नीचे लटकने हा लम्बे वाल, वालों का गच्छा नाटक में नायक का विश्वस्त सहचर (एक प्रकार का 3. गण्डन संस्कार--मन. ६५,.--उच्चयः अधिक विपक),-किलारती रनि, कामदेव की पत्नी-कीर्णः था सुन्दर वाल, -कर्मन् (नपं०) (मिर के) बालों को ऊँट.-कृचिका पत्नी की छोटी बहन,---कुपित (वि०) संभालना, कलापः बालों का देर-कोट: जं, गर्भः खेल में रुष्ट-वेणी० ११२-कोषः नाटक का पात्र, . वालों की मींडी,- गहीत (दि०) वालों में पकड़ा हुआ, नानक, नवैया, गृहम, -निकेतनम् .. मन्दिरम् -- सद- -ग्रह:--प्रहणम् बालों को पकड़ना, बालों से पकड़ना मम आगोलभवन, निजी कमग, अमरु ८, --नागरः । केशग्रहः ग्बल नदा द्रुपदात्मजाया:-वेणी० ।।११,०१, काभासवत,---पर (दि०) क्रीडापर, बिलामी, आमोद मेघ० ५०, इसी प्रकार - यत्र रतेषु केगग्रहः-का० ८ For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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