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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३०१ ) करना, दोहराना, उच्चारण करना--नाम्नि कीर्तित | क्लुप्तिक (वि.) [क्लृप्त+ठन्] खरीदा हुआ, मोल लिय एव-रघु० १४८७, मनु०७।१६७, २११२४ 2. कहना, । हुआ। सस्वर पाठ करना, घोषणा करना, समाचार देना केकयः (ब० व०) एक देश और उसके निवासी- मगध--मनु० ३।३६, ९।४२ 3. नाम लेना, पुकार करना कोसलकेकयशासिनां दुहितर:--रघु० ९।१७ । 4. स्तुति करना, यशोगान करना, स्मरणार्थ उत्सव | केकर (वि.) (स्त्री०—री) के मूनि नेत्रतारां कर्तुं शीलमनाना-अपप्रथत् गुणान् भ्रातुरचिकीर्तच्च विक्रम ___ मस्य-कृ+अच् अलुक तारो०] भेंगी आंख वाला, -भट्टि० १५।७२, पंच० १।४।। -- रम् भेंगी आंख ; तु० आकेकर। सम० ...अक्ष क्लप (म्वा० आ०- कल्पते, क्लप्त) 1. योग्य होना, यथेष्ट (वि०) वक्रदृष्टि, भेंगी आंख वाला। होना, फलना, प्रकाशित करना, निष्पन्न करना, पैदा केका [ के+के+ड+टाप, अलुक स०] मोर की बोली करना, ठुलकना (संप्र० के साथ)-कल्पसे रक्षणाय-श० - केकाभिर्नीलकण्ठस्तिरयति वचनं ताण्डवादुच्छिखण्ड: ५।५, पश्चात्पुत्ररपहृतभरः कल्पते विश्रमाय-विक्रम -मा० ९१३०, षड्जसंवादिनी: केका:---रघु० ११३९, ३।१, विभावरी यद्यरुणाय कल्पते कु० ५।४४, ६।२९, | ७।६९, १३१२७, १६।६४, मेघ० २२, भर्त० ११३५ । ५।७९, मेघ० ५५, रघु० ५।१३, ८१४०, श०६।२३, केकावलः, केकिकः, केकिन् (पुं०) [केका+वलच, केका भट्टि० २२।२१ 2. सुप्रबद्ध तथा विनियमित होना, सफल +ठन्, केका---इनि ] मोर-इत: केकिक्रीडाकलकलहोना 3. होना, घटित होना, घटना--कल्पिष्यते हरेः रवः पक्ष्मलदशां-भर्तृ० १३७ । प्रीतिः-भट्टि० १६।१२, ९।४४, ४५ 4. तैयार होना, केणिका [ के मूनि कुत्सितः अणकः-टाप् ] तम्ब । सज्जित होना-चक्लपे चाश्वकुञ्जरम्-भट्टि० १४१८९| केतः [ कित् + घन ] 1. घर, आवास 2. रहना, बस्ती 5. अनकूल होना, किसी के काम आना, अनुसेवन 3. झंडा 4. इच्छा शक्ति, इरादा, चाह । करना 6. भाग लेना, (प्रेर०) 1. तैयार करना, क्रम केतकः [कित्+ण्वुल ] एक पौधा-प्रतिभान्त्यद्य वनानि से रखना, संवारना 2. निश्चित करना, स्थिर करना केतकानाम्-घट० १५ 2. झण्डा,-कम् केवड़े का फूल 3. बांटना 4. सामान जुटाना, उपस्कृत करना --केतकैः सूचिभिन्नैः---- मेघ० २४, २३, रघु० ६.१७, 5. विचार करना, अव-, फलना, झुकना, सम्पन्न १३.१६,-को एक पौधा-केवड़ा (=केतक)-हसितकरना (संप्र. के साथ) आ--(प्रेर०) अलंकृत मिव विधत्ते सूचिभिः केतकीनाम् --ऋतु० २।२३ करना, सजाना, उप--, 1. फलना, परिणाम निकालन, 2. केतकी का फूल-ऋतु० २, २०, २४ । (संप्र. के साथ) मनु० ३१२०२ 2. तैयार होना, केतनम् [ कित+ल्युट ] 1. घर, आवास-अकलितमहिमान: तत्पर होना-मनु० ३२०८, ८१३३३, परि-, केतनं मङ्गलानां मा० २१९, मम मरणमेव वरमति (प्रेर०) 1. फैसला करना, निर्धारण करना, निश्चित वितथकेतना- गीत०७2. निमंत्रण, बुलावा 3. स्थान, करना 2. तैयार करता, तैयार होना 3. गुणयुक्त जगह 4. पताका, झंडा–भग्नं भीमेन मरुता भवतो करना-श०।९ प्र-, होना, घटित होना रथकेतनम्-वेणी० २।२३, शि०१४।२८, रघु० ९।३९ 2. सफल होना (प्रेर०) 1. आविष्कार करना, उपाय 5. चिह्न, प्रतीक जैसाकि मकरकेतन 6. अनिवार्य कर्म निकालना, (योजनाएँ) बनाना 2. तैयार होना, तैयार (धामिक भी)-निवापाञ्जलिदानेन केतनैः श्राद्धकर्मभिः, करना, वि--, संदेह करना, संदिग्ध होना (प्रेर०) तस्योपकारे शक्तस्त्वं कि जीवन् किमतान्यथा-वेणी० संदेह करना, सम---, (प्रेर०) 1. दृढ़ निश्चय करना, । ३।१६। दृढ़ संकल्प करना, निश्चित करना 2. इरादा करना, । केतित (वि०) [ केत+इतच् ] 1. बुलाया गया, आमंत्रित प्रस्ताव रखना, समुप----, तैयार होना। 2. आबाद, बसा हुआ। क्लप्त (भू० क० कृ०) [क्लप्+क्त] 1. तैयार किया हुआ, | केतुः [चाय+तु, की आदेशः] 1. पताका, झंडा-चीनांकिया हुआ, तैयार हुआ, सुसज्जित-क्लप्तविवाहवेषा शुकमिव केतोः प्रतिवातं नीयमानस्य-श० ११३४ -रघु०६।१० विवाहवेष में सुभूषित 2. काटा हुआ, 2. मुख्य, प्रधान, नेता, प्रमुख, विशिष्ट व्यक्ति (बहुधा छीला हुआ---क्लप्तकेशनखश्मश्रु-मनु० ४।३५ समास के अन्त में)--- मनुष्यवाचा मनुवंशकेतुम्-रघु० 3. उत्पन्न किया हुआ, पैदा किया हुआ 4. स्थिर २।३३, कुलस्य केतुः स्फीतस्य (राघवः)--- रामा० किया हुआ, निश्चित 5. सोचा हुआ, आविष्कृत । 3. पुच्छलतारा, धूमकेतु-मनु० ११३८ 4. चिह्न, अंक सम०--कीला अधिकार पत्र, दस्तावेज, धूपः 5. उज्ज्वलता, स्वच्छता 6. प्रकाश की किरण 7. सौरलोबान । मंडल का नवा ग्रह जो पुराणों के अनुसार संहिकेय क्लप्तिः (स्त्री०) [क्लप्+क्तिन्] 1. निष्पत्ति, सफलता राक्षस का कबंध है तथा जिसका सिर राहु है-कुर2. आविष्कार, बनावट 3. क्रमबद्ध करना । ग्रहः सकेतुश्चन्द्रमसं पूर्णमण्डलमिदानीम्-मुद्रा० १।६। FFFFFEEEEEEEEE For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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