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मुर्गा।
आरन का बलोद्भव कला
( २८८ ) ---पाली (स्त्री०) उच्चकुलोद्भुत सती स्त्री-पुत्रः +घञ । पक्षियों का घोंसला,-कूजक्लान्तकपोतअच्छे कूल में उत्पन्न वेटा--इह सर्वस्वफलिनः कुल- कुक्कुटकुलाः कूले कुलायद्रुमाः --उत्तर० २।९, नै० १। पुत्रमहाद्रुमाः--मृच्छ० ४।१०,-पुरुषः 1. सम्मान के १४१ 2. शरीर 3. स्थान, जगह 4. बुना हुआ वस्त्र, योग्य तथा उच्चकुल में उत्पन्न पुरुष--कश्चुम्बति जाला 5. बक्स या पात्र। सम-निलायः घोंसले कुलपुरुषो बेश्याधरपल्लवं मनोज्ञमपि---भर्त० १९२ में बैठना, अंडे सेना, अंडों में से बच्चे निकालने के लिए 2. पूर्वज,-पूर्वगः पूर्व पुरुष,-भार्या सती साध्वी पत्नी, अंडों के ऊपर बैठना। -स्थ: पक्षी। - भत्या गर्भवती स्त्री की परिचर्या, -- मर्यादा कुल कुलायिका | कुलाय !- ठन्।-टाप् ] पक्षियों का पिंजड़ा, का सम्मान या प्रतिष्ठा,-मार्गः कूल की रीति, सर्वो- चिड़ियाघर, कबूतरखाना, दड़बा। त्तमरीति या ईमानदारी का व्यवहार, " योषित, | कुलालः | कुल --कालन् ] 1. कुम्हार,- ब्रह्मा येन कूलाल
-वधु (स्त्री०) अच्छे कूल की सदाचारिणी स्त्री, वनियमितो ब्रह्माण्डभाण्डोदरे-भर्तृ० २।९५ 2. जंगली -~~-वारः मुख्य दिन (अर्थात् मंगलवार और शुक्रवार)
-विद्या कुलक्रमागत प्राप्त ज्ञान, परंपराप्राप्त ज्ञान, कुलिः [ कुल--इन्, कित् ] हाथ । --विप्रः कुलपुरोहित, वृद्धः परिवार का बूढ़ा तथा | कुलिक (वि.) कुल- ठन् ] अच्छे कुल का, उत्तम कुल अनुभवी पुरुष, -व्रतः,--तम् कुल का व्रत या प्रतिज्ञा
में उत्पन्न,-क: 1. स्वजन-याज्ञ०२।२३३ 2. शिल्पि-गलितवयसामिक्ष्वाकूणामिदं हि कुलव्रतम् - रघु०
संघ का मुखिया 3. उच्चकुलोद्भव कलाकार। सम० ३।७०, विश्वस्मिन्नधुनाऽन्यः कुलवतं पालयिष्यति कः
-बेला दिन का वह समय जबकि कोई शुभ कार्य -~भामि० १११३,---श्रेष्ठिन् (पुं०) किसी कुटुंब या
आरम्भ नहीं करना चाहिए। श्रमिकसंघ का मुखिया 2. उच्चकूल में उत्पन्न शिल्प
कुलिङ्गः [--लिङ्ग+अच ] 1. पक्षी 2. चिड़िया। कार,--संख्या 1 कुल की प्रतिष्ठा 2. सम्मानित परि
कुलिन (वि०) (स्त्री०---नी) [कुल- इनि ] कुलीन, बारों में गणना-मनु० ३१६६,--सन्ततिः (स्त्री०)
उच्चकुलोद्भव, (पुं०) पहाड़। संतान, वंशज, वंशपरम्परा-मनु ५।१५९, --संभव कलिन्दः (ब०व०) [कल+इन्द] एक देश तथा उसके (वि०) प्रतिष्ठित कूल में उत्पन्न,-सेवकः श्रेष्ठ | शासकों का नाम ।। नौकर,-स्त्री उच्च कुल की स्त्री, कुललक्ष्मी,-अधर्माभि- | कलिरः,--रम [कुल+इरन्,, कित् ] 1. केकड़ा 2. राशि भवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः ... भग० १४१,
चक्र में चौथी राशि, कर्करादि । -स्थितिः (स्त्री०) कुटुन्व की प्राचीनता या
कुलि (ली) शः, -शम [ कुलि+शी+ड, पक्षे पृषो० समृद्धि।
दीर्घः ] इन्द्र का वज्र--वृत्रस्य हन्तु: कुलिशं कुण्ठिता कुलक (वि०) [ कुल कन् ] अच्छे कुल का, अच्छे कुल
श्रीव लक्ष्यते---कु० २।२०, अवेदनाशं कुलिशक्षतानाम् में जन्मा हआ, कः 1. शिल्पियों की श्रेणी का मुखिया
......१।२०, रघु० ३।६८, ४।८८, अमरु ६६ 2. वस्तु 2. उच्च कुल में उत्पन्न शिल्पकार 3. बाँबी,---कम्
का सिरा या किनारा ...मेघ० ६१। सम० . धरः, 1. संग्रह, समूह 2. व्याकरण की दृष्टि से सम्बद्ध इलोकों
---पाणिः इन्द्र का विशेषण, नायकः मैथुन की विशेष का समूह, (पाँच से पन्द्रह तक के श्लोकों का समह
रीति, रतिसंबंध । जो एक वाक्य बनाते हों) उदा० दे० शि० १११-१०, ! कली [ कलि-डीष ] पत्नी की बड़ी बहन, बड़ी साली।
रघु० ११५--९, इसी प्रकार कु० ॥११-६। । कुलीन (वि०) [ कुल-ख ] ऊँचे वंश का, अच्छे कुल का, कुलटा [ कुल+अट्-+-अच्+टाप् शक० पररूपम् ] व्यभि
उत्तम परिवार में जन्म हुआ, दिपयोषितमिवाकूलीचारिणी स्त्री-- मद्रा० ६.५, याज्ञ० ११२१५ । सम०
नाम -..का. ११,-नः अच्छी नसल का घोड़ा। .--पतिः भ्रष्टा या जारिणी स्त्री का स्वामी।
कुलीनसम् [कुलीनं भूमिलग्नं द्रव्यं स्यति - कुलीन+सो कुलतः (अव्य०) कुल-तसिल ] जन्म से।
+क] पानी। कलत्थः [ कुल+स्था+क पृषो० साधु: ] कुलथी, एक कलीर::--रकः [ कल-ईरन, कित; कुलोर-कन्] प्रकार की दाल ।
- 1. केकड़ा 2. राशिचक्र में चौथी राशि, कर्क राशि । कुलन्धर (वि०) [ कुल+-+-खच्, मुम् ] अपने कुल का | कुलक्कगुजा [को पृथिव्यां लुक्का, लुक्कायिता गुज इव] सिलसिला चलाने वाला।
लुकाठी, जलती हुई लकड़ो। कुलम्भरः,-लः [ कुल+भू-खच्, मुम् ] चोर ।। कुलतः (ब०व०) एक देश और उसके शासकों का नाम । कुलवत् [ कुल+मतुप्, मस्य वत्वम् ] कुलीन, अच्छे घराने | कुल्माषम् [ कुल ---क्विप, कुल माषोऽस्मिन् ब० स०] में उत्पन्न।
कांजी, षः एक प्रकार का अनाज । सम०--अभिकुलायः, यम् [ कुलं पक्षिसमूहः अयतेऽअत्र-कुल+अय् । षुतम् कांजी ।
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