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( २८६ ) स्वीकार कर लिया गया। कहते हैं कि वह छ: महीने कुम्भीरः [कुम्भिन्+ईर+अण् ] घड़ियाल, । सोता था और फिर केवल एक दिन के लिए जागता , कुम्भीरकः, कुम्भील: कुम्भीलकः कुम्भीर+कन, रस्य ल:, था। जब लंका को राम की वानरसेना ने घेर लिया। तत: कन् च चोर-लोप्त्रेण गृहीतस्य कुम्भीरकस्यास्ति तो रावण ने बड़ी कठिनाई के साथ कुंभकर्ण को जगाया । वा प्रतिवचनम्-विक्रम० २, कुम्भीलकैः कामुकैश्च जिससे कि वह उसकी प्रबल शक्ति का उपयोग कर परिहर्तव्या चन्द्रिका-मालवि०४। सके। २००० कलश सुरा पीने के पश्चात् कुम्भकर्ण कुर (तुदा० पर०-कुरति) शब्द करना, ध्वनि करना ने हजारों बन्दरों को अपना मुखग्रास बनाने के अति- । कुरकरः, कुरकुरः [ कुरम् इति अव्यक्तशब्दं करोति--कुरम् रिक्त सुग्रीव को बन्दी बना लिया। अन्त मे कुंभकर्ण + +ट, कुरम् --कुर+शच् च ] सारस पक्षी। राम के हाथों मारा गया),-कारः 1. कुम्हार-याज्ञ० कुरंगः (स्त्री०-गी) [क+अङ्गच् ] 1. हरिण-तन्मे ३।१४६ 2. वर्ण संकर जाति (वेश्यायां विप्रतश्चौर्या- हि कुरंग कुत्र भवता कि नाम तप्तं तपः-शा० त्कुम्भकारः स उच्यते-उशना, या मालाकारात्कर्मकर्या १।१४, ४।६ लवंगी कुरंगी दगंगीकरोतु ---जग० कुम्भकारो व्यजायत --पराशर),-घोणः एक नगर का 2. हरिण को एक जाति (कूरंग ईषत्ताम्रः स्याद्धरिणानाम,-जः,-जन्मन् (पु),योनिः,--संभवः 1. अगस्त्य कृतिको महान्)। सम०- अक्षी,-नयना, नेत्रा मनि के विशेषण-प्रससादोदयादम्भः कुम्भयोमहौजसः हरिण जैसी आँखों वाली स्त्री,-नाभिः कस्तूरी। -रघु० ४।२२, १५।५५ 2. कौरव और पांडवों के
| कुरंगमः [ कुर+गम् + खच, मुम् ] दे० 'कुरंग' । सैन्यशिक्षाचार्य गुरु द्रोण का विशेषण 3. वशिष्ट का रचिल्लः | कूर-+-चिल्ल+अच] केकड़ा विशेषण,–वासी कुटिनी, दूती (कभी कभी यह शब्द
कुरटः [ कुर+अटन--कित ] जूता बनाने वाला, मोची। गाली के रूप में प्रयक्त होता है)--लग्नम् दिन का ।
कुरंटः, कुरंटकः, कुरंटिका [ कुर्+-अण्टक्, कुरण्ट - कन्, वह समय जब कि राशि चक्र क्षितिज के ऊपर उदय स्त्रियां टाप इत्यम ] पीला सदाबहार, कटसरैया। होता है,-मंडक: 1. (शा०) घड़े का मेंढ़क
करंडः [ कुर-अण्डक ] अण्डकोश की वृद्धि, एक रोग 2. (आल०) अनुभवशून्य मनुष्य--तु० कूपमंडूक, जिसमें पोते वढ़ जाते हैं। -----संधिः हाथी के सिर पर ललाटस्थलियों के बीच का
कुररः (लः) [ कु+कुरच, रलयोरभेदः ] क्रौंच पक्षी, गर्त ।
समुद्री उकाब।। कम्भकः [कुम्भ-कन-+के+क वा] 1. स्तंभ का आधार कररी [कुरर+ङीप्] 1. मादा क्रौंच, ---चक्रन्द विग्ना कुर
2. (योगदर्शन में) प्राणायाम का एक प्रकार जिसमें रीव भूय:-रघु० १४।६८ 2. भेड़ । सम० ---गणः दाहिने हाथ को अंगुलियों से दोनों नथुने और मुख बंद क्रौंच पक्षियों का झुंड । करके सांस रोका जाता है ।
कुरवः (बः), फरव (ब) कम् [ ईपत् रवो यत्र इति, कुरव कुम्भा [कुत्सितम् उम्भति पूरयति इति-उम्भ +अच्
+कन ! सदावहार या कटसरया की जाति,- - कुरखकाः +टाप् शकं° पररूपम् | वेश्या, वारांगना ।
रवकारणतां ययुः रघु० ९।२९, मेघ० ७८, तु० कुम्भिका | कुम्भ । कन् +टाप, इत्वम् ] 1. छोटा बर्तन
६।१८ --वं (बं), -- व (ब) कम् सदाबहार का फूल 2. वेश्या ।
-चूडापाशं नवकुरवकम् -- मेघ० ६१५, प्रत्याख्यात कुम्भिन [ कुम्भ+ इनि] 1. हाथो - भामि० ११५२
विशेषकम् कुरबकं श्यामावदातारुणम्-मालबि०३।५। 2. मगरमच्छ । सम०-नरकः एक विशेष प्रकार का करीरम [ ईग्न, उकारादेश: 1 स्त्रियों का एक प्रकार नरक,–मवः हाथी के मस्तक से बहने वाला मद । ।
का सिर पर ओढ़ने का कपड़ा। कुम्भिलः [ कुम्भ+ इलच् ] 1. सेंध लगा कर घर में घसने
कुरुः (बब०) [कृ+कु उकारादेशः] 1. वर्तमान दिल्ली के वाला चोर 2. काव्य चोर, लेख चोर 3. साला, पत्नी
निकट भारत के उत्तर में स्थित एक देश --श्रियः का भाई 4. गर्भ पूरा होने से पहले ही उत्पन्न बालक ।
कुरूणामधिपस्य पालनीम् -कि० १११, चिराय तस्मिन कुम्भी [ कुम्भ डीप ] पानी का छोटा पात्र, घड़िया ।। कुरवश्चकासते--१।१७ 2. इस देश के राजा--हः
सम०,-नसः एक प्रकार का विषैला साँप -- उत्तर 1.पुरोहित 2. भात । सम---क्षेत्रम दिल्ली के निकट २।२९ ---पाकः (ए० व० या व० व०) एक विशेष एक विस्तृत क्षेत्र जहाँ कौरद पाण्डवों का महायुद्ध प्रकार का नरक जिसमें पापो जन कुम्हार के वर्तनों : हुआ था-धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता: युयुत्सवः -- भग० की भांति पकाये जाते हैं - याज्ञ० ३।२२५, १११, मनु० २।१९, --जाङ्गलम् =कुरुक्षेत्र---राज मनु० १२१७६।
(पु०)-राजः दुर्योधन का विशेषण,-- विस्तः ७०० कुम्भीकः [ कुंभी-+के+क] पुन्नागवक्ष। सम-मक्षिका ट्राय ग्रेन के बरावर (४ तोले) सोने का तोल । एक प्रकार की मक्खी।
---वृद्धः भीष्म का विशेषण ।
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