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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २७८ 0 - किल: [ किल् + क ] क्रीडा, तुच्छ, खेलखेल में हो जाने वाला । ० कचितम् प्रेमी- मिलन के अवसर पर शृंगारी उत्तेजन, रुदन, हास, रोष आदि भाव । किल ( अव्य० ) [ किल + क] निश्चय ही, बेशक, निस्संदेह, अवश्य अर्हति किल कितव उपद्रवम् - मालवि० ४, इदं किलाव्याजमनोहरं वपुः श० १।१८२. जैसा कि लोग कहते हैं, जैसा कि बतलाया जाता है ( विवरण या परंपरा दर्शाने वाला ) - बभूव योगी किल कार्तवीर्यः -- रघु० ६।३८, जघान कसं किल वासुदेवः - महा० 3. झूठमूठ का कार्य, प्रसह्य सिंहः किल तां चकर्ष रघु० २ २७ कि० ११२ 4. आशा, प्रत्याशा, संभावना पार्थः किल विजेष्यते कुरून् - गण० 5. असंतोष, अरुचि, – एवं किल केचिद्वदन्ति - गण० 6. घृणा - त्वं किलं योत्स्यसे - गण० 7. कारण, हेतु - ( अत्यंत विरल ) --स किलेवमुक्तवान् - गण० 'क्योंकि उसने ऐसा कहा' । Profes: ला [ किल्+क, प्रकारे वीप्सायां वा द्वित्वम्, पक्षे टाप् ] किलकारी, हर्ष और प्रसन्नतासूचक चीख । किलकिलायते ( ना० घा० आ०) किलकारी मारना, कोलाहल करना - भट्टि० ७ १०२ । लिजम् [ किलि + न् +ड ] 1. चटाई 2. हरी लकड़ी का पतला तख्ता, फलक । किल्विन (१०) [ किल् + क्विप्, किल् + विनि ] घोड़ा । किल्विषम् [ किल् + टिषच, वुक् ] 1. पाप, मनु० ४।२४३, १०।११८, भग० ३।१३, ६।४५ 2. त्रुटि, अपराध, क्षति, दोष मनु० ८२३५ 3. रोग, बीमारी । ferer:, यम् [ किंचित् शलति - किम् + ल् + कयन् बा०, पृषो० साधुः ] पल्लव, कोंपल, अंकुर, अंखुआ -दे० 'किसलय' । किशोर: [ किम् + श् + ओरन् ] 1. बछेरा, वन्य पशु- शावक, किसी जानवर का बच्चा - केसरिकिशोरः --आ० 2. तरुण, बालक, १५ वर्ष से कम आयु का, अवयस्क ( विधि में) 3. सूर्यरी एक नवयुवती, तरुणी । किष्किन्धः, न्य्यः [ किं किं दधाति - किं + किं + घा+क, पूर्वस्य किमो लोप:, सुट्, षत्वम्, - किष्किन्ध + यत् ] एक देश का नाम 2. उस प्रदेश में स्थित एक पहाड़ का नाम, धा, ध्या एक नगरी, किष्किन्धा को राजधानी । किष्कु (वि० ) [ कै+कु नि० साधुः ] दुष्ट, निन्द्य, बुरा, कु: (पुं० [स्त्री० ) 1. कोहनी से नीचे भुजा 2. एक हस्त परिमाण, हाथ भर की लम्बाई, एक बालिश्त । किसल:, लम्, ॥ [ किञ्चित् शलति - किम् + ल् + क किसलय:, यम्, (कयन्) बा०, पृषो० साधुः ] पल्लव, कोमल अंकुर या कोंपल - अधरः किसलयरागः, ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श० १।२१, किसलयमलूनं कररुहैं: - २०१०, किसलयैः सलयैरिव पाणिभिः - रघु० ९१३५ । कीकट ( वि० ) ( स्त्री०टी ) [ की शनैः द्रुतं वा कटति गच्छति - की + कट् +अच् ] 1. गरीब, दरिद्र 2. कजूस, ट: घोड़ा,-टा: ( ब० व०) एक देश का (विहार) नाम । कीकस (वि० ) [ की कुत्सितं यथा स्यात्तथा कसति - की + स् + अच् ] कठोर, दृढ, सम् हड्डी । कीचकः [ चीकयति शब्दायते चीक् + वुन्, आद्यन्तविष - यः ] 1. खोखला बांस 2. हवा में खड़खड़ाते या साँय साँय करते हुए बांस - शब्दायन्ते मधुरमनिलैः कीचका: पूर्यमाणाः - मेघ० ५६, रघु० २।२२, ४७३, कु० ११८ 3. एक जाति का नाम 4. विराट राज का सेनापति ( जब द्रौपदी, सैरिन्ध्री के वेश में, भेस बदले हुए अपने पांचों पतियों के साथ राजा विराट के दरवार में रह रही थी, उस समय एक बार कीचक ने उसे देखा, द्रौपदी के सौन्दर्य से उसके हृदय में कामाग्नि प्रज्वलित हुई; तब से लेकर उसकी पाप दष्टि द्रौपदी पर लगी रही और उसने अपनी बहन ( राजा विराट की पत्नी) की सहायता से उसके सतीत्व को भंग करने की चेष्टा की । द्रौपदी ने अपने प्रति उसके अशिष्ट व्यवहार की शिकायत राजा से की, परन्तु जब राजा ने हस्तक्षेप करने में आनाकानी की तो उसने भीम से सहायता मांगी और उसके सुझाव को मानकर उसने कीचक के प्रस्ताव के प्रति अनुकूलता दर्शाई । तब यह निश्चय किया गया कि वे दोनों आधी रात के समय महल के नाच घर में मिलें, फलत: कीचक वहाँ गया और उसने द्रौपदी का आलिजन करने का प्रयत्न किया, परन्तु अन्धेरा होन के कारण वह दुष्ट द्रौपदी के बजाय भीम के भुजपाश में फंस गया और उसके बलबान् हाथों से वह वहीं कुचला जाकर मौत का शिकार हुआ ) । सम० -- जित् (पुं०) द्वितीय पाण्डवराज भीम का विशेषण । कीटः [ कीट् + अच् ] 1. कीड़ा, कृमिकीटोऽपि सुमन:सङ्गादारोहति सतां शिरः हि० प्र० ४५ 2. तिरस्कार व घृणा को व्यक्त करने वाला शब्द (बहुधा समास के अन्त में ) द्विपकीट: - अधम हाथी, इसी प्रकार पक्षिकीटः आदि । सम० -घ्नः-- गंधक, जम् रेशम, जा लाख, मणिः जुगनू । कीटक: [कीट + कन् ] 1. कीड़ा 2. मगध जाति का भाट । कोक्ष (स्त्री० -क्षी) [ किम् + दृश् + क्त, क्न्,ि कीदृश, कीदृश (स्त्रीशी ) कञ्ञ, वा, किमः की आदेश: ] किस प्रकार का, किस स्वभाव का, तद्भोः कीदृगसी विवेकविभवः कीदृक् प्रबोधोदयः - प्रबो० १, ने० १।१३७ । For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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