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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि०) किरणदीप्ययान ज्या दोषो गुण ( २७७ ) -निमित (वि.) किस कारण या हेतु को रखने | सन्तिः सन्तः कियन्तः---भर्तृ० २।७८, त्वदभिसरणरभवाला, किस प्रयोजन वाला,-निमित्तम् (अव्य०) सेन वलन्ती पतति पदानि कियन्ति चलन्ती.. गीत. क्यों, किस लिए,-न (अव्य०) 1. क्या---किनु में ६ । सम-एतिका प्रयास, शक्तिशालीन धैर्ययक्त मरणं श्रेयो परित्यागो जनस्य वा ---नल० १०१० चेष्टा,-कालः (अव्य०) 1. कितनी देर 2. कुछ 2. और भी अधिक, और भी कम-अपि त्रैलोक्य राज्यस्य थोड़ा समय,-चिरम् (अव्य०) कितनी देर तक-कियाहेतोः किन्नु महीकृते भग० १॥३५ 3. क्या, निस्स- च्चिरं श्राम्यसि गौरि ...कु० ५५०,-दूरम् (अव्य०) न्देह-किन्नु मे राज्यनार्थः,-7 खल (अव्य०) 1. किस 1. कितनी दूर, कितनी दूरी पर, कितने फासले पर प्रकार से, सम्भवतः, कैसे है कि, क्या निस्सन्देह, -कियद्रे स जलाशयः पंच० १.० १।१३७ क्यों, सचमुच - किन्न खल गीतार्थमाकर्ण्य इष्टजन- 2. थोड़ी देर के लिए जरा सी दूर। विरहादतेऽपि बलवदुत्कण्ठितोऽस्मि ---श० ५ 2. ऐसा किरः [कक ] सुअर।। न हो कि-किन्न खल यथा वयमस्यामेवमियमप्य- किरकः [क+-0वल ] 1. लिपिक 2. [ किर-कन् ] सूअर स्मान प्रति स्यात्-- श०१, --पच,-पचान (वि०) | किरणः [ कृ+क्य 11. प्रकाश की किरण, सूर्य, चन्द्रमा कजस, कृपण,-- पराक्रम (बि.) किस शक्ति या या किसी दीप्ययान ज्योति की) किरण-रविकिरणस्फूति से युक्त,- पुनर (अव्य०) कितना और अधिक सहिष्ण----श० २१४, एको हि दोषो गुणसन्निपाते या कितना और कम-स्वयं रोपितेषु तरुपूत्पद्यते निमज्जतीन्दोः किरणेप्विवाङ्कः-कु० १३, शा० स्नेहः किं पुनरसंभवष्वपत्येष-का० २९१, मेघ० ३, ४१६, रघु० ५।७४, शि०४।५८, "मय 1. चमकदार, १७, विक्रम ३, -प्रकारम् (अव्य०) किस प्रकार से, उज्ज्वल 2. रजकण। सम०,.-मालिन (4) सूर्य । -प्रभाव (वि.) किस गक्ति से सम्पन्न, ---भूत | किरातः [किरं पर्यन्तभूमिम् अतनि गच्छतीति किरातः] (वि.) किस प्रकार का या किस स्वभाव का,--रूप एक पतित पहाड़ी जाति जो शिकार करके अपनी (वि.) किस शक्ल का, किस रूप का, - वदन्ति, जीविका चलाती है, पहाड़ी,-वैयाकर्णाकरातादपशब्द. तो (स्त्री०) जनश्रुति, अफवाह —मत्सम्बन्धात् मृगाः क्व यान्तु संत्रस्ताः, यदि नटगणकचिकित्सककश्मला किंवदन्ती----उत्तर० ११४२, उत्तर० ११४, वैतालिकवदनकन्दरा न स्युः । 1.सुभा०,कु० ११६,१५, -..वराटक: अमितव्ययी, खर्चीला, --वा (अव्य०) 1. रत्न० २३ 2. वहशी, जंगली 3. बौना 4. साईस, प्रश्नवाचक अव्यय-कि वा शकुन्तलेत्यस्य मातुराख्या अश्वपाल 5. किरातवेशवारी शिव,--ताः (ब० व०) श० ७ 2. या (किम् - ...(क्या) का सहसम्बन्धी) एक देश का नाम,.-- सम०-आशिन् (पु०) गरुड की ---राजपूत्रि सूप्ता किं वा जागपि -पंच० १, तत्कि उपाधि। मायामि किंवा विष प्रयच्छामि कि वा पशधर्मेण | किराती [किरात+डीप 1. किरात जाति की स्त्री, 2. चंवर व्यापादयामि --त०, शृङ्गार० ७,-विद (वि०) | डुलाने वाली स्त्री-रघु० १६१५७ 3. कूटिनी, दूती क्या जानने वाला, व्यापार (वि.) किस कार्य को 4. किरात के वेश में पार्वती 5. स्वगंगा। करने वाला,-शील (वि.) किस आदत का,-स्वित् किरिः [क ] 1. सूअर, वगह 2. वादल। (अव्य०) क्या, किस तरह अद्रेः शृङ्गं हरति पवन: | किरीट:,-टम [ क-कीटन् ] मकुट, ताज, चूडा, शिरोकिम्पिदित्यन्मखीभिः- मेघ०१४ । वेष्टन-किरीटबद्धाजलय: ०७२२ 2. व्यापारी। कियत् (वि.) |कि परिमाणमस्य किम् --बतुप, घः, किमः सम०-धारिन् (पुं०) राजा । - मालिन (पुं०) कि आदेश: 1 (कर्त०, ए०६०, पु० --कियान्, स्त्री० अर्जुन का विशेषण। —कियती, नपु० कियत्) 1. कितना बड़ा, कितनी किरीटिन् (वि.) [किरीट+इनि] ताज या मुकुट पहनने दूर, कितना, कितने, कितने विस्तार का, किन गणों वाला,-भग० ११११७, ४६, पंच० ३,-(पु०) का (प्रश्नवाचकना का बल रखने वाला)-किया- अर्जुन-भग० १११३५, (महा० में इस नामकरण की कालस्तवैवस्थितम्य संजातः ---पंच० ५, नै० १११३०, व्याख्या इस प्रकार है-पुरा शक्रेण में बद्धं यध्यतो अयं भूतावामी विश कियतों याति न दगाम् ----शा० दानवर्षभैः, किरीट मनि भि तेनाहुर्मा १२५, ज्ञास्यति कियभुजो म रक्षति-श० १११३, किरीटिनम् । कियदवशिष्टं रजन्या:--ठा० ४ 2. किस गिनती किर्मीर (वि.) [ क--ईरन, मुटु ] चित्रविचित्र रंग का, का अर्थान् किसा अर्थ का नहीं, निकम्मा. राजेति चितकबरा, चित्तीदार,-रः 1. एक राक्षस जिसको कियनी मात्रा--पंच० १८०, मातः कियन्तोरयः, भीम ने मारा था . वेणी०६ 2. शवल या बहरंगी वेणी० ५।९ 3. कुछ, थोड़ा सा, थोड़ी संख्या, चन्द रंग। सम० -जित्,-निषदनः,-सूदनः भीम के (अनिश्चित बल रखने वाला)-निजहृदि विकसन्तः । विशेषण । | किरीटकिरीटबहा राजा For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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