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२७२ )
कन्] यह की पुतलाच अच् लिजर
--ांगायमनानदी,-प्रन्थिः एक वर्ष,--चक्रम 1. समय जाता है,-संरोधः 1. बहुत देर तक काम में हाथ न का चक्र (समय सदैव घुमते हए पहिए के रूप में डालना--मनु०८।१४३ 2. किसी लम्बे समय का क्षय वर्णित किया जाता है) 2. चक 3. (अत:) (आल०) होना,-सदृश (वि०) उपयुक्त, सामयिक,- सर्पः काले संपत्ति का चक्र, जीवन को परिस्थितियां,-चिह्नम् और अत्यन्त विषैले साँप को जाति, --सारः काला मत्यु के निकट आने का समय,---चोदित (वि०) यम- हरिण,--सूत्रम्, सूत्रकम 1. समय या मृत्य की डोरी दूतों के द्वारा बुलाया हुआ-ज्ञ (वि.) (किसी कार्य 2. एक विशेष नरक का नाम याज्ञ० २।२२२, मनु० के) उचित समय या अवसर को जानने वाला—अत्या- ४१८८-स्कन्धः तमाखू का पेड़,... स्वरूप (वि०) रूढो हि नारीणामकालज्ञो मनोभव:-रघु० १२३३, मृत्यु जैसा भयङ्कर, हरः-शिव की उपाधि,-हरणम् शि० २१८३-ज्ञ: 1. ज्योतिषी 2. मुर्गा,--अयम् तीन समय की हानि, विलम्ब--श० ३, उत्तर० ५,-हानिः काल, भूत, भविष्य और वर्तमान--वी--का० ४६, (स्त्री०) विलम्ब--रघु० १३३१६ । --दण्डः मुत्य, धर्मः,--धर्मन (पु.) 1. किसी विशेष | कालकम् [काल-कन] यकृत, जिगर,-क: 1. मस्सा, झाई समय के लिए उपयुक्त आचरण रेखा 2. निर्दिष्ट 2. पनीला साँप 3. आंख की पुतली काला भाग । काल, मृत्यु-न पुनर्जीवितः कश्चित्कालधर्ममुपागतः | कालंजरः[कालं जरयति-काल---+णि+अच] 1. एक -महा०, परीता: कालधर्मणा-आदि,--धारणा समय- पहाड़ तथा उसका समीपवर्ती प्रदेश (वर्तमास कलिंजर वृद्धि,--नियोगः भाग्य या नियति का समादेश, भाग्य- 2. धार्मिक भिक्षुओं या साधओं की सभा 3. शिव की निर्णय-कि० ९.१३,--निरूपणम समय का निर्धा- उपाधि । रण करना, कालविज्ञान,---नेमिः 1. समय चक्र का | कालशेयम् कलशि ढक] छाछ, मट्ठा (मन्थन के द्वारा घेरा 2. एक राक्षस जो रावण का चाचा था और जिसे जो कलशी में उत्पन्न होता है)। हनुमान को मारने का काम सौंपा गया था 3. सौ हाथों काला [काल-|-अच् ---टाप् दुर्गा की उपाधि । वाला राक्षस जिसे विष्णु ने मारा था,--पक्व (वि०) | कालापः [कालो मत्युः आप्यते यस्मात्-काल-आप्+घञ] अपने समय पर पका हुआ----अर्थात् स्वतः स्फूर्त 1. सिर के वाल2. सांप का फण 3. राक्षस, पिशाच, -~-मनु० ६।१७, २१, याज्ञ० ३।४९,--परिवास: भूत 4. 'कलाप' व्याकरण का विद्यार्थी 5. 'कलाप' थोड़े समय तक पड़े रहने वाला जिससे कि बासी व्याकरण का वेत्ता। जाय,-पाश: यम या मृत्यु का जाल,-पाशिक: कालापकः कालाप --वन] 1. 'कलाप' के विद्यार्थियों का जल्लाद,- पृष्ठम् 1. काले हरिण की जाति 2. बगला
समूह 2. कलाप की शिक्षा या उसके सिद्धांत । ( कम्) 1. कर्ण का धनुष-वेणी० ४ 2. सामान्य
कालिक (वि.) (स्त्री०-की) काल-ठक 1. काल धनुष,-प्रभातम् शरत्काल (बरसात के पश्चात् आने संबंधी 2. कालाश्रित विशेषः कालिकोऽवस्था---अमर० वाले दो मास का समय सर्वोत्तम समझा जाता है), 3. मौसम के अन कल, सामयिक,-क: 1. सारस,2.बगला, -भक्षः शिव की उपाधि,-मानम् समय का मापना, ---का 1. कालापन, काला रंग 2. मसी, स्याही,
मुखः लंगरों की एक जाति, --मेषी मंजिष्ठा पौधा, काली मसी 3. कई किस्तों में दिया जाने वाला मुल्य -यवनः यवनों का राजा कृष्ण का शत्र, यादवों के 4.निर्दिष्ट समय पर दिया जाने वाला सामयिक ब्याज कृष्ण के लिए अपराजेय शत्र, युद्ध क्षेत्र में उसका 5. बादलों का समूह, घनघोर घटा जिसके बरसने का मारना असम्भव समझ कर कृष्ण ने उसको कपट से डर हो--कालिकेव निबिडा बलाकिनी... रघु०११११५ मुचकुन्द की गुफा में धकेल दिया जिसने उसको भस्म 6. सोने में मिलाया जाने वाला खोट 7. यकृत, जिगर करके उसका काम तमाम कर दिया। -यापः,-याप- 8. कौवी 9. बिच्छू 10. मदिरा 11. दुर्गा,-कम् काले नम् टालमटोल करना, देर लगाना, स्थगित करना, चन्दन की लकड़ी। --योगः भाग्य, नियति, योगिन् (पु.) शिव की कालिङ्गग (वि.) (स्त्री०-गो)[कलिङ्ग+अण] कलिंग देश उपाधि,-रात्रिः,-रात्री (स्त्री०) 1. अन्धेरी रात में उत्पन्न या उस देश का,-गः कलिंग देश का राजा 2. विश्व की समाप्तिसूचक महाप्रलय की रात (दुर्गा -प्रतिजग्राह कालिङ्गस्तमस्त्रजसाधन:--रघु०४१४० के साथ समरूपता दिखाई गई है),-लोहम्-स्टील, 2. कलिंग देश का साँप 3. हाथी 4. एक प्रकार की इस्पात,-विप्रकर्षः काल की वृद्धि,--वृद्धिः (स्त्री०) ककड़ी,- गाः (ब०व०) कलिंग देश--दे० कलिंग, सामयिक व्याज (मासिक, त्रैमासिक या बंधे समय पर --गम् तरबूज । देय)-मनु० ८।१५३, वेला शनिकाल, अर्थात् दिनकालिन्द (वि.) (स्त्री०-दी) [कलिन्द+अण+कलिन्द का विशिष्ट समय (प्रतिदिन आधा पहर) जब कि पहाड़ या यमुना नदी से प्राप्त या संबद्ध---कालिन्द्याः किसी भी प्रकार के धर्मकृत्य का करना उचित समझा | पुलिनेषु केलिकुपिताम्-वेणी० १२, रघु० १५।२८
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