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( २७१ ) काम करने वाला आदमी 2. पागल, सनकी, विक्षिप्त | भुवनफलके क्रीडति प्राणिशारैः-.-भत० ३१३९ 3. आलसी व्यक्ति, -प्रद्वेषः काम करने में अरुचि, 8. मृत्यु का देवता यम,,---कःकालस्य नगांचरान्तरगतः आलस्य, सुस्ती,-प्रेष्यः अभिकर्ता, दूत,--बस्तु (न०) ---पंच० १११४६ 9. भाग्य, नियति 10. आँख की लक्ष्य और उद्देश्य,---विपत्तिः (स्त्री०) असफलता, पूतली का काला भाग 11. कोयल 12. शनिग्रह 13. शिव प्रतिकूलता, दुर्भाग्य,--शेषः 1. बचा हुआ कार्य-मनु० 14. काल की माप (संगीत और छन्दः शास्त्र में) ७।१५३ 2. कार्य की पूर्ति 3. किसी कार्य का अंश, 15. कलाल, शराबखींचने तथा बेचने वाला 16. अनुभाग, --सिद्धिः (स्त्री०) सफलता, स्थानम काम करने को खण्ड, लम्, लोहा 2. एक प्रकार का सुगंधित जगह, कार्यालय,-हंत 1. दूसरे के कार्य में बाधा डालने द्रव्य । सम० अक्षरिकः साक्षर, पढ़ा लिखा,-अगुरुः वाला,--हि० ११७७ 2. दूसरे के हितों का विरोधी । एक प्रकार का चन्दन का वक्ष, काला अगर--भामि० -- कार्यतः (अव्य०)[कार्य+तसिल] 1. किसी उद्देश्य
११७०, रघु० ४८१ (नपुं०) उस वृक्ष की लकड़ी, या प्रयोजन के कारण 2. फलतः, अनिवार्यतः ।
ऋतु० ४।५, ५।५,---अग्निः ,—अनलः सृष्टि के अन्त कार्यम् [कृश्न-ध्या] 1. पतलापन, दुर्बलता, दुबलापन में प्रलयाग्नि, अंग (वि.) काले नीले शरीर वाला,
---मेघ० २९ 2. छोटापना, अल्पता, कमी--रधु० (जैसे कि काली नीली धारवाली तलवार),अजिनम् ५।२१।
काले हरिण की खाल, अञ्जनम् एक प्रकार का अंजन कार्षः [ कृषि-1-M ] किसान, खेतीहरे।
या-सुर्मा कु० ७१२०, ८२, अण्डजः कोयल, अतिरेक: कार्षापणः,–णम् (या पणक:) [ कप + अण् - कार्षः, आ समय की हानि, विलंब,--अत्यय: 1. विलंब 2. समय +पण्+घा आपणः, कार्षस्य आपण: ब० स०]
का बीतना 3. काल के बीत जाने के कारण हानि, भिन्न भिन्न मल्य का सिक्का या बट्टा-मनु० ८।१३६,
----अध्यक्षः 1. 'समय का प्रधायक' सूर्य की उपाधि ९।२८२, (=कर्ष),--- णम् धन ।
2. परमात्मा, अनुनादिन (प.)1. मधुमक्खी 2. चिड़िया कार्षापणिक (वि.) (स्त्री०-की) [ कार्षापण+टिठन् ] 3. चातक पक्षी, अन्तकः समय जो मृत्यु का देवता एक कार्षापण के मूल्य का।
माना जाता है, सर्वसंहारक,- अन्तरम् 1. अन्तराल कार्षिक कार्षापण।
2.समय की अवधि 3. दूसरा समय या अबसर, °आवृत्त कार्ण (वि.) (स्त्री०-- ९) [ कृष्ण-अण् ] 1. कृष्ण (वि०) काल के गर्भ में छिपा हुआ, क्षम (वि०)
या विष्णु से सम्बन्ध रखने वाला,-.-रघु० १५।२४ विलम्ब को सहन करने के योग्य--अकालक्षमा देव्याः 2. व्यास से सम्बन्ध रखने वाला 3. काले हरिण से शरीरावस्था--- का० २६२, श० ४, "विषः चूहे की सम्बन्ध रखने वाला--मनु० २।४१ 4. काला।
भांति केवल क्रोधित किये जाने पर ही जहरीला जन्तु, कार्णायस (वि०) (स्त्री०--सी ) [ कृष्णायस् + अण् ] --अभ्रः काला जल से भरा हुआ बादल,-अयसम् काले लोहे से बना हुआ,---सम् लोहा।।
लोहा,-अवधिः नियत किया हुआ समय,--अशुद्धिः काक्षिणः [ कृष्णस्य अपत्यम्-कृष्ण-+इन ] कामदेव की (स्त्री०) शोक मनाना, सूतक, पातक या जन्म-मरण उपाधि-शि० १९।१० ।
से पैदा होने वाला अशौच, दे० अशौच,--आयसम् काल (वि.) (स्त्री०-ली) [कु ईषत् कृष्णत्वं लाति लोहा,-----उप्त (वि०) ऋतु आने पर बोया हुआ,
ला+क, कोः कादेशः ] 1. काला, काले या काले- ----कञ्जम् नीलकमल,—कटम्,-कटः शिव की उपाधि, नोले रंग का 2. समय --विलंबितफलै: कालं निनाय -- कण्ठः 1. मोर 2. चिड़िया 3. शिव की उपाधि स मनोरथैः-- रघु० ११३६, तस्मिन् काले-उस समय, --उत्तर० ६,करणम्, समय का नियत करना काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम्-हि --कणिका,-कर्णी दुर्भाग्य, मुसीबत,-कर्मन (न०) १११, बुद्धिमान् अपना समय बिताते हैं 3. उपयुक्त या मृत्यु,-कोलः कोलाहल,-कुण्ठः यम,-कूटः,- टम् समुचित समय (किसी कार्य को करने के लिए) उचित (क) हलाहल विष (ख) समुद्र मन्थन से प्राप्त तथा समय या अवसर (संबं०, अधि०, सम्प्र० तथा तुमु- शिव द्वारा पिया गया---अद्यापि नोज्झति हर: किल नंत के साथ)-रघु० ३।१२, ४१६, १२॥६९, पर्जन्यः कालकूटम् -चौर० ५०,-कृत् (पुं०) 1. सूर्य 2. मोर कालवर्षी-मच्छ० १०, ६० 4. काल का अंश या 3. परमात्मा,--क्रमः समय का बीतना, समय का अवधि (दिन के घण्टे या पहर)-षष्ठे काले दिवसस्य अनुक्रम--कालक्रमेण-समय पाकर, समय के अनुक्रम
-विक्रम २। मनु० ५।१५३ 5. ऋतु 6. वैशे- या प्रक्रिया में, कु० १।१९,क्रिया 1. समय नियत षिकों के द्वारा नौ द्रव्यों में से 'काल' नामक एक द्रव्य करना 2. मृत्यु,-क्षेपः 1. विलंब, समय की हानि 7. परमात्मा जो कि विश्व का संहारक है, क्योंकि -मेष० २२, मरणे कालक्षेपं मा कुरु-पंच०१ 2. वह संहारक नियम का मूर्तरूप है- काल: काल्या समय बिताना,-सब्जनम्,-खण्डम् यकृत, जिगर,
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