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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २६७ ) ३।१६ 4. इच्छापूर्वक, प्रसन्नता के साथ-शा० ४१४ | काम्बलः [ कम्बलेन आवृतः-कम्बल+अण् ] ऊनी कपड़े 5. अच्छा, बहुत अच्छा (स्वीकृतिबोधक अव्यय), या कंबल से ढकी हुई गाड़ी।। ऐसा हो सकता है कि मनागनभ्यावृत्त्या वा कामं काम्बविक: [ कम्बु+ठक ] शंख या सीपी के बने आभूषणों क्षाम्यत् यः क्षमी-शि० २१४३ 6. मान लिया (कि) का विक्रेता, शंख या सीपी का व्यापारी। यह सच है कि, निस्सन्देह (प्राय: इसके पश्चात् 'तु' | काम्बोजः [ कम्बोज+अण् ] 1. कंबोज देश का निवासी 'तथापि' का प्रयोग होता है) -- कामं न तिष्ठति मदा- --मन्० १०॥४४ 2. कंबोज का राजा 3. पुन्नाग वृक्ष ननसंमुखी सा भूयिष्ठमन्यविषया न तु दृष्टिरस्याः श० 4. कंबोज देश के घोड़ों की एक जाति । ११३१, २०१, रघु० ४।१३, ६।२२, १३१७५, मा० काम्य (वि.) [ कम्+णि+यत् ] वांछनीय, इच्छा के ९।३४ 7. बशक, सचमुच, वास्तव में,-रघु० २।४३ उपयुक्त-सुधा विष्ठा च काम्याशनम्-श० २।८ (बहुधा अनिच्छा या विरोध निहित रहता है) 2. ऐच्छिक, किसी विशेष उद्देश्य से किया गया (विप० 8. अधिक अच्छा, चाहे (प्राय: 'न' के साथ)-काममा- नित्य)-अन्ते काम्यस्य कर्मण:---रघु० १०५०, मनु० मरणात्तिष्ठेद् गृहे कन्यत॒मत्यपि, न चैवैनां प्रयच्छेत्तु २।२, १२।८९, भग० १८०२ 3. सुन्दर, मनोहर, गुणहीनाय कहिचित्-मनु० ७।८९। लावण्यमय, खूबसूरत–नासौ न काम्यः-रघु० ६। कामयमान, (वि.) [कम्+णिड-शानच, पक्षे मक, ३०, उत्तर० ५.१२,--म्या कामना, इच्छा, इरादा, कामयान, | तृच वा] कामासक्त, कामुक-रघु० १९५० --प्रार्थना ब्राह्मणकाम्या-मृच्छ ०३, रघु० ११३५, भग. कामयितु .Jश०३। १०११। सम ०-अभिप्रायः स्वार्थनिहित प्रयोजन, कामल (वि.) [कम् +-णिक कलच] कामासक्त, कामुक -- कर्मन् (नपुं०) किसी विशेष उददेश्य तथा भावी -ल: 1 वसन्त ऋतु 2. मरुस्थल । फल की दृष्टि से किया गया धर्मानुष्ठान, गिर कामलिका [कमल-कन्+टाप, इत्वम्] मादक शराब । (स्त्री०) रुचि के अनुकूल भाषण,-दानम् 1. स्वीकामवत् (वि.) [काम+मतुप्, मस्य वत्वम्] 1. इच्छुक, कार करने योग्य उपहार 2. स्वतंत्र इच्छा से दिया चाहने वाला 2. कामासक्त । गया उपहार, ऐच्छिक भेंट,-मरणम् स्वेच्छापूर्वक कामिन (वि.) (स्त्री०-नी) [कम+णिनि] 1. कामासक्त मरना, आत्महत्या,-व्रतम् ऐच्छिक ब्रत । 2. इच्छुक 3. प्रेमी, प्रिय, (पुं०) 1. प्रेम करने वाला | काम्ल (वि.) [ ईषत् अम्ल:-कोः कादेशः] कुछ कामुक (स्त्रियों की ओर विशेष ध्यान देने वाला) थोड़ा खट्टा, ईषदम्ल। -त्वया चन्द्रमसा चातिसन्धीयते कामिजनसार्थ:---श० कायः, यम् [चीयतेऽस्मिन् अस्थ्यादिकमिति कायः, चि। ३, त्वां कामिनो मदनदतिमदाहरन्ति--विक्रम० ४।११, घा, आदे: ककारः] 1. शरीर-विभाति कायः करुअनरु २, मालवि० ३३१४ 2. जोरु का गुलाम, णापराणां परोपकारनं तु चन्दनेन—भर्तृ० २०७१, 3. चकवा 4. चिड़िया 5. शिव की उपाधि 6. चंद्रमा कायेन मनसा बुद्धचा- भग० ५.११ इसी प्रकार 7. कबूतर,-नी 1. प्रेम करने वाली, स्नेहमयी, प्रिय कायेन, वाचा, मनसा आदि 2. वृक्ष का तना 3. वीणा स्त्री-मनु०८११२ 2. मनोहर और सुन्दर स्त्री - का शरीर (तोरों को छोड़कर वीणा का ढाँचा) उदयति हि शशांकः कामिनीगण्डपाण्डुः - मच्छ० ११५७ 4. समुदाय, जमघट, संचय 5. मूलधन, पूंजी 6. घर, केषां नैषा कथय कविताकामिनी कौतुकाय—प्रस० १॥ आवास, वसति 7. कुंदा, चिह्न 8. नैसर्गिक स्वभाव २२ 3. सामान्य स्त्री-मगया जहार चतुरेव कामिनी - यम् ('तीर्थ' के साथ या 'तीर्थ' के बिना) अंग----रघु० ९।६९, मेघ० ६३, ६७, ऋतु. १।२८ लियों से नीचे का हाथ का भाग, विशेषकर कन्नो 4. भीरु स्त्री 5. मादक शराब । अंगुली (यह अंगुलो प्रजापति के लिए पावन मानी कामुक (वि.) (स्त्री० --का, -को) [कम् + उकञ् ] जाती है और 'प्रजापति तीर्थ' कहलाती है-तू० 1. कामना करता हुआ, इच्छुक 2. कामासक्त, कामातुर, मनु० २।५८,५९),-यः आठ प्रकार के विवाहों में से -क: 1. प्रमी, कामातुर-कामकैः कुम्भीलकैश्च परि- एक जिसे 'प्राजापत्य' कहते हैं--याज्ञ० ११६०, मनु० हर्तव्या चन्द्रिका --मालवि० ४, रघु० १९।३३, ऋतु० ३१३८ । सम०-अग्निः पाचनशक्ति,-क्लेशः शरीर ६९ 2. चिड़िया 3. अशोकवृक्ष --का) धन की का कष्ट या पीड़ा,-चिकित्सा आयर्वेद के आठ इच्छुक स्त्री(-की) कामातुर या कामासक्त स्त्री। विभागों में से तीसरा, समस्त शरीर में व्याप्त रोगों काम्पिल्लः, काम्पीलः [ कम्पिला नदी विशेषः तस्याः अदूरे की चिकित्सा,- मानम् शरीर की माप,--वलनम् भवः - कम्पिला+अण्=काम्पिल+अरम् नि० साधुः कवच,-स्थः 1. लेखक जाति (क्षत्रियपिता और कम्पिला+अण् नि० दीर्घः,] एक वृक्ष का नाम-मा० शुद्र माता की संतान) 2. इस जाति का पुरुष-कायस्थ ९।३१। इति लध्वी मात्रा-मुद्रा० १, याज्ञ० ११३३६ मृच्छ० ९, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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