SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २६६ ) कामोन्माद के अधिदेशों का अनुयायी,- कार (वि०)। (ब.व.) विषयोपभोग में तृप्ति,-महः चत्रपूर्णिमा को इच्छानुकूल काम करने वाला, अपनी कामनाओं में मनाया जाने वाला कामदेव का पर्व,-मूढ़- मोहित लिप्त रहने वाला (-रः) 1. ऐच्छिक कार्य, स्वतः (वि.) प्रेमप्रभावित या प्रेमाकृष्ट---उत्तर० २।५, स्फूर्त कर्म-.-मनु० १११४१, ४५ 2. इच्छा, इच्छा —रस: वीर्यपात,-रसिक (वि.) कामासक्त, कामात का प्रभाव ---भग० ५.११,-कूटः 1. वेश्या का प्रेमी - क्षणमपि युवा कामरसिक... भर्तृ ० ३।११२,... रूप 2. वेश्यावृत्ति,--कृत् (वि.) 1. इच्छानुसार समय (वि.) 1. इच्छानुकूल रूप धारण करने वाला, पर कार्य करने वाला, इच्छानुकूल कार्य करने वाला —जानामि त्वां प्रकृतिपुरुषं कामरूपं मघोनः मेघ०६ 2. इच्छा को पूरी करने वाला, (पु०) परमात्मा, 2. सुन्दर, सुहावना (-पाः) (ब० व०) बंगाल के पूर्व -केलि वि०) कामासक्त (लिः) 1. प्रेमी 2. संभोग | में स्थित एक जिला (आसाम का पदिचमी भाग) -क्रीडा 1. प्रेम की रंगरेली, श्रृंगारी खेल 2. संभोग, ---रघु० ४।८०, ८४, रेखा, लेखा वेश्या, रंडी, -ग (वि.) इच्छानुकूल जाने वाला, इच्छानुसार - लता पुरुष की जननेंद्रिय, लिंग,-लोल (वि.) आने जाने या कार्य करने के योग्य (-गा) असती तथा कामोन्मत्त, प्रेम का रोगी, बरः इच्छानुकल चुना कामुक स्त्री याज्ञ० ३१६,-गति (वि०) अभीष्ट हुआ उपहार,-वल्लभः 1. वसन्त ऋतु 2. आम का स्थान पर जाने के योग्य-रघु० १३७६, --गुणः वृक्ष ( भा) ज्योत्स्ना, चांदनी,-वश (वि०) प्रेम1. प्रणयोन्माद का गुण, स्नेह 2. संतृप्ति, भरपूर मुग्ध, (शः) प्रेम के वशीभूत होना,-वश्य (वि०) सुखोपभोग 3. विषय, इन्द्रियों को आकृष्ट करने वाले प्रेमासवत,-वाद (वि०) इच्छानुसार कुछ भी कहना, पदार्थ,-चर-चार (वि०) विना किसी प्रतिबंध मनमाना कहना,-विहंत (वि०) इच्छाओं का हनन के स्वतंत्र रूप से घूमने वाला, इच्छानुकूल भ्रमण करने वाला,-वृत्त (वि०) विषय वासना में लिप्त, करने वाला--कु० श५०, --चार (वि०) अनियंत्रित, स्वेच्छाचारी, व्यसनासक्न-मनु० ५।१५४,-- वृत्ति प्रतिबंधरहित (-र:) 1. अनियन्त्रित गति 2. स्वतंत्र (वि०) इच्छानुसार काम करने वाला, स्वेच्छाचारी, या स्वेच्छापूर्वक कार्य, स्वेच्छाचारिता-न कामचारो स्वतंत्र-न कामवृत्तिर्वचनीयमीक्षते कू० ५।८२, मयि शनीयः— रघु० १४१६२ 3. अपनी इच्छा या (स्त्री०...तिः) 1. मुक्त अनियंत्रित कार्य 2. मन की अभिलाषा, स्वतंत्र इच्छा, कामचारानुज्ञा-सिद्धा०, स्वतंत्रता, वृद्धिः (स्त्री०) कामेच्छा में वृद्धि,-वृन्तम् मन०, २।२२०4. विषयासक्ति 5. स्वार्थ,-चारिन श्रृंगवल्ली का फूल,--शरः 1. प्रेम का बाण 2. आम (वि.) 1. बिना किसी प्रतिबंध के घूमने वाला का वृक्ष, शास्त्रम् प्रेमविज्ञान रतिशास्त्र,-संयोगः ---मेघ० ६३ 2. कामासक्त, विषयी 3. स्वेच्छाचारी अभीष्ट पदार्थों की प्राप्ति,-सखः वसन्त ऋतु,-सू (पुं०) 1. गरुड़ 2. चिड़िया,---ज (वि०) इच्छा या (वि.) इच्छा को पूरा करने वाला-रघु० ५।३३, कामोन्माद से उत्पन्न-मनु० ७.४६, ४७, ५०, ---सूत्रम् वात्स्यायनम निकृत रतिशास्त्र,-हेतुक -जित् (वि.) कामोन्माद या प्रेम को जीतने वाला (वि.) बिना वास्तविक कारण के केवल इच्छामात्र -रघु० ९/३३, (पुं०) 1. स्कंद की उपाधि 2. शिव, से उत्पन्न--भग० १६१८ तालः कोयल,--द (वि०) इच्छा पूरी करने वाला, | कामतः (अव्य०) [ काम+तसिल ] 1. स्वेच्छा से, इच्छाप्रार्थना स्वीकार करने वाला,-दा-कामधेनु, वर्शन पूर्वक 2. अपनी इच्छा से, ज्ञानपूर्वक, इरादतन, (वि०) मनोहर दिखाई देने वाला,-दुघ (वि.) जानबूझ कर-मनु० ४।१३०,—पदास्पृष्टं च कामतः अपनी इच्छाओं को दोहने वाला, अभीष्ट पदार्थों को याज्ञ० १११६८ 3. प्रेमावेश में, भावनावश, कामुकदेने वाला-प्रीता कामदुधा हि सा-रघु० १२८०, तावश-मनु० ३११७३ 4. इच्छापूर्वक, स्वतन्त्रता से, २६३, मा० ३।११,-दुघा-दुह (स्त्री० सब | बिना किसी नियन्त्रण के। इच्छाओं को पूरा करने वाली काल्पनिक गाय--भग० कामन (वि.) [ कम्+णिक+युच ] कामासक्त, कामा१०.२८,---बूती मादा कोयल,-देवः प्रेम का देवता, तुर, -नम् चाह, कामना,---ना कामना, इच्छा। –धेनुः (स्त्री०) समृद्धि की गौ, सब इच्छाओं को कामनीयम् [ कमनीयस्य भावः-अण ] सौन्दर्य, आकर्षपूरा करने वाली स्वर्गीय गाय,-ध्वंसिन् (पुं०) शिव की उपाधि,-पति-पत्नी (स्त्री०) कामदेव की | कामन्धमिन (पुं०) [ कामं यथेष्ट धमति-काम-मा स्त्री रति,-पाल: बलराम,—प्रवेदनम अपनी इच्छा, | +णिनि, धमादेशः मुम् च नि० ] कसेरा, ठठेरा। कामना या आशा को अभिव्यक्त करना - कच्चित् कामम् (अध्य०) [कम् --णिड-- अम्] 1. कामना या रुचि कामप्रवेदने अमर०,-प्रश्न: अनियन्त्रित या मुक्त | के अनुसार, इच्छानुसार, कामगामी 2. सहमतिपूर्वक प्रश्न-फल: आम के वृक्ष की एक जाति,--भोगाः । चाहना-मुद्रा० ११२५ 3. मन भर कर- उत्तर० For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy