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( २४८
कम्पन (वि.) [ कम्प+युच ] कम्पायमान, हिलने वाला, |
-न: शिशिर ऋतु (नवम्बर, दिसम्बर)-नम्
1. हिलना, कंपकंपी 2. लड़खड़ाता उच्चारण । कम्पाकः [कम्पया चलनेन कायति- कम्पा+के+क]
वायु। कम्पिल्ल-कांपिल्ल । कम्त्र (वि०) [ कम्प्+र] हिलने वाला, कम्पायमान,
चलायमान, हलचल पैदा करने वाला-विधाय कम्प्राणि मुखानि के प्रति - नै० १११४२ कम्प्रा शाखा
-सिद्धा। कम्बू (म्वा० पर०-कम्बति, कम्बित) जाना, चलना
फिरना। कम्बर (वि.) [कम्ब्--अरन् ] रंगबिरंगा,—रः चित्र
विचित्र रंग। कम्बलः [कम्+कल्, बुकागमः] 1. (ऊनी) कंबल-कम्बल
वन्तं न बाधते शीतम् --सुभा०, कम्बलावृतेन तेन-हि० ३ 2. सास्ना, गाय बैल के गले में नीचे लटकने वाली खाल 3. एक प्रकार का मुग 4. ऊपर से पहनने का ऊनी वस्त्र 5. दीवार,- लम् जल। सम० --वाह्यकम् बहली (चारों ओर मोटे कपड़े से ढकी हुई गाड़ी
जिसमें बैल जुते हों)। कम्बलिका [ कम्बल-1-ई-कन्-+-ह्रस्वः, टाप् ] 1. एक
छोटा कंबल 2. एक प्रकार की मृगी। कम्बलिन् (वि०) [ कंबल+इनि ] कम्बल से ढका हुआ,
--(पुं०) बैल, बलीवर्द। सम०-वाह्यकम् बहली (मोटे कंबल से ढकी गाड़ी जिसमें बैल जुते हों),
बैलगाड़ी। कम्बो (वी) (स्त्री०) [ कम्+विन् बा० डीप् ] कड़छी,
चम्मच । कम्बु (वि०) (स्त्री० -बु या बू) चितकबरा, रंगविरंगा,
-बुः, --बु (पुं०, नपुं०) शंख, सीपी-स्मरस्य कम्बुः किमयं चकास्ति दिवि त्रिलोकी जयवादनीयः नै०२२।२२,–बु: 1. हाथी 2. गर्दन 3. चित्रविचित्र रंग 4. शिरा, शरीर की नस 5. कड़ा 6. नलीनुमा हड्डी। सम- कंठी शंख जैसी गर्दन वाली स्त्री, -प्रीवा 1. शंखनुमा गर्दन (अर्थात् शंख की भांति तीन रेखाओं से युक्त-यह चिह्न सौभाग्यसूचक समझा जाता है) 2. स्त्री जिसकी गर्दन शंख जैसी
) जो करता है या कराता है, दुःख, सुख, भय, --रः 1. हाथ-करं व्याधुन्वयाः पिबसि रतिसर्वस्वमधरम् -श० श२४ 2. प्रकाश-किरण, रश्मिमाला-यमद्धर्तुं पूषा व्यवसित इवालम्बितकर:-विक्रम० ४।३४, प्रतिकूलतामुपगते हि विधौ विफलत्वमेति बहुसाधनता, अवलम्बनाय दिनभर्तुरभन्न पतिष्यतः करसहस्रमपि - शि० ९१६ (यहाँ शब्द प्रथम अर्थ में भी प्रयुक्त हुआ है) 3. हाथी की संड,-सेक: सीकरिणा करेण विहितः--उत्तर० ३।१६ भर्त० ३।२० 4. लगान, शुल्क, भेंट--युवा कराक्रान्तमहीभदुच्चकरसंशयं संप्रति तेजसा रविः-शि० ११७० (यहाँ 'कर' का अर्थ 'किरण' भी है) (ददी) अपरान्तमहीपालव्याजेन रघवे करम् -- रघु० ४१५८.मनु ७।१२८ 5. ओला 6. २४ अंगूठे की माप 7. हस्त नाम नक्षत्र । सम०-- अग्रम् 1. हाथ का अगला भाग 2. हाथी के संड की नोक,- आघातः हाथ से की गई चोट,-आरोटः अंगठी,आलम्बः हाथ से सहारा देना, सहायक बनना -- आस्फोट: 1. छाती 2. थप्पड़,-कंटकः,-कम् नाखून, - कमलं,-पङ्कजम्, - पद्मम् कमल जैसा हाथ, सुन्दर हाथ-करकमलवितीर्णरम्बुनीवारशष्प:-उत्तर० ३।२५, --- कलशः,--शम् हाथ की अंजलि (पानी लेने के लिए),--किसलयः,-~-यम् 1. कोंपल जैसा हाथ, कोमल हाथ --करकिसलयतालमुग्धया नय॑मानम्
-उत्तर० ३।१९, ऋतु० ६।३० 2. अंगुलि, कोषः हथेली का गर्त, हस्तांजलि....पेयमंबु--घट० २२, ग्रहः,-ग्रहणम् 1. लगान या शुल्क लेना 2. विवाह में हाथ पकड़ना 3. विवाह, पाहः 1. पति 2. शुल्क लेने वाला,---जः नाखून-तीक्ष्णकरजक्षुण्णात्-वेणी० ४।१, इसी प्रकार अमरु ८५, (जम्) एक प्रकार का सुगंधित द्रव्य,--जालम् - प्रकाश की धारा,-तल: हथेलीबनदेवताकरतलै:--श० ४१४, करतलगतमपि नश्यति यस्य तु भवितव्यता नास्ति-पंच० २।१२४, आमलकम् (शा०) हथेली पर रक्खा हुआ आँवला--(आल.) प्रत्यक्षीकरण को सुगमता तथा स्पष्टता जैसा कि हथेली पर रक्खे फल के विषय में स्वाभाविक है-तु० करतलामलकफलवदखिलं जगदालोकयताम्-का० ४३,
स्थ (वि०) हथेली पर रक्खा हुआ,-सालः, तालकम् 1. तालियाँ बजाना-स जहास दत्तकरतालमच्चकैः-- शि० १५१३९ 2. एक प्रकार का वाद्य-यंत्र, संभवतः झाँझ,- तालिका, ताली 1. तालियां बजाना -उच्चाटनीयः करतालिकानांदानादिदानीं भवतीभिरेषः -नै० ३७ 2. तालियाँ बजा कर समय विताना, -तोया एक नदी का नाम,-द (वि०) 1. लगान या शुल्क देनेवाला 2. सहायक- करदीकृताखिलनृपा मेदिनीम-वेणी० ६।१८,-पत्रम् आरा,-पत्रिका स्नान
PAHARYANA
कम्बोजः [कम्ब-+-ओज] 1. शंख 2. एक प्रकार का हाथी 3.
(ब०व०) एक देश तथा उसके निवासी कम्बोजाः समरे
सोढुं तस्य वीर्यमनीश्वरा:-रघु० ४।६९ अने० पा० । कम्र (वि०) [कम्+र] मनोहर, सुन्दर । कर (वि.) (स्त्री०---रा,---री) [ प्रायः समास के अंत |
में ] [ करोति, कीर्यते अनेन इति, कृ (क)+अप् ] ।
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