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मण्डूकपाटितोदरसंनिभम्-काव्य० ७, अनवरतरुदितो- 2. गहरी सांस लेने वाला, आह भरने वाला 3. मिटने
च्छ्नताम्रदृष्टम्-दश० ९५ 2. मोटा 3. ऊँचा, उत्तुंग। वाला, मुाने वाला। उच्छृङ्खल (वि.) [उद्गतः शृङ्खलात:--ब० स०] 1. बेल- उज्जय (पि) नी [प्रा० स०] एक नगर का नाम, मालवा
गाम, अनियंत्रित, निरंकुश-वाचा-पंच० ३, अन्य- प्रदेश में वर्तमान उज्जैन, हिन्दुओं की सात पुण्यदुच्छङ्कलं सत्त्वमन्यच्छास्त्रनियन्त्रितम्-शि० २१६२ नगरियों में से एक, (तु० अवन्ति)-सौधोत्संङ्गप्रणय2. स्वेच्छाचारी 3. अनियमित, क्रमहीन ।।
विमुखो मा स्म भूरुज्जयिन्या:---- मेघ० २७ । उच्छेदः - दनम् [उद्+छिद्-+-घा, ल्युट वा] 1. काट | उज्जासनम् [उद्+जस्+णिच्+ल्युट् ] मारना, हत्या
कर फेंक देना 2. मूलोच्छेदन, उखाड़ देना, काम तमाम करना- चौरस्योज्जासनम्--सिद्धा। कर देना- सतां भवोच्छेदकरः पिता ते-रघु० १४१७४ | उज्जिहान (वि.) [ उद्+हा+शानच् ] ऊपर जाता 3. अपच्छेदन।
हुआ, (सूर्य की भांति) उदय होता हमा-उज्जिहानस्य उच्छेषः—षणम् [उद्+शिष्+घञ, ल्युट वा] अवशेष । भानो:----मुद्रा० ४।२१ 2. बिदा होता हुमा, बाहर उच्छोषण (वि०) [उद्+शुष+णिच्+ल्युट] 1 सुखाने जाता हुआ, जीवितां वराकीम्-मा० १० ।
वाला, मी देने वाला यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रि- उज्जम्भ (वि.) [ब. स.] 1. फंक भरा हुआ, फुलाया याणाम्-भग० २६८ 2. जलना,–णम् सुखा देना,
हुआ-उज्जम्भवदनाम्भोजा भिनत्त्यङ्गानि सङ्गना-सा० कुम्हलाना, मुझाना।
द० 2. दरारदार, खुला हुआ,-भः 1. विवर, फुलाव, उच्छ (च्छा) यः [ उद्+श्रि+अच्+घञ वा ] 1. फूंक मारना 2. तोड़ कर टुकड़े करना, जुदा२ करना
(तारों आदि का) उदय होना 2. उठाना, उत्थापन | उज्जम्भा-भणम् [ उद्+जम्भ+अ, ल्युट वा] 1. जम्हाई 3. ऊँचाई, उत्सेध (शारीरिक और नैतिक)-शृङ्गोच्छायः लेना 2. मुंह बाना, 3. फैलाना, वृद्धि । कुमुदविशदैयों वितत्य स्थितः खम्-मेघ० ६०, कि० उज्ज्य (वि.) [ उद्गता ज्या यस्य-ब० स०] वह धनु७।२७, ८।२३, 4. विकास, वद्धि, गहनता, गण -कि. घर जिसके धनुष की डोरी खुली हुई हो। ८।२१ नीतोच्छायम्-५१३१, 5. घमंड ।
उज्ज्वल (वि.)[उद्+ज्वल+अच] 1. उजला, चमकीला, उच्छयणम् [उद्+श्रि+ल्युट] उन्नयन, उत्थापन ।
कांतियुक्त-उज्ज्वलकपोल मखम-शि० ९८४८2. उच्छित (भू० क० कृ०)उद्+श्रि+क्त] 1. उठाया हुआ, प्रिय, सुन्दर-सर्गो निसर्गोज्ज्वल:-० ३१३६ 3.
उत्थापित 2. ऊपर गया हुआ, उदगत 3. ऊँचा, लंबा, फूंक भरा हुआ, फुलाया हुआ 4. अनियंत्रित,-ल उत्तुंग, उन्नत 4. पैदा किया हआ, जात 5. वर्धमान, प्रेम, राग,-लम् सोना।
समृद्ध, बढ़ा हुआ, वृद्धि को प्राप्त 6. अभिमानी। उज्ज्वलनम् [उद्+ज्वल-+ ल्युट्] 1. जलना, चमकना उच्छितिः =उच्छ्रयः
2. कान्ति, दीप्ति । उच्छ्वसनम् [उद् +श्वस्-+ ल्युट] 1. सांस लेना, आह | उज्म (तुदा० पर०) (उज्झति, उज्झित) 1. त्यागना, भरना 2. गहरी साँस लेना।
छोड़ना, तिलांजलि देना-सपदि विगतनिद्रस्तल्पमुजमांउच्छ्वसित (भू. क. कृ०) [उद्+श्वस्+क्त ] चकार-रघु० ५१७५, १।४०, ५१ आतपायोजिमतं
(कर्तरि प्रयोग) 1. गहरी सांस लेना, सांस लेना 2. धान्यम्-महा०, धूप में डाला हुआ 2. टालना, बचना मह से भाप बाहर निकालना 3. पूरा खिला हुआ, -उदये मदवाच्यमुज्झता- रघु०८1८४ 3. उत्सर्जन विवृत 4. तरोताजा-मेघ० ४२, 5. आश्वसित-उत्क- करना, बाहर निकालना- अविरतोज्झितवारिविपाठोच्छवसितहृदया-मेघ० १००,–तम 1. सांस, प्राण ण्डुभिः-कि० ५।६, शि० ४।६३। -सा कुलपतेरुच्छ्वसितमिव-श० ३, 2. प्रफुल्ल,
उज्मकः [ उज्झ्+ण्वुल ] 1. बादल 2. भक्त । फंक मारना 3. सांस बाहर निकालना-रघु०८।३, 4.
उसनम् [ उज्झ्+ल्युट ] त्यागना, दूर करना, छोड़ना। गहरी सांस लेना, उभार, धड़कन ५. शरीर में रहने
उञ्छ (तुदा० पर०) (उञ्छति, उंञ्छित) बालें इकट्ठी वाले पाँच प्राण।
करना, बीनना (एक-एक करके)-शिलानप्युञ्छतः उच्छवासः [ उद्+श्वस्+घञ ] 1. सांस, सांस अन्दर -मनु० ३।१०० खींचना, सांस बाहर निकालना-मखोच्छवासगन्धम् उञ्छः [उञ्छ-घा ] बालें इकट्ठी करना या अनाज के —विक्रम० ४।२२, ऋतु० ११३, मेघ० १०२ 2. प्राणों दाने बीनना, तान्युञ्छषष्ठाङ्कितसकतानि-रघु० ५।८, का आश्रय 3. आह भरना 4. आश्वासन, प्रोत्साहन मनु०१०१११२,---छम् बाले इकट्ठी करना। सम० ----अमरु ११, 5. फंकनी 6. पुस्तक का खंड या भाग -वृत्ति,-शील (वि०) जो शिलोंछन से अपनी (जैसे हर्षचरित का) तु० अध्याय ।
जीविका चलाता है, खेत में बचे अनाज के कणों कों उच्छवासिन (वि.) [उच्छ्वास-+-इनि] 1. सांस लेने वाला चुन कर पेट भरने वाला।
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