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( १८० ) ईश (वि.) ईश+क] 1. अपनाने वाला, स्वामी, थोड़ा सा ईषत चुम्बितानि-श०११३ । सम-उष्ण
मालिक, दे० नीचे 2: शक्तिशाली 3. सर्वोपरि,-शः (वि०) गुनगुना कर (वि०) 1. थोड़ा करने वाला 1. मालिक, स्वामी (संबं० के साथ या समास में); अनायास पूरा हो जाने वाला, -जलम उथला पानी, कथंचिदीशा मनसां बभूवः -कु० ३।३४ इसी प्रकार - पाण्डु (वि०) हल्का पीला, कुछ सफेद, --पुरुषः वागीश और सूरेश आदि 2. पति 3. ग्यारह ४. 'शव, अधम और घृणित व्यक्ति,---रक्त (वि०) पीला -शा 1. दुर्गा 2. ऐश्वर्यशालिनी स्त्री, धनाढ्य लाल, हल्का लाल,-लभ,-प्रलंभ (वि.) थोड़े से महिला। सम० -कोणः उत्तर पूर्वी दिशा,-पूरी, में सुलभ,--हासः थोड़ी हंसी, मुस्कराहट । -- नगरी बनारस, वाराणसी, · सखः कुबेर का ईषा [ ई+क+टाप् ] 1. गाड़ी की फड़, 2. हलस। विशेषण।
ईषिका [ ईषा+कन, इत्वम् ] 1. हाथी की आँख की ईशानः [ ईश् ताच्छील्ये चानश् ] 1. शासक, स्वामी, पुतली 2. रंगसाज की कुंची 3. हथियार, तीर, बाण ।
मालिक 2. शिव-कु० ७१५६ 3. सूर्य (शिव के रूप , ईषिरः [ ई+किरच ] अग्नि, आग। में) 4. विष्णु,-नी दुर्गा ।
ईषीका [ ईष्+क्वुन्, इत्वम्, दीर्घश्च ] 1. रंगसाज की इशिता-स्वम् [ ईशिनो भाव:-ईशिन्+तल+टाप, वल ! कंची, 2. ईंट 3. इषीका।
वा] सर्वोपरिता, महत्त्व, शिव की आठ सिद्धियों में ईष्मः,-व्व:--- इष्मः, इष्वः ।। एक, दे० 'अणिमन्' या 'सिद्धिः' ।।
ईह (भ्वा० आ०) (ईहते, ईहित) 1. कामना करना, ईश्वर (वि.) (स्त्री०--रा-री) 1. शक्तिसम्पन्न, चाहना, सोचना (कर्म० या तुमुन् के साथ )-भग०
योग्य, समर्थ ('तुमुन्' के साथ) कु०४।११, 2. धनाढ्य, १६।१२, भट्टि. ११११ 2. प्राप्त करने का प्रयत्न दौलतमंद,-र: 1. मालिक, स्वामी-ईश्वरं लोको- करना 3. लक्ष्य बनाना, प्रयत्न करना, प्रयास करना, ऽर्थतः सेवते-मद्रा० १३१४ 2. राजा, राजकुमार, कोशिश करना,--माधुर्य मधबिन्दुना रचयितुं क्षाराशासक 3. धनाढ्य पा बड़ा आदमी--मा प्रयच्छेश्वरे । म्बुधेरीहते-भर्त० २।६, याज्ञ० २।११६, सम् --1. धनम् हि. १२१५, तु० 'उलटे बांस बरेली को' 4.! कामना करना, इच्छा करना, 2. करने का प्रयत्न पति-कि० ९:३९, 5. परमेश्वर 6. शिव-विक्रम करना, कोशिश करना प्रियाणि वाञ्छत्यसभिः समी
२१ 7. कामदेव,-रा--री दुर्गा । सम-निषेधः हितूम-कि० १।१९। परमात्मा के अस्तित्व को न मानना, नास्तिकता, [ईह+अ] 1. कामना, इच्छा 2. प्रयत्न, प्रयास, चेष्टा --पूजक (वि०) पुण्यात्मा, भक्त,-सद्मन् (नपुं०) मनु० ९।२०५ । सम० --मुगः 1. भेडिया 2. नाटक मन्दिर,--सभम् राजकीय दरबार या सभा।
का एक खंड जिसमें ४ अंक होते है, परिभाषा के लिए ईष (म्वा० उभ०) (ईषति-ते, ईषित) 1. उड़ जाना 2.! दे०, सा० द० ५१८,-वृकः भेड़िया ।
देखना, नजर डालना 3. देना 4. मार डालना। ईहित (भू० क० कृ०) [ ईह, + क्त ] चाहा हुआ, खोजा विः [ई+क] आश्विन मास, तु० 'ई' ।
हुआ, प्रयत्न किया हुआ.--तम् 1. कामना, इच्छा 2. बित् (अव्य०) [ईष् +अति ] 1. जरा, कुछ सीमा तक, । प्रयत्न, प्रयास, 3. अध्यवसाय, कार्य, कृत्य-कि० १०२२॥
अत+] शिव का नाम, ओम् के तीन अक्षरों में मुख्य रूप से अथ (अथो),न (नो) और किम (अ--उ+म) में से दूसरा -दे० अ, -(अन्य) 1. (किमु) के साथ प्रयुक्त होता है, दे० शब्दों को। पूरक के रूप में काम में आने वाला अव्यय-उ उमेशः । उक्त (भू० क० कृ.) [वच्+क्त ] 1. कहा हुआ, बोला --सिद्धा. 2. निम्न अर्थों को प्रकट करने वाला विस्म- हुआ 2. कथित, बताया हुआ (विप० अनुमित या यादिद्योतक अव्यय, (क) पुकार,-उ मेति मात्रा तपसो संभावित) 3. बोला हुआ, संबोधित-असावनुक्तोनिषिद्धा पश्चादुमाख्यां सुमुखी बगाम-कु० ११२६(ख) ऽपि सहाय एव-कु. ३।२६ 4. वर्णन किया गया, कोष (ग) अनुकम्पा (घ) आदेश (ङ) स्वीकृति (च) बयान किया हुआ,–क्तम् भाषण, शब्दसमुच्चय, प्रश्न वाचकता या केवल (छ) पूरणार्थक; श्रेण्य साहित्य | वाक्य । सम--अनुक्त कहा और बिना कहा आ,
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