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( १७८ )
(पु.) [ई+क्विप्] कामदेव (अव्य०) (क) । उत्प्रेक्षमाणा जघनाभिघातम्----मद्रा० २, 2. अनुमान खिन्नता (ख) पीडा (ग) शोक (घ) क्रोध (ङ) . लगाना, अंदाज करना-किमत्प्रेक्षसे कुतस्त्योऽयमिति अनुकंपा (च) प्रत्यक्षज्ञान या चेतना ( छ) तथा - उत्तर०४, 3. विश्वास करना, सोचना-उत्प्रेक्षामो संबोधन की भावना को अभिव्यक्त करने वाला विस्म- वयं तावन्मतिमन्तं विभीषणम--रामा०, उद्वि..--, मुंह यादिद्योतक अव्यय ।
ताकना, उप-, 1. अवहेलना करना, नजर अंदाज करना, (क) (दिवा० आ० ) (ईयते) जाना (ख) (अदा०
परवाह न करना;-उत्प्रेक्षते यः श्लथलम्बिनीजंटा:-कू० पर०) 1. जाना 2. चमकना 3. व्याप्त होना 4. चाहना,
५।४७, रघु० १४१३४, 2. भाग जाने देना, जाने देना, कामना करना 5. फेंकना 6. खाना 7. प्रार्थना करना
टालमटोल करना;-नोपेक्षेत क्षणमपि राजा साहसिकं (आ०) 8. गर्भवती होना।
नरम्-मनु० ८।३४४, 3. ध्यान से देखना, विचारना,
निर्-, 1. टकटकी लगाकर देखना, पूरी तरह से ईल (भ्वा० पर०) (ईक्षते, ईक्षित) 1. देखना, ताकना,
देखना, --धेन्वा ...."निरीक्षमाणः सुतरां दयालु: आलोचना करना, अवलोकन करना, टकटकी लगा कर
- रघु० २।५२, भग० ११२२, मनु० ४।३८, 2. दंढना, देखना या घूरना 2. खयाल रखना, विचारना, सम
खोजना निरीक्षते केलिवनं प्रविश्य क्रमेलकः कंटकशना-सर्वभूतस्थमात्मानं ... ईक्षते योगयुक्तात्मा
जालमेव-विक्रमांक०, परि-, 1. जांच करना, ध्यान--भग० ६।२९, 3. हिसाब में लगाना, परवाह करना
पूर्वक जांच पड़ताल करना—अत: परीक्ष्य कर्तव्यं -नाभिजनमीक्षते-का. १०४,न कामवृत्तिर्वचनीय- |
विशेपात्संगतं रह:- श० ५।२४, मालवि० ११२, मनु० मीक्षते---कु० ५।८२ 4. सोचना, विचार करना
९।१४, 2. परीक्षण करना, जाँच करना, परीक्षा तत्तेज ऐक्षत बहुस्यां प्रजायेय- छा० 5. सावधान
लेना--मायां मयोद्भाव्यपरीक्षितोऽसि-रघु० २०६२, रहना या किसी के भले बुरे का ध्यान करना (सम्प्र० के साथ)--कृष्णाय ईक्षते गर्ग:-सिद्धा० ( शुभाशुभं
यत्नात्परीक्षितः पुंस्त्वे-याज्ञ० ११५५, पौरुष के विषय में पर्यालोचयति इत्यर्थः) अधि----, आशंका करना
ध्यानपूर्वक जाँचा गया, प्र-', देखना, ताकना, प्रत्यक्ष कुहकचकितो लोक: सत्येप्यपायमधीक्षते-हि०४११०२,
करना---तमायान्तं प्रेक्ष्य-पंच० १, रघु० १२१४४, अने० पा०, अनु --ध्यान में रखना, खोज करना,
कु. ६।४७ मनु०८।१४७ प्रति-, इन्तजार करना
-संपत्स्यते वः कामोऽयं काल: कश्चित्प्रतीक्ष्यताम्-कु० हूंढना, पूछ-ताछ करना, अप-, 1. प्रतीक्षा करना,
२१५४ मनु० ९।७७, प्रतिवि-प्रत्यवलोकन करना, इंतजार करना-न कालमपेक्षते स्नेहः मच्छ० ७,
वि.--, देखना, ताकना,-तं वीक्ष्य वेपथुमती-कु. कु० ३।२६ 2. आवश्यकता होना, जरूरत होना, कमी ।
५।८५, व्यप-, ध्यान करना, खयाल रखना, सम्मान होना-शब्दार्थों सत्कविरिव द्वयं विद्वानपेक्षते-शि०। २२८६, विक्रम० ४।१२, कु. ३।१८ 3. सावधान
करना (प्रायः 'न' के साथ)-न व्यपक्षत समुत्सुका: रहना, खयाल रखना, ध्यान रखना–किमपेक्ष्य फलम्
प्रजा:-रघु० १९।६, सम्-, 1. देखना, ताकना
2. चिन्तन करना, विचार करना, हिसाब में लगाना कि० २।२१, यतः शब्दोऽयं व्यञ्जकत्वेऽर्थान्तरमपेक्षते
-तेजसां हि न वयः समीक्ष्यते-रघु० ११११, कु. -सा० द०४, हिसाब में लगाना, सोचना, विचार करना, आदर करना (प्राय: 'न' के साथ)- तदानपेक्ष्य
५।१६, 3. ध्यानपूर्वक जांचना-असमीक्ष्यकारिन्, स्वशरीरमार्दवम्-कु० ५।१८, अभिवि--, की ओर
समव -", 1. देखना, निरीक्षण करना, 2. सोचना देखना, अव-, 1. दृष्टि डालना, प्रेक्षण करना, अव
समुप-, अवहेलना करना, निरादर करना-.-दे० 'उप'
ऊपर। लोकन करना 2. निशाना लगाना, ध्यान में रखना
-यत्स्यिमानानवेक्षऽहम-भग० श२८. सम्मान | ईक्षकः [ ईक्ष+पल ] दर्शक। करना-रघु० ३।२१, त्रिदिवोत्सुकयाप्यवेक्ष्य माम ईक्षणम् [ ईक्ष् + ल्युट् ] 1. देखना, ताकना 2. दृष्टि, दृश्य --८६०, मेरे सम्मान की खातिर 3. रखवाली करना,
3. आँख---इत्यदिशोभाप्रहितेक्षणेन-रघु० २।२७, रक्षा करना-श्लाघ्यां दुहितरमवेक्षस्व-उत्तर० १,
इसी प्रकार 'अलसेक्षणा' ! 4. सोचना, विचारना-यदबोचदवेक्ष्य मानिनी-कि० ईक्षणिकः [ ईक्षण+ठन् ] ज्योतिपी, भविष्यवक्ता । २॥३, उद्-, 1. ढूंढ़ना, खोजना, देखना--सप्रणाम- ईक्षतिः [ ईक्ष् + शतिप् ] देखना, दृष्टि--ईक्षतेन शब्दम् मुदीक्षिताः--कु. ६७, ७६७, 2. प्रतीक्षा करना --ब्रह्म० । --त्रीणि वर्षाण्युदीक्षेत कुमार्यतुमती सती--मनु०९। ईक्षा [ ईक्ष्--अ+टाप्] 1. दृश्य 2. नजर डालना, ९०, उत्प्र--, 1. आशा करना, भविष्य में देखना, विचार करना।
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