SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1359
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1350 ) सज (वि.) [सज्ज अच्] 1. सूत में पिरोया हुआ ---संश्रयः सच्ची प्रतिज्ञा,-सङ्कल्प (वि.) जिसका प्रयोजन या धारणा सत्य है। सञ्चक: [ सम+चि+ड, स्वार्थकन ] साँचा (जैसा कि | सत्रन्यायः मीमांसा का एक नियम जिसके आधार पर एक इंट पाथने वाले प्रयुक्त करते हैं)। से अधिक स्वामियों द्वारा अनुष्ठान होने पर यज्ञ में सञ्चारः [सम्+च+णिच्+घञ ] 1. मुग्ध करना एक ही स्वामी को प्रतिनिधित्व दिया जाता है-मी० -संचारः श्रवणदर्शनाम्यां परमोहनम्-महा० सू०६।३।२२ पर शा० भा० / 12 / 59 / 48 पर भाष्य 2. (जंगली जानवरों के) सत्रिन (पुं०) [ सत्र+इनि ] सहयोगी, सहपाठी। पदचिह्न / सदर्थः मुख्य विषय या प्रकरण / सञ्चष्कारयिषु (वि.) शौचसंबंधी धर्मकृत्यों का अनुष्ठान | सद् [ सद्+क्विप् ] सभा--भाग० 7.1021 / कराने का इच्छुक / सदोजिरम् [ सदस्+अजिरम् ] दालान, दहलीज / सजनन (वि.) [सम्+जन् + ल्युट्] पैदा करने वाला, | सबसस्पतिः [ अलुक् समास ] सभापति / उत्पादक / सदोत्यायिन् (वि०) सदैव सक्रिय / सजातनिर्वेद (वि.) खिन्न, अवसन्न, उदास / सदाभव (वि.) सदा रहने वाला, शाश्वत / सजातविधम्म (वि. विश्वस्त, भरोसे वाला। सदृक्षविनिमय (वि०) समान विषयों में भूल करने वाला। सञ्जए (म्वा० पर०) प्रतिवेदन देना, वक्तव्य देना। सद्धर्मः वास्तविक कर्तव्य। संजिहान ( वि० ) [सम्+हा+शानच् बातोद्वित्वम्] | समस्कार (वि०) तुरन्त ही अनुष्ठित होने वाला। त्यागने वाला, छोड़ने वाला। सद्यस्प्रक्षालक (वि०) जिसके पास केवल एक ही दिन की संशक (वि.) [संज्ञ+कन् ] नाश करने वाला—कदा भोजन सामग्री विद्यमान है—सद्य: प्रक्षालको वा वयं करिष्यामः संन्यासं दुःखसंजकम् --महा. स्यान्माससंचयिकोपि वा-मनु०६।१८ / 12 / 279 / 3 / सनत्सुजातः ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में एक / संज्ञपित (वि.) [सम्+ज्ञान-णिच्+क्त, पुकागमः] बलि | सनत्सुजीयम् महाभारत का एक अध्याय जिसमें सनत्सुजात दिया गया, नष्ट किया गया--भाग०४।२८।२६।। का दार्शनिक व्याख्यान निहित है। संज्ञा सम्+ज्ञा+क] 1. पगडंडी, पदचिह्न 2. दिशा | सनातनधर्मः वेदों में प्रतिपादित अत्यन्त प्राचीन धर्म / 3. पारिभाषिक शब्द। सनिकारः (वि०) अपमानजनक / संहासूत्रम् वह सूत्र जिसके आधार पर किसी पारिभाषिक | सन्तानक: [ सम+तन+घा+कन 1 1. स्वर्ग के पाँच शब्द का निर्माण होता है। वृक्षों में से एक, कल्पतरु या उसका फूल 2. लोकसटाक्षेपः अयाल (केसर) का लहराना-सटाक्षेपक्षिप्त- | विशेष। नक्षत्रसंहतिः-दुर्गा० 7 // | सन्तोषणम् [सम्+तुष् +णिच् + ल्युट ] सुख देना, सतोद (वि०) पीडित, चुभन जैसी पीडा से ग्रस्त / प्रसन्नता देना, संतुष्ट करना / सरिक्रया समारोह, अनुष्ठान / सन्तण्ण (वि०) [ सम् +-तृद्+क्त ] संयुक्त, मिलाकर सत्तम (वि०) उत्तम, श्रेष्ठ (समस्त शब्दों के अन्त में | बांधा हुआ। प्रयुक्त जैसे - आचार्यसत्तमः) / सन्तारः [ सम् +त+घञ 1 1. पार करना 2. तीर्थ, सत्त्रम् [ सद्-प्ट्रन् ] बनावटी रूप, छद्मवेष / घाट। सत्तिन् (पुं०) [ सत्त्र-+ इनि ] 1. सहपाठी कौ० अ० | सन्दंशः / सम्+दंश् +अच ] 1. पुस्तक का एक अनुभाग 1111 2. विदेशस्थ राजदूत। 2. गाँव का एक किनारा। सत्त्वम् [ सत्+त्व ] 1. बुद्धि 2. सूक्ष्म शरीर / सन्दानम् [सम्+दो+ल्युट ] हाथी के गण्डस्थल का वह सत्त्वतनः विष्णु का विशेषण / भाग जहाँ से दान झरता है। सत्त्वयोगः 1. मर्यादा 2. जीवन-प्रकाशन, प्राण प्रदान | सन्देशपदानि संदेश के शब्द / -चित्रे निवेश्य परिकल्पितसत्त्वयोगा --श० 2010 / / सन्दिग्धपुनरुक्तत्वम (अलं०) अनिश्चयता के कारण दोबारा सत्यम [ सत+यत ] 1. मोक्ष 2. सचाई 3. निष्कपटता कहना। 4. पवित्रता 5. प्रतिज्ञा 6. जल 7. ईश्वर। सम० | सन्देहालङ्कारः अलंकार विशेष जिसमें संदेह बना रहता है। -आश्रमः संन्यास,—किया, शपथ ग्रहण करना, सन्देह्य (वि०) [ सम् +दिह.+ण्यत् ] संदिग्ध, संदेह से -- भैदिन (वि.) प्रतिज्ञा भंग करने वाला,---मानम पूर्ण। बास्तविक माप,-लौकिकम आध्यात्मिक और भौतिक सन्दुब्ध (वि.) [सम्+द+क्त ] मिलाकर धागे में विषय, वादिन् (वि.) सच बोलने वाला, पिरोया हुआ। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy