________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1349 ) संस्था (भ्वा० आ०-प्रेर०) 1. (नगर) निर्माण करना / सक्लप (भ्वा० आ०) और्ध्वदेहिक कृत्य करना / अन्त्येष्टि 2. पुनः स्थापित करना 3 दाह संस्कार करना, | करना। (जैसे अस्थिस्थापनम् ) अस्थि प्रवाहित करना, या | सङ्कल्पप्रभव (वि०) इच्छा से ही उत्पन्न, मानस-संकल्प. जल समाधि देना। प्रभवान् कामान् भग० / संस्था [सम्+स्था--अङ+टाप् ] 1. सहमति कृता | सङ्कल्पमूल (वि.) किसी इच्छा पर आधारित / संस्थामतिक्रान्ता:---रा० 4 / 57 / 18 2. दाह संस्कार | | सङक्रन्धः[सम्+क्रन्द +घञ] 1. युद्ध, लड़ाई 2. विलाप / 3. सिपाही, गुप्तचर। | सङ्क्रमणम् (सम् + क्रम् + ल्युट] मृत्यु-रा० 2 / 13 / 12 / संस्थावृक्षः गमले में लगा पौधा को० अ० 120 / / सङक्रोशः[सम-ऋश+घा ] ऊँचे स्वर से विलाप संस्थानम् [ सम् + स्था+ल्युट ] 1. सरकार को संस्थित करना। रखने का कार्य-कौ० अ० 27 2. भाग, प्रभाग, | सक्लिष्ट ( वि. ) [ सम्+क्लिश्+क्त 11. जिस पर खंड 3. सौन्दर्य, कीर्ति / खरोंच आ गई हो 2. जिस पर धब्बा आदि पड़ गया संस्थित (वि.) [सम्+स्था+क्त] सुव्यवस्थित संस्थि- हो, धूमिल, मलिन। तदोविषाणः-रा० 3 / 31 / 46 / सञ्जयः [सम् +क्षि+अच्] 1. शरणागार, घर 2. मृत्यु / संस्थितिः (स्त्री०) [ सम्+स्था-क्तिन् ] 1. एक ही | सङ्क्षपः [सम् -क्षिप्+घञ्] विनाश / अवस्था में पंक्ति बद्ध रहना 2. महत्त्व देना 3. रूप, सक्षोभणम् सिन्+क्षभ+ल्यूट] शोक का प्रबल आघात, शक्ल 4. सातत्य, नैरन्तर्य / धक्का / संहत (वि०) [ सम् + हन्-।-क्त ] 1. सुदृढ़ अंगों वाला सङ्ख्या [सम् +ख्या +-अङ+टाप्] 1. युद्ध, लड़ाई 2. नाम 2. मारा गया। 3. ज्यामितिपरक शंकु / संहतहस्त (वि.) एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए। सङ्ख्यापदम् अंक। संहतिः [सम्-हिन् + क्तिन् ] 1. संधि, (क सङ्गम् (भ्वा० आ० प्रेर०) 1. दे देना, सौंप देना 2. हत्या सीयन 2. मोटा होना, सूजन / करना। संह (म्वा० पर०) विपथगामी करना, भटकाना, भ्रष्ट | सङ्गतगात्र (वि०) जिसके शरीर में झुर्रियां पड़ गई हैं, या करना-शूरान् भक्तानसंहार्यान्–महा० 12157 / सिकुड़ गया है। 23 पर भाष्य। सङ्गतिः [सम् + गम् +क्तिन्] (मोमांसा०) अधिकरण के संहाररुद्रः संहार करने वाला रुद्र देवता / / पाँच अंगों में से एक। सकर (दि०) 1. कर युक्त, हाथों वाला 2. कर लगाने सङ्गप्तिः सम् +गुप्+क्तिन्] 1. प्ररक्षण 2. गोपन, गुप्त योग्य 3. किरणों से युक्त / रखना। सकीलः वह पुरुष जो इतना पुंस्त्वहीन है कि स्वयं संभोग सङ्गोपनम् [सम् +गुप् + ल्युट्] सर्वथा गुप्त रखना। पूर्व अपना स्त्रा को परपुरुष के पास | सङ्ग्रहः [सम् + ग्रह +अप्] छोड़े हुए शस्त्रास्त्रों को वापिस भेजता है। ग्रहण करना। सकृत्स्नायिन् (वि.) केवल एक बार स्नान करने वाला सङ्ग्रामकर्मन् (नपुं०) युद्ध करना, लड़ाई लड़ना। -- मनु० 11 / 214 / समाममूर्धन् (पुं०) युद्ध का अग्रिम क्षेत्र / सकृदाहृत (वि.) जो राशि एक किश्तों में न चुकाकर सङ्घवृत्तम् निगम आदि संकायों का मिलकर कार्य करने का एकमुश्त चुकाई गई हो / ढंग (आचरण) कौ० अ० 11 / / सकृदयतिः संभावनामात्र, केवल एक ही विकल्प / सञ्जातः सम्+हन्-घा] 1. बहाव- यस्य शोणितसकृतिभात (वि.) जो तुरन्त प्रकट हो गया है। संङ्घाता-महा० 12 / 98 / 31 2. कठोर भाग 3. युद्ध सगतिक (वि.) संबंधबोधक अव्यय से जुड़ा हुआ। 4.हड्डी . गहनता . समूह / सङ्कटहरचतुर्थी गणेश की पूजा करने का शुभ दिन माष | सङ्घातचारिन् (वि.) समूह में मिलकर चलने वाला। कृष्ण या भाद्रकृष्ण चतुर्थी। सञ्जातमृत्युः सबकी एकदम मृत्यु / सङ्कालनम् [सम-कल-1-णिच --ल्यट] दाहसंस्कार। सङ्घातशिला कड़ा पत्थर जिसपर (नारियल जैसी) वस्तुएँ सङ्कर्षणः [सम् + कृष् + ल्युट्] अहंकार / तोड़ी जाती हैं, पत्थर जैसा कठिन पदार्थ / सङ्करः [सम् + अच गोबर / सङ्घर्षः [सम्+ष+घञ्] 1. शत्रुता 2. कामोत्तेजना। सरज ) (वि.) जिसके मातापिता भिन्न-भिन्न जाति | सङ्घर्षा तरल लाख। सङ्करजात (के हों, मिश्र मातापिता की सन्तान / सचराचर (वि.) चल तथा अचल वस्तुओं समेत / सडूरीकरणम् जातियों का मिश्रण / सजागर (वि०) जागरूक, सावधान, सतर्क / For Private and Personal Use Only