________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शिक्यपाशः छींका लटकाने के लिए रस्सी। शीर्षछेदिक 1 (वि०) फांसी पर चढ़ाये जाने के योग्य, शिक्षा [ शिक्ष-+अ+टाप ] 1. दण्ड 2. गुरु के निकट शीर्षछेद्य ---शीर्षच्छेद्यः स ते राम तं हत्वा जीवय विद्याभ्यास 3. उपदेश 4. सलाह / सम०-आचार द्विजम्- उत्तर० // 28 // (वि०) (गुरु के) उपदेशों के अनुसार आचरण करने ! शीर्षत्राणम् शिरस्त्राण, टोप / वाला। शीर्षपट्टकः दुपट्टा, साफा, पगड़ी। शिखण्डकः [ शिखण्ड-कन् ] 1. कुल्हे के नीचे शरीर का | | शुकसप्ततिः एक तोते के द्वारा अपनी स्वामिनी को सुनाई मांसल भाग 2. शैववाद में मुक्ति की एक विशेष गई सत्तर कहानियों का संग्रह / अवस्था। शुक्रम् [शुच्+रक्, नि० कुत्वम् ] 1. उज्ज्वलता 2. सोना शिखाबन्ध सिर के बालों का गुच्छा, चोटी बांधना। दौलत 3. वीर्य 4. किसी चीज का सत् 5. पुंस्त्वशिखिन (वि०) [शिवा / इनि ] 1. नोकदार 2. चोटी- शक्ति, स्त्रीत्वशक्ति। सम-कृच्छम् मूत्रकृच्छ धारी 3. ज्ञान की चोटी पर पहुँचा हुआ 4. अभिमानी रोग,--दोषः बीर्य का दोष / (पु०) 1. मोर 2. अग्नि / सम० कण: आग की शुक्लम [शुच्+लुक्, कुत्वम्] 1. उज्ज्वलता 2. श्वेत धब्बा चिनगारी,-भूः स्कन्द का नाम, मृत्युः कामदेव / / | 3. चाँदी 4. आँख की सफेदी का रोग / सम-जीव: शिलाक्षरम् 1. प्रस्तरमुद्रण, पत्थर के द्वारा छापने की प्रक्रिया | एक प्रकार का पौवा,--देह(वि.)पवित्र शरीर वाला। 2. शिलालेख, पत्थर पर खुदवाया हुआ अनुशासन / शचियन्त्रम् एक मशीन जिसके द्वारा आतिशबाजी का शिलानिर्यासः शिलाजतु, शीलाजीत / प्रदर्शन किया जाता है। शिलाशित (वि०) पत्थर पर बनाया हुआ। शुचिश्रवस् (पुं०) विष्णु का नाम / शिलीपदः पादस्फीति, फील पाँव रोग। शुचिषद् (वि.) सन्मार्ग पर चलने वाला। शिल्पाहम शिल्पकार का कारखाना, कारोगर के काम शुण्डमूषिका छछुन्दर / / करने का स्थान। शुण्डादण्डः हाथी का सूड / शिल्पजीविन (वि०) कारीगरी का काम करके जीविको- | शुद्ध (वि०) [शुध+क्त] 1. जांचा हुआ, आजमाया पार्जन करने वाला व्यक्ति, शिल्पी। हुआ, परीक्षित 2. पवित्र, निष्कलंक 3. ईमानदार, शिव (वि०) [ शो-वन् पृषो०] 1. शुभ, मंगलमय, धर्मात्मा 4. विशुद्ध, खलिस जिसमें कुछ मिलावट सौभाग्यसूचक 2. स्वस्थ, प्रसन्न, भाग्यशाली, (पुं०) न हो (विप० मिथ)। सम० -- अद्वतम् अद्वैत की 1. हिन्दुओं के त्रिदेव में से तीसरा 2. पारा 3. सुरा, वह स्थिति जहाँ कि जीव और ईश्वर का सायज्य स्पिरिट 4. समय 5. तक्र, छाछ / सम० अद्वतः मायारहित माना जाता है-बोध (बि०) (वेदान्त०) विवाद का दर्शनशास्त्र, अकमणिदीपिका अप्पय- विशुद्ध ज्ञान से युक्त, भाव (वि०) पवित्र मन दीक्षित द्वारा रचित शैववाद पर एक ग्रन्थ,-काम- वाला, विष्कम्भकः नाटक का वह भाग जहाँ केवल सुन्दरी पार्वती का विशेषण, पदम मोक्ष, मुक्ति, संस्कृत बोलने वाले पात्र ही दिखाई दें। बीजम पारा। शुद्धिः [ शुच्-|-क्तिन् ] (गणित० में) शेष न छोड़ना / शियिषा [ शी+सन् / अङ-टाप् धातोद्वित्वम् ] सोने | शुभमङ्गलम् सौभाग्य, कल्याण, अभ्युदय / की इच्छा। शुल्काध्यक्षः चुंगी का अध्यक्ष / शिशिरमथित (वि०) सर्दी से ठिठुरा हुआ। शुल्बसूत्रम सूत्रग्रन्थ जिसमें श्रोत यज्ञकृत्यों की विविध शिशः [ शो+कु, सन्वद्भाव:, द्वित्वम् ] 1. वचा, बाल गणनप्रक्रिया समाविष्ट है। 2. किस, भी जन्तु का बच्चा (बछड़ा, पिल्ला, | शुष्ककासः सूखी खाँसी। बिलौटना आदि) 3. छठे वर्ष में हाथी। सम शुष्करुदितम् ऐसा रोना अिसमें आँसू न आयें। -नामन् (पुं०) ऊँट / शूकः [ शिव+कक्, संप्रसारणम् ] 1. प्रकिण्व, सुरामण्ड शिश्नम्भर (वि.) विषयी, कामलोलुप / 2. खमीर। शिष्टविगर्हणम बुद्धिमान व्यक्तियों द्वारा की जाने वाली | शूद्रः [शुच+रक, पृषो० चस्य दः दीर्घश्च ] हिन्दु समाज निन्दा। में चौथे वर्ण का पुरुष (कहा जाता है कि वह पुरुष शिष्टसम्मत (वि.) विद्वान् पुरुषों द्वारा माना हुआ। के पैरों से उत्पन्न हुआ --पद्भ्यां शूद्रोऽजायत-ऋ० शीघ्रकेन्द्रम ग्रहसंयोग से दूरी, फासला / 10 / 10 / 12 / ) / सम०-अन्नम् शूद्र द्वारा दिया शीघ्रपरिधिः (पुं०) ग्रहसंयोग का अधिक। गया या परोसा गया भोजन,-धन (वि.) शूद्र शीफर (वि.) 1. मनोरम, रमणीय 2. आनन्दप्रद, की हत्या करने वाला,-वृत्तिः शूद्र का व्यवसाय, सुखमय। __ संस्पर्शः शूद्र से छू जाना। For Private and Personal Use Only