________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1346 ) पूरः [शूर+अम्] 1. नायक, योद्धा 2. शेर 3. रीछ | शौण्डीर्यम् [ शौण्डीर+व्या ] 1. प्रवीरता, पराक्रम 4. सूर्य 5. साल का वृक्ष 6. मदार का पौधा | 2. अभिमान, धमंड। 7. चित्रक वृक्ष 8. कुत्ता 1. मुर्गा / सम०-वावः | शौर्यकम् (नपुं०) शूरवीरता का कार्य / बौदों का अनस्तित्व सिद्धांत / | शोव (वि०) [श्वन्+अण, टिलोपः] आगामी कल से शूल: [शूल +क] 1. विक्रय 2. बेचने योग्य पदार्थ संबंध रखने वाला। 3. नोकदार हथियार 4. लोहे की सलाख (जिस पर | श्मश्रकरः नाई, हजामत बनाने वाला। रख कर मांस भूना जाता है) 5. किसी भी प्रकार श्मश्रुशेखरः नारियल का पेड़। का दर्द 6. मृत्यु / सम०-अङ्कः शिव का विशेषण श्यामः [श्य+मक ] तमाल का पेड़। ---ये समाराध्य शूलाडू-महा० 107 / 47,-- अवतं श्यामवल्ली काली मिर्च / / सित (वि०) सलाख पर लटकाया हुआ, सूली पर | श्यामा दुर्गादेवी का तान्त्रिक रूप / चढ़ाया हुआ,-आरोपः सूली पर चढ़ाना। श्येनकपोतोय (वि.) आकस्मिक संकट / शूल्यमांसम् भुना हुआ मांस / श्येनपातः बाज़ का झपट्टा / शूव (वि.) [ शूष्+अच् ] 1. गुंजायमान 2. साहसी। श्रद्धाजाडयम् अंध विश्वास / भृङ्गम् [श+गन् मुम् ह्र स्वश्च ] 1. सींग 2. पर्वत की श्रद्धेय (वि०) [श्रत् + धा+ण्यत् ] विश्वासपात्र,-श्रद्धेयाः "चोटी 3. ऊंचाई 4. स्त्री का स्तन 5. एक विशेष | विप्रलब्धारः-कि० 11 // 35 / प्रकार का सैनिक व्यूह। सम-प्राहिका 1. प्रत्यक्ष | श्रम (प्रेर०--श्र-श्रामयति) 1. थकाना 2. जीतना, हराना। रीति 2. (तक० में) एक पक्ष लेना। श्रमविनोदः क्लांति दूर करना, विश्राम करना। श्रुङ्गिन् (वि.) [शृङ्ग+इनि ] सींगों वाला जानवर | श्रमात (वि.) थक कर चूर-चूर, थकान से पीड़ित / (J0) बैल। श्रवपत्रम् कान की बाली। भूतपाक (वि.) पूर्णत: पका हुआ। श्रवणम्,-णः [श्रु+ ल्युट् ] 1. कान 2. त्रिकोण की एक भूतशीत (वि.) उबाल कर ठंडा किया हुआ। रेखा 3. सुनने की क्रिया। सम-पुटकः कर्णविवर, शेषः [शिष्+अच् ] 1. अङ्गभूत वस्तु 2. प्रसाद, पूरकः कान की बाली, कर्णफूल,-प्राणिकः श्रवण कृपा। गोचर वस्तु, कानों में आना, भूत (वि० ) कहा शेषाचल: / तिरुपति की पहाड़ियाँ। गया। शेषाद्रिः / श्रावमित्रः श्राद्ध के द्वारा बनाया गया मित्र / शक्यः [शिक्य+अण ] 1. एक प्रकार का गोफिया 2. लट- | धाशाह (वि०) श्राद्ध के लिए उपयुक्त / काया हुआ बर्तन / श्राद्धय / शौषिल्यम शिथिल+व्यञ] 1. अस्थिरता 2. शिथिलता, श्रावकः [श्रु+ण्वुल ] वह ध्वनि जो दूर से सुनी जाय। ___ सुस्ती 3. (दृष्टि की) शून्यता 4. अवहेलना / श्रितक्षम (वि०) स्वस्थ, शान्त / शेलगुरु (वि०) पहाड़ जैसा भारी। श्रितसत्त्व (वि.) जिसने साहस का आश्रय लिया है, शैलबीजम् भिलावा। साहसी, दिलेर। शैलूषी [ शिलुष+अण्-डीप ] नटी, नर्तकी। श्री [श्रि+क्विप, नि० दीर्घः ] वेदत्रयी, तीनों वेद / शोकनिहत / (वि.) शोकपीड़ित, गम का मारा। श्रीमुकुटम् सोना, स्वर्ण। शोकहत श्रीमत् (पुं०) 1. तोता 2. साँड / शोणः [ शोण+अच् ] लाल / अतिः[श्रु+क्तिन् ] 1. वाणी 2. कीर्ति 3. उपयोग, लाभ शोणितप (वि.) [शोणित+पा+क] रुधिर पीने वाला। 4. विद्वत्ता, पांडित्य / ममः अर्थः वैदिक अर्थसचन, शोणितपित्तम् रुधिरस्राव / -जातिः नाना प्रकार के दिकस्वर, दूषक (वि.) शोषः [ शुध+धा ] शुद्धि, सफ़ाई, विरेचन / कानों को कष्ट देने वाला,-वेषः कान बींधना-शिरस शोषनम् [शुध-णिच् + ल्युट ] 1. मार्जन, परिष्करण उपनिषदें - श्रुतिशिरस्सीमन्तमुक्तामणिम् -- प्रताप० 2. पाप अपराषादि से शुद्धि / शोभनाचरितम् सुन्दर आचरण, सदाचरण / श्रेयोभिकाशिन् (वि.) कल्याण चाहने वाला। शोली वनहरिद्रा, पीली हल्दी। श्रेष्ठवेषिका कस्तूरी। शोषयित्नुः [ शुष+इत्नुच् ] सूर्य / श्रेष्ठान्वयः (वि.) उत्तम कुल में उत्पन्न / शोळ्यः 1. गरुड़ 2. बाज, श्येन / श्रोणिबिम्बम गोल नितम्ब--श्रोणिबिंबचलदम्बरं भजत शौचम् [शुचि+अण 1(तर्पण के लिए) जल। रासकेलिरसडम्बरम्-नारा० / For Private and Personal Use Only