________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1343 ) व्यासपूजा गुरु और व्यास की पूजा जो आषाढ़ी पूर्णिमा व्रजभाषा मथुरा के आस-पास बोली जाने वाली भाषा / को होती है। व्रतः,-तम [वज्+घ, जस्य तः मानसिक क्रिया कलाप व्याससमासौ (द्वि०व०) वैयक्तिक तथा सामहिक रूप से।। व्रतमिति च मानसं कम उच्यते--मी० सू० 6 / 220 व्युत्क्रान्तजीवित (वि०) मत, निर्जीव / पर शा० भा०। सम०-धारणम एक धार्मिक व्युत्था (भ्वा० आ०) 1. जीत लेना 2. दूर करना। व्रत का धारण करता। व्युपरत (वि.) [वि + उप-रम् + क्त] विश्रान्त, समाप्त, व्रात्यकाण्डः अथर्ववेद का एक काण्ड / मत / प्रात्यचर्या आहिण्डक या अवधूत का जीवन / व्यूहविभागः सेना को भिन्न-भिन्न व्यहों में बाँटना। वीडादानम संकोच एवं नम्रतापूर्वक दिया गया उपहार / व्येक (वि०) जिसमें एक कम हो / वीहिवापम चावल की पौधा लगाना / व्योमरत्नम् सूर्य। बलेटकः पाश, जाल। व्योमसंभवा चितकबरी माय / शंस (म्वा० पर०) उन ऋग्मन्त्रों में स्तुति गान करना जो। --कुलम् रिपु का घर,-लाव (वि.) शत्रुओं को गायन के लिए निर्धारित नहीं किये गये--अप्रगीतेष मारने वाला। शंसति-मै० सं०७।२।१७ पर शा० भा०। | शनिचक्रम् ‘शनि की स्थिति से' शुभाशुभ जानने का एक शंसित (वि.) [शंस्+क्त] ध्यान दिया गया या मान आलेख, चित्र। लिया गया -जैसा कि “शंसितव्रतः" में। शपित (वि०) [शप्+क्त शाप दिया हुआ। शंस्य (वि.) [शंस्+ण्यत्] 1 प्रशंसा के योग्य 2. ऊंचे शपथकरणम् शपथ उठाना। स्वर से पठित / शपथपूर्वकम् (अ.) शपथ उठाकर (कहना या करना)। शकटव्यूहः एक विशेष प्रकार का सैनिक व्यूह / शफरकः पेटी, बर्तन-हर्ष० 4 / / शकुलादनी 1. भूकीट, केंचुआ 2. एक जड़ीबूटी (कटकी)। शब्दः शब्द-घा] 1. आवाज़ (श्रुति विषय और आकाश शक्तिध्वजः कार्तिकेय / का गुण) 2. ध्वनि, रव (पक्षियों या विभिन्न प्राणियों शक्य (वि०) [शक् + ण्यत्] श्रुतिमधुर-शक्यः प्रियंवदः / का) 3. पद, सार्थक शब्द 4. व्याकरण 5. ख्याति प्रोक्तः-इति हलायुधः-दश० 2 / 5 / लब्धशब्देन कौसल्ये-रा० 2 / 63 / 11 6. पुनीत प्रणव शक्रकाष्ठा पूर्व दिशा। (ओम्) / सम०~अक्षरम् पुनीत प्रणव, इन्द्रियम् शडाभियोगः दोषारोपण करना या संदेह करना / कान, - गोचरः 1. वाणी का विषय 2. श्रव्य, बैलशङ्कराचार्य: वेदान्तदर्शन का महत्तम आचार्य, अद्वैतवाद | क्षण्यम शाब्दिक भिन्नता,-संज्ञा व्याकरण का एक का प्रवर्तक जिसने ब्राह्मण्य धर्म को पुनर्जीवित करने पारिभाषिक शब्द,-पा० १११६८,-स्मृतिः (स्त्री०) के लिए षण्मत को स्थापना की। भाषा विज्ञान। शकुपुच्छम् (मधुमक्खी या भीड़ आदि) कोड़ों का डंक / शमात्मक (वि०) शान्त, स्वभाव से शान्तिप्रिय / शकुफला शमी वृक्ष, जैडी का वृक्ष। शमोपन्यासः शान्ति के लिए बोलने वाला, शान्ति की शङ्करः शम्-ख] शंख का बना कंकण / सम.--आवर्त: बकालत करने वाला। शंख का झुकाव या गोलाई का मोड, शंबुकावर्त, शमनीय (वि०) [शम्+अनीय] शान्ति देने योग्य, मन को ---बलयः शंख से निर्मित कडा, वेला शंखध्वनि के | शान्ति प्रदान करने योग्य / द्वारा संकेतित समय। शमीकुणः वह समय जब कि शमी वृक्ष के फल आता है। शतम् (नपुं०) 1. सौ 2. कोई बड़ी संख्या / सम० ---'वन्द्रः शम्भुतेजस् 1. शिव की आभा 2. स्कन्द का विशेषण / तलवार या ढाल जो सौ चन्द्राङ्कनों से सुसज्जित हो, शम्या शिम्-+-यत्-+टाप्] 1. लकड़ी या चौखट 2. जूए' --चरणा शतपदी, कनखजरा,--पोन: चलनी, की कील 3. एक प्रकार की वीणा 4. यज्ञपात्र 5. एक ---- मयूख: चन्द्रमा,-लोचनः इन्द्र का विशेषण / प्रकार का शल्यचिकित्सापरक उपकरण / सम० शत्रुः [शद्+त्रुन्] 1. दुश्मन, रिपु 2. विजेता, हराने वाला। --क्षेपः,---पातः दूरी जहाँ तक कोई लकड़ी फेंकी जा सम-निवहंण (वि०) शत्रुओं का नाश करने वाला, / सके। For Private and Personal Use Only