________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1342 ) व्यक्षः विषवद् रेखा, भूमध्यरेखा / व्यवायः [ वि+अव+अयघञ्] 1. दूरी, पार्थक्य व्य अकुश (वि०) अनियंत्रित, निरंकुश / 2. प्रवेश, घुसाना / व्यङ्गः [प्रा० ब० ] इस्पात / व्यसनब्रह्मचारिन् (वि०) साथ-साथ दुःख भोगने वाला। व्यजनक्रिया पंखा झलना। व्यसनावापः विपत्ति का घर / व्यञ्जना शुद्ध उच्चारण, स्पष्ट उच्चारण-हीनव्यंजनया व्यस्तपुच्छ (वि०) फैलाई हुई पूंछ वाला। प्रेक्ष्य--रा०।६४११ / व्यस्तिका (अ०) बाहों को फैलाकर तथा पैरों को चौडा व्यक्तिकरः 1. उत्तेजना, उकसाहट -भाग० 2 / 5 / 22 करके (खड़ा होना)। 2. विनाश-भाग० 117 / 32 / व्याकृ (तना० उभ०) भविष्यवाणी करना (बुद्ध)। व्यतिक्रमः [वि+अति +-क्रम् +घञ / उल्लंघन, अति- व्याकरणम् [ वि+आ-----ल्युट् ] 1. भेद, अन्तर क्रमण -तयोव्यंतिक्रमं दृष्ट्वा -महा० 3 / 12 / 39 / / 2. भविष्यवाणी / व्यतिषङ्गः [वि + अति + सज-घा ] 1. प्रतियुद्ध, | व्याकोच (वि०) (फूल की भांति) खिला हुआ, पूर्ण शत्रु से भिड़त 2. विनिमय / विकसित। व्यथित (वि०) [व्यथ-+क्त] 1. कण्टग्रस्त, पीडित | व्याकोपः [वि+आ-+-कुप-1-घा] विरोध, खंडन / 2. क्षुब्ध, डरा हुआ। व्याक्रोशः [वि |-आ। कुश+घञ] चिल्ला-चिल्ला कर व्यपायनम् [वि+अप+आ+इ--ल्युट ] अपगमन, पला- गालियाँ देना, भन्संना करना। यन, पीछे हटना। व्याधारित (वि.) जिस पर धी (या तेल) का छींटा व्यपवर्गः [वि--अप+व+घञ] 1. प्रभाग 2. समाप्ति / दिया गया हो (इसी अर्थ में अभिधारित भी)। व्यपाश्रयः [वि+ अप+आ-+-शि-+अच् ] आश्रयस्थान, वाणित (वि.) [वि+आ+पूर्ण +क्त] लुढका हुआ, सहारा। चक्कर खाया हुआ व्याघुर्णजगदण्डकुण्डकुहरो खः व्यपोह (भ्वा० पर०) 1. प्रायश्चित्त करना 2. स्वस्थ -नारा०। होना 3. दूर भगाना / व्यापूर्णत (वि.)[वि+आ+घूर्ण+शत] लुढ़कता हुआ, व्यभिचारकृत (वि०) अनुचित यौन संबंध करने वाला। चक्कर खाता हुआ। व्यभिचारिन (वि०) [वि+अभि-चर+णिच्+णिनि | व्याजनिद्रा झूठमठ की नींद, दड़ मार कर सोना / __ 1. कुमार्गगामी, दुश्चरित्र 2. अस्थायी। व्याजव्यवहारः कौशलपूर्ण व्यवहार / व्ययः [वि++अच् ] (व्या० में) रूपान्तर, शब्द या | व्याजिह्म (वि.) [वि+हा+मन्, द्वित्वादि नि०] कुटिल, धातु का विभक्ति में प्रत्यय लगा कर रूप बनाना। तोड़ा-मरोड़ा हआ, झका हआ धमपटलव्याजिह्मव्ययशेषः खर्च काट कर बची हुई राशि, निवलशेष / रत्नत्विष:-नाग०५।१७ / व्यवच्छेदः [ वि+अब+छिद्+घा ] विनाश / व्याधिनिग्रहः रोग को नियंत्रित करना। व्यवधानम् [ वि+अब+धा-ल्युट् ] (मीमांसा) दुरूह | व्याधिस्थानम शरीर / रचना, क्लिष्ट रचना / व्याप्तिबादः विश्वव्यापकता का सिद्धान्त / व्यवहित (वि०) [वि+अव+धा+क्त ] दूर पार का, | व्यापारक (वि०) [वि+आ+---णिच् / वुल] व्यापा दूरवर्ती। सम० कल्पना शब्दों की एक रचना रग्रस्त व्यवसाय में लगा हुआ / प्रणाली जिसमें एक दूसरे से वियक्त शब्दों को मिला। व्यामिश्र (वि.) [वि+आ+मिश्र-- अच] 1. असंगत कर एक वाक्य बनाया जाय।। 2. मिला-जुला 3. संदिग्ध, भ्रामक-व्यामिश्रेणेव व्यवसर्गः [वि+अव+सज+घा परित्याग / वाक्येन बुद्धि मोहयसीव गे ---भग० 3 / 2 / व्यवसायात्मक (वि.) उत्साह से पूर्ण / व्यामिश्रकम वि-!-आ-+-मिश्र --- वल] नाटकीय समालाप व्यवसायात्मिका (स्त्री०) दृढ़संकल्प से युक्त / जिसमें विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग हुआ हो व्यवस्थानम [वि+अब+स्था-+-ल्युट] निश्चित सीमा / ---रा०२।११२७ पर टोका। व्यवस्थितविकल्यः निश्चित विकल्प। व्यायामः [वि+आ+यम+धज] सैनिक अभ्यास, फौज व्यवहारः [वि+अब++धा] 1. संविदा 2. गणित की कवायद। के घात या बल 3. व्यापार 4. मुकदमा 5. प्रथा, व्यावजित (वि.) [वि+आ- वज--क्त झुका हुआ। रीतिरिवाज। सम० --अथिन् (वि०) वादी, मुद्दई, व्यावहारिकसत्ता भौतिक अस्तित्व / --वादिन् (वि.) जो प्रचलन के आधार पर तर्क | व्यावृत्त (वि.)[वि+आ+ वृत्- क्त] परिवर्तित-महा० करता है। 12 / 141 / 15 / व्यवहृतम् [वि+अव+ह-+क्त] व्यापारिक लेन-देन। व्यासपीठम पुराणों के व्याख्याता का पद या गद्दी / For Private and Personal Use Only