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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1290 ) न्यन्तः नि+अन्त ] 1. सामीप्य, सन्निकटता 2. पश्चिमी / व्यवस्था 2. औचित्य 3. विधि 4. धर्म 5. न्यायालय पार्श्व-रा० 2168 / 12 / द्वारा उद्घोषित निर्णय 6. नीति 7. अच्छा प्रशासन न्यबहः [नि+अव+मह.+अच् ] समस्त शब्द के 8. सादृश्य 9. विश्वव्यापी नियय / सम०-आगत प्रथम खण्ड का अन्तिम स्वर जिस पर स्वराङ्कन नहीं (वि.) ईमानदारी से प्राप्त,--- आभासः मिथ्यातर्क किया गया है। जिसमें सत्य की झलक आती हो, एक रूपता का न्यस्त (वि.) [नि+अस्+क्त] 1. धारण किया आभास, .- उपेत (वि०) न्यायानुमत, न्याय्य, अनुहुआ, वस्त्र पहने हुए 2. ( स्वर की भांति ) मन्दस्वर मति-प्राप्त, सही ढंग से माना हुआ,-निर्वपण (वि.) से युक्त / सम० -- अस्तव्य (वि.) रख दिए जाने / यथार्थ न्याय करने वाला,-विद्या,-शास्त्रम् तर्कविद्या, के योग्य, स्थिर किये जाने योग्य,--चिह्न (वि.) तर्कशास्त्र,-संबद्ध ( वि०) युक्तियुक्त, तर्कसंगत। बाह्य चिह्न से मुक्त। | न्यनपञ्चाशद्धाकः ( पं०) ऐसा मुर्ख व्यक्ति जिसमें मानन्यासः [नि+अस्+घञ ] लिखित पाठ्य या साहि- | वता के गुण पचास प्रतिशत से भी कम हों। त्यिक मूल पाठ। न्यूमता ( स्त्री०) 1. कमी, हीनता 2. घटियापन, अधूराम्यायः [नि+इ+घा ] 1. प्रणाली, रीति, नियम, / पन। नका वि० सदेव अन्तिम 'न का लोप सिंह पंश-स् (म्वा० चुरा० पर०) नष्ट करना / पचमानक (वि.) [ पच्+शानच्, स्वार्थे कन् ] अपना पक्तिः [पच्+क्तिन् ] पवित्रीकरण,-शरीरपक्ति: भोजन स्वयं पकाने वाला। कर्माणि-महा० 12 / 270 / 38 / पच्चनिका (स्त्री०) हल का एक भाग / / पक्व (वि.) [ पच्+क्त, तस्य व: ] 1. पका हुआ, भुना पञ्चन (सं० वि०-सदव ब०व०) [पञ्च+कनिन् ] हुआ, उबाला हुआ 2. पूर्णविकसित। सम-कषाय (समास में 'पञ्चन' के अन्तिम 'न का लोप हो जाता (वि.) जिसके मनोवेग और विषय वासनाएँ शान्त है) पाँच / सम० - आननः,-आस्यः 1. सिंह हो गई है,- गात्र (वि.) पके गात घाला, दुर्बल 2. किसी भी एक विषय में अन्यतम जैसे कि 'वैद्य शरीर, क्षीणकाय। पञ्चानन',... आयतनम,- आयतनी पञ्च देवताओं पडक्ति [पञ्च+क्तिन् ] 1. एक छन्द का नाम 2. लाइन, (सूर्य, अम्बिका, विष्णु, गणपति और शङ्कर) का श्रेणी। सम-क्रमः आनुपूर्व्य, परम्परा, ऋमिक समूह जो दैनिक पूजा में सम्मिलित हैं,-उपचारः अनुगमन / पूजा के पाँच पदार्थ (गन्ध, पुष्प, धूप, दीप और पक्तिशः (20) पंक्तिवार, लाइनों में। नैवेद्य),--कृत्यम दिव्य शक्तियों के पांच कार्य-सुष्टि, पडगुवासरः (पुं०) शनिवार / स्थिति, संहार, तिरोधान और अनुग्रह,-चामरम् पक्षः [ पक्ष्+अच् ] (वेद०) सूर्य, दे० 3153116 पर एक छन्द का नाम,-धारणक पांचों तत्त्वों की सहायता सायण। सम-अध्यायः तर्कशास्त्र,-निक्षेपः एक से स्थिर या जीवित,-- पादिका शंकर के ब्रह्म सूत्रभाष्य पक्ष का ही विचार करना, किसी का पक्षपात करना, पर पद्मपादाचार्य रचित टीका,-रात्रम् (नपुं०) --भेवः किसी तर्क के दोनों पहलओं में विवेक करना, 1. भासकृत एक नाटक का नाम, दर्शन शास्त्र पर --बषः पक्षाघात, शरीर के एक पक्ष में लकवा, नारद द्वारा रचित एक ग्रंथ, शीलम सामाजिक -बायः,-वातः पक्षाघात, अर्धाग में फालिज, आचरण के पांच नियम जिन का प्रचार बुद्ध ने किया - पक्षकः पंखा। था,-शुक्लम् उत्तरायण, शुक्लपक्ष, दिन, हरिवासर पक्षितीर्थम् (नपुं०) दक्षिण भारत में एक पुण्य तीर्थ / और सिद्ध क्षेत्र का संयोग,-सिद्धान्ती (स्त्री०) पक्ष्मन् [ पक्ष् + मनिन् ] 1. गलमुच्छ --- सिंहस्य पक्ष्माणि | ज्योतिष के पांच सिद्धान्त / मुखाल्लुनासि-महा० 3 / 26816 2. (हरिण के) पञ्चम (वि.) [पञ्चन्+डट् +मट ] पांचवां / सम. बाल -निसर्गचित्रोज्ज्वलसूक्ष्मपक्ष्मणा-शि० 18 / / -आस्यः कोयल,---स्वरम् संगीत के स्वर का पक्मलश् (स्त्री०) [पक्ष्मल+दश+थिप जिस नाम / स्वी की पलकें लम्बी हों। पञ्चिका (स्त्री०) रजिस्टर या अभिलेख पुस्तिका / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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