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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir .( 1289 ) निष्प्रतिग्रह (वि.) [ब० स०] जो दान ग्रहण नहीं करता! --पाय्यम् बड़ा भवन, बड़ा कमरा,---बाह्यम् है, उपहार नहीं लेता है। पालकी। निष्प्रत्याश (वि.) [ब० स०] निराश, हताश / नृत्तम् / (नपुं०) [नृत् + क्त, क्यप् वा ] नाच, अभिनय / निष्प्रवणि (वि०) [ब० स०] जो खड्डी से अभी आया नत्यम् / सम०-हस्तः नाचते समय हाथों की स्थिति। है,नया (कपड़ा)। नेती (स्त्री०) योग की एक क्रिया-नाक में डोरी डाल निःशर्कर (वि.) [ब० स० ] जिसमें कंकड़ न हों, रोड़े। कर मुंह में से निकालना। आदियों से मुक्त। नेत्रम् [नी+ष्ट्रन्] 1. खटमल-नाना० 2. बक्कल, निःसह (वि.) [ब. स.] 1. क्लान्त 2. असहिष्णु। वृक्ष की छाल--नाना० 3. आँख। सम०. कार्मणम नि:सूत्र (वि.) बि. स.] असहाय, साहाय्यहीन / आँखों के लिए एक जादू, चपल (वि०) जिसकी निःस्वन (वि.) [20 स०] शब्दहीन, जिसमें से कोई आँखें अधिक झपकती हों, आँखें झपकाने वाला,-पाकः आवाज न निकले। आँखों की सूजन,-पन्धः 1. आँख मिचौनी खेलना नि:स्पर्श (वि.) [ब० स०] कठोर, कड़ा, रूखा। 2. आँखों में धूल झोंकना, - श्रवस साँप / निसर्गमिपुण (वि०) [पं० त०] स्वभावतः चतुर / | नेत्र्यम् (नपुं०) आँखों के लिए उपयुक्त / निसृष्ट (वि०) [नि+सृज्+क्त ] सुलगाया हुआ मदीयोमरण (वि.) [ब० स० ] जिसकी मृत्यु निकट ही (जसे आग.)। है, मरणासन्न–राज.४।३१। मिस्तुषत्वम् [ब० स० ] तुषों का न होना, दोषराहित्य, नेदिवस् (वि०) शब्दायमान, कोलाहल करने वाला / दोषों का अभाव। नेपथ्यगृहम् (नपुं०) शृंगार भवन, प्रसाधनकक्ष / निस्तोवः [ निः+तुद्+पन ] गुभ जाना, चुभ जाना, पिण। गुम जाना, चुभ जाना, नेमितुम्बारम् (नपुं०) पहिए का घेरा और नाभि / डंक मारना। मेय (वि.) [नी-ण्यत् ] 1. ले जाये जाने के योग्य निहित (वि.) [नि+था+क्त ] (सेना की भाँति) 2. शिक्षा दिये जाने के योग्य-अनेय: शिक्षयितुम कैम्प लगाए हुए, शिविरस्थ / सम-रड (वि.) योग्य:-महा० 5 / 74 / 4 पर टीका। कोमल हृदय, कृपाल। नककोटिसारः (0) करोड़पति, कोट्यधीश। निहकः [ नि+न+अप् ] 1. मुकर जाना 2. धचन- नंगमः [ निगम+अण् ] यास्ककृत निरक्त का एक काण्ड / विरोध, विरोधोक्ति / सम०-.-काय: दे० 'नेगम'। मीचगामिन (वि.) अधम मार्ग का अनसरण करने वाला। मंड(वि.) [ निद्रा+अण् 11. शयाल, निद्राल 2. बन्द नीतिशतकम् (नपुं०) भर्तृहरिकृत नीतिविषयक सौ श्लोकों | (फूल जिसकी पंखड़ी अभी बन्द हो)। का संग्रह। नैमित्तिक (वि.)[ निमित्त+ठक ] 1. किसी कारण से नीरवर (वि०) [त० स०] जल में रहने वाला, जल में संबद्ध 2. असाधारण / सम-कर्मन् (नपुं०) किसी घूमने वाला। विशेष कारण से होने वाला संस्कार (विप० नित्यनोरङ्गी (स्त्री०) हल्दी। कर्म ),--लयः ब्रह्म में लीन हो जाना, ब्राहालय (यह नीराजित (वि.) [निर+राज्+क्त ] देवतार्चन के लय चार हजार वर्ष के उपरान्त होता है। दीप तथा ज्योति से सुसज्जित, प्रभासित / | नैऋत्य (वि०) [निति+अण् ] दक्षिण-पश्चिम नीलपिटः (पुं०) राजकीय प्रशस्तियों तथा समाचारों का दिशाओं से संबंध रखने वाला। संग्रह / नश्चिन्त्यम् [ निश्चिन्त+ध्या ] चिन्ता से मुक्त होना / नोलस्नेहः (पुं०) अतिशय प्रेम। नष्कर्तृक (वि०) [ निष्कर्त +8 ] लकड़ी काटने नोचिः,बी (स्त्री० [नि+ये+इन, य लोप. पूर्वस्य _ वाला। दीर्घः ] कारागार--नीवी स्याबन्धनागारे घने स्त्री- | नष्क्रम्यम् [निष्क्रम+व्या ] भौतिक सुखों के प्रति वस्त्रबन्धने नाना। ___ उदासीनता ( बुद्ध०)। नुतिः [नु+क्तिन् ] हटाना, दूर करना / मैष्ठिक (वि.)[निष्ठा+ठक 11. अन्तिम, उपसंहार नूनंभावः (पुं०) सम्भाव्यता, प्रायिकता / परक 2. निश्चित 3. उच्चतम, पूर्ण 4. आभार्य, अनिनूनंभावात् (अ.) कदाचित्, सम्भवतः / वार्य-~-महा० 12163 / 23 / सम... ब्रह्मचारिन [नीन् हिच्च] (पुं० कर्तृ० ए० ब० ना) (वि.) जीवनपर्यन्त ब्रह्मचर्य पालन करने वाला। 1. मनुष्य, व्यक्ति (चाहे पुरुष हो या स्त्री) 2. मनुष्य | महारः [ नीहार+ अण् ] कुहरा या धुंध से संबन्ध रखने जाति 3. पुंल्लिग शब्द 4. मेता। सम-कार: वाला। मनुष्योचित कार्य, शौर्य,-गन्ध (वि०) मनुष्यभक्षी मोगल [50 10 ] किश्तियों से बनाया गया पुल। . For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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