________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रायः रचनाओं के अथानन्त- अधिमुक्तक मोती रहता है / ( 1210 ) अत्रिजात (वि.) [अद+त्रिन-जन+क्त ] तीन वर्णों। लेखाधिकारी जो क्रयपत्र तथा अन्य दस्तावेज अपनी में से किसी एक वर्ण का मनुष्य, द्विज / देखरेख में तैयार कराता है, नाज़िर / अत्री अत्रि की पत्नी। सम०-चतुरहः एक यज्ञ का नाम / अधिगमः [ अधि+गम्+घञ ] जानकारी का समाचार -जातः 1. चन्द्रमा 2. दत्तात्रेय 3. दुर्वासा, भारद्वा- - अपनेष्यामि सन्तापं तवाधिगमशंसनात्-राम० जिका अत्रि वंशियों का भारद्वाजवंशियों के साथ 5 / 35177 / वैवाहिक सम्बन्ध / | अधिपुष्पलिका खदिर का वृक्ष, खैर / अस्वक्क (वि.) [न० ब०] त्वचारहित, जिस पर खाल ! अधिमखः [ अधि ---मख्--घा ] यज्ञ की अधिशासी न हो। देवता। अथ (अ०) [अर्थ +ड, पृषो० रलोप: ] मङ्गल सूचक अधिमुक्तकः [ अधि+मुच्+क्त ] मालती का एक प्रकार, अव्यय जो प्रायः रचनाओं के आरम्भ में प्रयुक्त होता / चमेली। है / मम० ... अतः (अथातः), - अनन्तरम् (अथानन्त- अधिमुक्तिका [ अधि+मुच्-1-क्तिन, स्वार्थे कन् ] वह रम्) इसलिए, अब, इसके पश्नात -- अथातो धर्मजिज्ञासा मन० 211, किम और कितना, और / अधिरोपः [ अधि+रुप+घञ ] दोषारोपण करना। इतना,--तु परन्तु, इसके विरीत / / अधिरूषित (वि०) [अघि-रूष+क्त ] श्रृंगारवर्धक अदर्शनम | दृश--ल्युट, न० त०] भ्रम, माया, अदृश्यता ___ लेप से अभ्यक्त मुखमधिरूषितपाण्डुगण्डलेखम्-कि० ....अदर्शनादापतिताः पुनश्चादर्शनं गताः - महा० 11 // 10 // 46 / 2 // 13 // अधिवासः [ अधिन-वस्+घञ्] जन्मभूमि, जन्मस्थान अवसीय (वि०) [ अदस्+ छ ] इससे या उससे सम्बन्ध ... महा०१२।३६।१९।। रखने वाला। अधिष्ठानम् [अधि- स्था+ ल्युट ] 1. अवस्था, आधार अदुपध (वि.) [ अत्+उपध न० ब० ] वह शब्द जिसकी 2. नाम अमित्राणामधिष्ठानाद्वधाद् दुर्योधनस्य च उपधा (अन्तिम से पूर्ववर्ती) में 'अ' हो / - महा० 9 / 61 / 14 / सम० अधिकरणम् नगरअदष्टकल्पना किसी अज्ञात पदार्थ या विचार की कल्पना निगम, नगरपालिका का कार्यालय। करना। अधोनिबन्धः हाथी के कामोन्माद की ऋतु में तीसरी अद्भुत (वि.) ] अद्+भू+डुतच्] 1. आश्चर्य युक्त अवस्था - मात० 149 / 14 / / 2. ऊँचाई की माप के पाँच अंशों में से एक जहाँ कि अध्ययनम् [ अधि+इ-1-ल्यट] शिक्षा देना, अध्यापन ऊँचाई, चौड़ाई से दुगुनी हो - हीनं तु द्वयं तद् द्विगुणं करना कृत्दा चाध्ययनं तेषां शिष्याणां शतमुत्तमम् चाद्भुतं कथितम्--मान० 11120 / 23 / सम०- रामा- ...- महा० 121318117 / यणम् वाल्मीकि द्वारा रचित एक ग्रन्थ,... शान्तिः | अध्यवसिन् (वि०) [अध्यव--सो-अच्, ततः इनि ] (स्त्री०) 1. अथर्ववेद का 67 वाँ परिशिष्ट 2. पुराणों किसी व्रत के पालनहेतु किसी एक ही स्थान पर अवमें वर्णित एक व्रत का नाम / रुद्ध हो जाने वाला महा० 1216416 / अद्रिकटकन [ अद्+किन+कट+वुन् ] पर्वतथणी। अध्यासित (वि.) [अधि+आस--णिच--क्त ] बैठा अद्रेश्य (वि०) जो दिखाई न दे, अदृश्य / हुआ, बसा हुआ। अद्वारासङ्गःनि० त०] दरवाजे पर अन्दर जाने वालों को अध्युषित (वि.) [ अधि+वस ---क्त ] ठहरा हुआ, रहा पंक्ति का न होना--कार्याथिनामद्वारासहं कारयेत् / हुआ, अविकार किया हुआ। -को० अ० 119 / 26 / | अध्यूढः [ अधि+वह+क्त ] विवाह से पूर्व गर्भिणी स्त्री अवैध (वि.) [न० ब०] अविभक्त, असद्भावनारहित। का पुत्र अध्यश्च तथापरः- महा० 13149 / 4 / अधम (वि.) [ अब अम; अवतेः अमः, वस्य पक्षे धः] अध्वर्युकाण्डम् अध्वर्य नामक ऋत्विजों के लिए अभिप्रेत जो फंक नहीं मारता, शेखी नहीं बघारता अधमः मंत्रों का संग्रह। कुत्सिते न्यने अधःस्थाध्भानयोरपि नाना। अनक् (वि.) (वेद०) अन्या / अधरकण्टक: एक कांटेदार पौधा, धमासा / अनघ (वि.) न० ब०] अनथक, बिना थका हुआ-भाग० अधःवेदः (अधोवेदः) एक पत्नी के रहते दूसरा विवाह 2 / 7 / 32 / सम० अष्टमी एक व्रत का नाम ..भ. करना। पु०५५। अधिकरणम् [ अधि-++ ल्युट् ] 1. यह स्थान जहाँ बहुत | अनङ्गः [न० ब० ] 1. वाय 2. भूत, पिशाच 3. परछाई, लोग एकत्र हों, * महा० 12 / 59, 68 2. विभाग तु० अनङ्गे मन्मथे वायो पिशाचच्छाययोरपि / महा० 12169:54 / सम०-लेखक (वि०) अभि- अनन्तर (वि.) [नास्ति अन्तरं व्यवधानं, मध्यः, अवकाशः For Private and Personal Use Only