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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अट्टालः उत्सेध, बुर्ज,-- विष्कम्भचतुरश्रमट्टालकम् ---को० / अतिपरिचयः [प्रा० स०] अत्यधिक घनिष्ठता-लो. अ० 1 / 3 / अतिपरिचयादवज्ञा / अडागमः (अ+आगमः भूतकाल द्योतन करने के लिए अतिबादः [प्रा० स०11. असाधारण रूप से बड़ी भुजाओं धातु के पूर्व लगाये जाने वाला 'अ'---वार्तिक 1 वाला 2. चौदहवें मन्वन्तर के एक ऋषि का नाम 30604 / 3. एक गन्धर्व का नाम / अडकः हरिण निध० / अतिभङ्गम् [प्रा० स०] प्रतिमा विद्या की दृष्टि से मति अणवतानि जैनधर्मानुयायी लोगों के लिए बारह सामान्य / में दो तीन वक्रिमा या मोड़-- मानव० 67495-6 / प्रतिज्ञाएँ। अण्वम् वेद० सोमरस को छानने की छलनी का छिद्र / --महा० 32201 / 9 / अण्डकः सम् 3, स्वार्थे कन् गोलाकार छत या गुम्बज- अतिरागः [अत्या० स०] अत्यधिक उत्साह / शोभन: पत्रवल्लोभिरण्डकैश्च विभूषितः--म० पु. अतिरेकः [ अत्या० स०] 1. प्राचुर्य 2. बाहुल्य 3. अन्तर 269 / 20 / -महा० 3152 / 3 / अतन्त्रत्वम् न०५०] बाहल्य, अतिरिक्त मात्रा ऐन्द्रशब्द- असिरेचक: एक पौधा जिसका सेवन बहुत दस्तावर होता है। स्यातन्त्रत्वात्-मो० सू० पर शा० भा० 6 / 4 / 20 / / अतिरोगः क्षय रोग, तपैदिक / अतनु (वि.) न० त०] जो छोटा न हो, बहुत, प्रचुर अतिवर्तनम [ अत्या० स०] क्षम्य अपराध दशातिवर्तना वीतप्रभावतनरप्यतनुप्रभावः कि० 16 / 64 / / न्याहुः मनु० 8 / 290 अतसिः (वेद०) [अत्- आमि फेरी देने वाला साधु, | अतिविष्ठित (वि०) [अत्या० स०] 1. बहादुर योद्धा निक्षक-कन्नव्यो अतसीनां तुरो गणीत मर्त्यः-ऋ० ... विनव्यानतिविष्ठितान् रा० 4118 / 38 2. सीमा 813 / 13 / का उल्लंघन करने वाला महा० 31215 / 16 / अतसिका [ अत् + असन् ---की-वन्-1-टाप पटसन / अतिशत (वि०) [ अत्या० स०] चुभने वाले, दारुण, अतिकल्यम (अ०) प्रभातकाल, बहत सवेरे नातिकल्यं कठोर- आततायिभिरुत्सृष्टा हिस्रा बाचोऽतिबंशसाः नातिमार्य नातिमध्यन्दिने स्थिते / गच्छेत् मनु० भाग० 3 / 19 / 21 // 4 / 140 / अतिसष्टिः [अति+सज-+क्तिन् ] उत्कृष्ट रचना। अतिकश (वि.) [अतिक्रान्तः कशाम् - अत्या० स०] कोड़े अतलः [ न० त०] खाँसी-निघ० / की मार को भी न मानने वाला, उच्छृखल। अत्कः [अत्-कन् ] घर का एक कोना, दे० अक्क / अतिकामकः [प्रा० स०] कुत्ता। अत्यन्त+ अपहवः [अत्यन्त+अप्+न+ ] बिल्कुल अतिक्रान्ता अति : कम्त --टाप] हाथी के कामोन्माद मुकर जाना, पूर्ण विरोध या निराकरण / की छठी अवस्था अनिकान्तावस्थो गजपतिरिदं / अत्यन्त - सहचरित (वि०) निश्चित रूप से साथ जाने स्थावरचरं जगत्सवं हन्तुं समभिलपति क्रोधकलुपः / वाला-पा० 8 / 1115 वार्तिक / -~-मा० ली० 9 / 17 / / अत्यन्तीन (वि०) [ अत्यन्त+खा ] 1. अत्यन्त गमनअतिक्रान्तिः (अति-+-क्रम+क्तिन् ] सीमा के बाहर निकल शील 2. टिकाऊपन / जाना, उल्लंघन / | अत्यय-वेदनः [ अतिक्रान्त: अर्थम् -विद्+णिचनल्यूट] अतिगृहकम् [प्रा० स०] चौवारा, मियानी, ---भूमीगृहांश्चत्य हाथियों का एक भेद जो बहुत ही संवेदनशील होता गृहान् गृहातिगृहकानपि-- रा. 5112:15 / है जरा से दण्ड को भी नहीं भूलता,-प्राजनाजकुअतिजित (वि.) [प्रा० स०] पूर्णतया पराजित लोकं / शदण्डेभ्यो दूरादुद्विजते हि यः, स्पृष्टो वा व्यथतेऽत्यर्थं स ह्यतिजितं कृत्वा-रा० 3170 / 5 / गजोऽत्यर्थवेदन:-मातङ्ग०८।१९।। अतिधेन (वि.)| अतिरिक्ता धेनवो यस्य -ब० स०] जो / अत्यस्त (वि.) [अति+अस्+क्त ] फेंका हुआ, लटकाया बदिया से बढ़िया गौओं का स्वामी है। हुआ, दूर परे उछाला हुआ-पा० 201124..- तरङ्गाअतिनामन् (पुं०--मा) छठे मन्वन्तर के सप्तर्षि समुदाय त्यस्तः काशिका / के एक ऋषि का नाम / अत्याश्रमः अति--आ+श्रम्+घञ 1 संन्यास, वैराग्य / अतिपातः [अति + पत्-घा ] ध्वंस, विनाश / अत्याहारयमाण (वि०) [अति+आ+-ह-णि-+शानच] अतिपातित [ अति पत्+-णिच् / क्त ] 1. स्थगित, विलं- बलपूर्वक ग्रहण करने वाला लोभादलश्चातुर्वर्ण्यमत्याबित 2. पूर्णत: टुटा हुआ। हारयमाणः की० अ०१। अतिपातक (वि०) अतिक्रमणकारी, बढ़कर रवेलक्षिालक्ष्मी अत्र (वि.) [ न० ब.] टीन का बना हुआ, कररतिपातुकः-न० 19 // 5 // कलईदार। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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