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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1205 ) वृक्ष बहुत पाये जाते हैं। रघ० 4/51 में कालिदास / तट से लेकर लगभग नर्मदा के तट तक फैला हआ ने बतलाया है कि मलय और दर्दुर यह दो पर्वत था। विशालकाय होने के कारण इसका नाम महादक्षिणी प्रदेश के दो वक्षःस्थल है। अतः दर्दुर घाट राष्ट्र भी था, तु० बा० रा० 1074 / कुण्डिनपुर का वह भाग है जो मैसूर की दक्षिणपूर्वी सीमा जिसे विदर्भ भी कहते हैं इस देश की प्राचीन राजधानी बनाता है। थी। इसीको संभवतः आजकल बीदर कहते हैं। महेन्द्र ---.भारत की सात मख्य पर्वत शृंखलाओं में से एक। विदर्भ देश को वरदा नदी ने दो भागों में विभक्त वर्तमान महेन्द्रमाले से इसकी एकरूपता स्थापित की कर दिया है, उत्तरी भाग को राजधानी अमरावती जाती है जो कि महानदी की घाटी से गंजम को है, तथा दक्षिणी भाग की प्रतिष्ठान / विभक्त करता है। संभवतः इसमें महानदी और | विदिशा-दे० 'दशार्ण' के अन्तर्गत / गोदावरी का मध्यवर्ती समस्त पूर्वी घाट सम्मि- विदेह - मगध के पूर्वोत्तर में विद्यमान एक. देश। इसकी लित था। राजधानी मिथिला थी जो अब मधुवनी के उत्तर में महोदय . (कान्यकुब्ज या गाधिनगर) यह वही प्रदेश है नेपाल में जनकपुर नाम से विख्यात है। प्राचीनकाल जो गंगा के किनारे वर्तमान कन्नौज नाम से विख्यात में विदेह के अन्तर्गत, नेपाल के एक भाग के अतिरिक्त है। सातवीं शताब्दी में यह नगर भारत का अत्यंत वह सब स्थान जो अब सीतामढ़ी सीताकुंड अथवा प्रसिद्ध स्थान था। तु० बा० रा० 10688-89 / तिरहुत के पुराने जिले का उत्तरी भाग और चम्पारन मानस-----एक सरोवर का नाम है जो हाटक में स्थित था, का उत्तर पश्चिमी भाग कहलाता है, इसमें जिसे आज कल लद्दाख कहते हैं। हाटक के उत्तर सम्मिलित थे। में उत्तरी कुरुओं का देश है जिसका नाम हरिवर्ष है। विराट-दे० 'मत्स्य। पूर्वकाल में यह सरोवर किन्नरों के आवास के रूप वन्दावन—'राधा का वन' आज कल मथुरा से कुछ भील में विख्यात था। कवियों की उक्ति के अनुसार उत्तर में एक नगर के रूप में बसा हुआ स्थान / वर्षा ऋतु के आरम्भ में हंस प्रतिवर्ष यहीं आकर यह यमुना के बाये किनारे स्थित है। शरण लेते थे। शक-एक जनजाति का नाम जो भारत के उत्तर-पश्चिमी माहिष्मती....दे० 'चेदि' के अन्तर्गत / सीमांत पर बसी हुई थी। संस्कृत के श्रेण्य साहित्य में मिथिला-दे० 'विदेह' के अन्तर्गत / इसका उल्लेख मिलता है। सिधियंस से इसकी एकमुरल-दे० 'केरल' के अन्तर्गत / रूपता मानी जाती है। मकल - अमरकण्टक नाम का पर्वत जहाँ से नर्मदा नदी | शुक्तिमत् भारत की सात प्रमुख पर्वतशृंखलाओं में से निकलती है। एक। इसकी सही-स्थिति का अभी कुछ निर्णय नहीं लाट-एक देश का नाम जो नर्मदा के पश्चिम में फैला हो पाया है, परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि नेपाल के हुआ था। इसमें सभवतः ब्रोच, बड़ौदा और दक्षिण में यह हिमालय पर्वत की एक शाखा है। अहमदाबाद सम्मिलित थे। कुछ के मतानुसार खैर श्रावस्ती-उत्तरी कोशल में स्थित एक नगर का नाम भी इसी में सम्मिलित था। जहाँ, कहते हैं कि लव राज्य किया करता था (रघु० वंग... (समतट) पूर्वी बंगाल का एक नाम (उत्तरी बंगाल 15 / 97 में इसीको 'शरावती' का नाम दिया है)। या गौड देश से विल्कुल भिन्न है) इसमें बंगाल का अयोध्या के उत्तर में वर्तमान साहेत माहेत से इसकी समुद्रतट भी सम्मिलित है। ऐसा प्रतीत होता है कि एकरूपता मानी जाती है। यह नगर धर्मपत्तन या किसी समय तिप्पड़ा और गैरो पहाड़ भी इसमें धर्मपुरी भी कहलाता था। सम्मिलित थे। सह्य-भारत की सात प्रमुख पर्वत शृंखलाओं में से एक / बलभी--दे० 'सौराष्ट्र' के अन्तर्गत / आज कल इसी का नाम सह्याद्रि है। पश्चिमी घाट वाहीक, वाहीक पंजाब में रहने वाली जातियों का जो मलय के उत्तर में नीलगिरि के संगम तक फैला सामान्य नाम। इनका देश बर्तमान बलख है। है, ही सह्याद्रि है। कहते हैं कि वे पंजाब के उस भाग में रहते थे जिसे सिंधु--दे० 'पद्मावती' के अन्तर्गत / / सिन्धु नदी तथा पंजाब की अन्य पांच नदियाँ सींचती सिंधुदेशः वर्तमान सिंध प्रदेश जो सिंधु नदी का ऊपरी है, परन्तु भारत की पुण्य भूमि से यह बाहर था। यह भाग है। देश घोड़ों और हींग के कारण प्रसिद्ध है। सुह्म-एक देश का नाम जो वंग के पश्चिम में स्थित है। विदर्भ वर्तमान वरार देश। प्राचीन काल में कुंतल के इसकी राजधानी ताम्रलिप्त (जिसे तामलिप्त, दाम उत्तर में स्थित यह एक बड़ा राज्य था जो कृष्णा के / लिप्त, ताम्रलिप्ति तथा तमालिनी भी कहते हैं) की For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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