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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1206 ) एकरूपता वर्तमान तमलक से की जाती है। तमलुक बन्नपाटलिपुत्र से थोड़ी दूरी पर यह एक नगर कोसी नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। इस तथा जिला था। यमुना के पुराने तल के तट पर कोसी का नाम ही कालिदास ने 'कपिशा' लिखा है। स्थित वर्तमान 'सुग' से इसकी एकरूपता मानी प्राचीन काल में यह नगर समुद्र के अधिक निकट जाती है। बसा हुआ था। यहां पर ही अधिकांश समुद्री | हस्तिनापुर-'हस्तिन्' नाम का भरतवंश में एक प्रतापी व्यापार किया जाता था। सुह्य लोगों को ही कभी राजा था। उसने ही इस प्रसिद्ध नगर को बसाया कभी राढ़ के नाम से पुकारते थे, (अर्थात् पश्चिमी था। वर्तमान दिल्ली के उत्तरपूर्व में 56 मील की बंगाल के लोग)। दूरी पर यह नगर गंगा की एक पुरानी नहर के सौराष्ट्र--(आनर्त) काठियावाड़ का वर्तमान प्रायद्वीप। किनारे बसा हुआ है। हारका आनर्तनगरी या अधिनगरी कहलाती थी। हेमकूट- 'स्वर्णशिखर' पर्वत / यह पर्वत उस पर्वत श्रृंखला पूरानी द्वारका वर्तमान द्वारका से दक्षिण पूर्व में 95 में से एक है जो इस महाद्वीप को सात वर्षों (वर्ष मील स्थित मघपुर नामक नगर के निकट बसी हुई पर्वत) में बांटती है। बहुधा ऐसा माना जाता है कि थी। यह स्थान रैवतक पर्वत के निकट था। ऐसा यह पर्वत हिमालय के उनर में-या हिमालय और ज्ञात होता है कि यही वह स्थान है जिसे जुनागढ़ का मेरु के बीच में स्थित है तथा किन्नरों के प्रदेश निकटवर्ती गिरिनार पर्वत कहते हैं। इस देश की / (किंपुरुषवर्ष) की सीमा बनाता है / तु. का. 136 / दूसरी राजधानी वलभी प्रतीत होती है। इस नगर के कालिदास इसके विषय में कहता है---"यह पूर्वी और खंडर भावनगर से उत्तर पश्चिम में 10 मील की दूरी पश्चिमी समुद्रों में डबा हुआ है और सुनहरी पानी पर बिल्बी नामक स्थान पर पाये गये हैं। प्रभास नामक का स्रोत है" दे० श०७ / प्रसिद्ध सरोवर इसी देश में समुद्रतट पर स्थित था। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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