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अवमर्षः [अव+म+घा] 1. विचारविमर्श, आलोचना, । (विप० प्रथम) सामान्यमेषां प्रथमावरत्वम् ---कु०
2 नाटक की पाँच मुख्य सन्धियों में से एक-यत्र ७१४४, 6. न्यूनातिन्यून, (प्राय: समास के उत्तरपद के मुख्यफलोपाय उद्भिन्नों गर्भतोऽधिकः, शापाद्यैः सान्त- रूप में अंकों के साथ)-व्यवरैः साक्षिभिर्भाव्यः-मनु० रायश्च सोऽवमर्ष इति स्मृतः । सा० द० ३६६; ८१६०, श्यवरा परिषद् ज्ञेया-१२।११२, याज्ञ० 'विमर्प' भी इसी को कहते हैं, 3. आक्रमण करना। २६९, 7. पश्चिमी,... रम हाथी की पिछली जांघ अवमर्षणम् [अव+मृ+ ल्युट्] 1. असहनशीलता, असहि- (-रा भी)। सम०... अर्ध: 1. थोड़े से थोड़ा भाग,
ष्णुता 2. मिटा देना, मिटा डालना, स्मृतिपथ से न्यूनातिन्यन 2. उत्तरार्ध 3. शरीर का पिछला भाग, निष्कासन।
... अवर (वि०) नीचतम, सबसे घटिया--न हि प्रकृअवमानः [अव+मन्+घा] अनादर, तिरस्कार, अब- ष्टान् प्रेष्यांस्तु प्रेमपत्यवरावरान् रामा०- उक्त हेलना।
(वि०) अन्त में कहा हुआ, --ज (वि०) अपेक्षाकृत अवमाननम्-ना [अव+मन्+णिन् +ल्युट् युच् वा] अना- छोटा, कनीयान् (--जः) छोटा भाई.-विदर्भराजादर, तिरस्कार ।
वरजा- रघु० ६।५८, ८४, १२॥३२,--वर्ण (वि०) अवमानिन् [अव+मन् । णिच् +गिनि] तिरस्कार करने नीच जाति का (-र्ण:) 1. शूद्र 2. अन्तिम या चौथा
वाला, घृणा करने वाला, अपमान करने वाला वर्ण, वर्णक: -वर्णजः शूद्र-व्रतः सूर्य,-शल: पश्चि. धिङमामुपस्थितथेयोऽवमानिनम्-श०६, अयि मी पहाड़ (जिसके पीछे सूर्य डुबता हुआ समझा आत्म-गुणावमानिनि -श० ३।
जाता है)। अवमर्धन (वि०) [अवनतो मर्वाऽस्य] सिर झुकाये हुए। | अवरतः (अव्य.) [ अवर तसिल ] पीछे, बाद में,
सम० - शय (वि०) सिर को नीचे लटका कर लेटा पिछला, पश्चवर्ती ।। हुआ, जैसे कि मनुष्य (विप० देव) ---- उत्तानशया देवा अवरतिः (स्त्री०) [ अव-- रम्+क्तिन् ] 1. ठहरना, अवमूर्धशया मनुष्याः ।
___ रुकना 2. विराम, विश्राम, आराम । अवमोचनम् [अव+मुच् । ल्युट्] स्वतंत्र करना, मुक्त | अबरीण (वि०) [अवर+ख ) 1. पदावनत, खोट मिला करना, ढीला करना।
हुआ 2. घृणित । अवयवः [अव+यु+अच्] 1. (शरीर का) अंग --मुखा- अवरुग्ण (वि०) [ अव+रुज-क्त ] 1. टूटा हुआ, फटा
वयवलूनां ताम्---रघु० १२।४३ अमरु० ४०, ४६; हुआ 2. रोगी। सदस्य, करिमश्चिदपि जीवति नन्दान्वयावयवे-मद्रा०१ | अवद्धिः (स्त्री०) [ अव- रुध् + क्तिन् ] 1. रुकावट, 2. भाग, अंश 3. तर्कसंगत युक्ति या अनुमान का प्रतिबन्ध 2. घेरा 3. प्राप्ति । घटक या अंग (यह पाँच हैं :- प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण, अवरूप (वि.) [ब० स० ] कुरूप, विकलांग । उपनय और निगमन) 4. शरीर 5. घटवा, संविधायी, | अबरोचकः | अव---रुच् -|- ] भूख न लगना । उपादान (जैसे किसी संमिश्रण के)। सम०.- अर्थः अपरोघः अब+रुध+घञ | 1. बाधा, रुकावट 2. प्रतिशब्द के संविधायी अंशों का आशय ।।
बंर --अन्दः प्राणावरोध:-मच्छ० १११, 3. अन्तःपुर, अवयवशः (अव्य.) [अवयव-शस्] अंश अंश करके, जनानखाना, रनवास --निन्ये विनीतैरवरोधदक्षैः—कू० अलग २, टुकड़े टुकड़े करके ।
७।७३, गृहेषु राज्ञः--- श० ५।३, ६।११, 4. राजा की अवयविन् (वि.) [अवयव+इनि] अवयव, अंश या उप- रानियाँ (समष्टि रूप से) (प्राय: व० व०);-अब
भागों से बना हुआ, (पुं०-यो) 1. पूर्ण 2. अनुमान- रोधे मइत्यपि . रघु० ११३२, ४।६८, ८७, ६।४८, वाक्य या कोई तर्कसंगत संधि ।।
१६५८, 5. घेरा, बन्दीकरण 6. किलाबंदी, नाकेबंदी, अवर (वि.) [न वरः इति अवरः न० त०, व+अप् । 7. ढक्कन 8. बाड़ा, गोठ १. चौकीदार 10. हलकापन,
बा०] 1. (क) आयु में छोटा,---मासेनावरः- खोखलापन । मासावरः—सिद्धा० (ख) बाद का, पश्चवर्ती, पिछला अवरोधक (वि०) [अवरुध्-- वुल ] 1. बाधा डालने (समय और स्थान की दृष्टि से)-यदवरं कौशाम्ब्या:, | वाला, 2. घेरा डालने वाला,--कः पहरेदार,-कम् यदवरमाग्रहायण्याः—सिद्धा० 2. अनुवर्ती, उत्तरवर्ती रोक, बाड़ । 3. नीचे, अपेक्षाकृत नीचा, घटिया, कम 4. नीत्र, अवरोधनम् [ अव+रुध् + ल्युट् ] 1. किलाबंदी, नाकेबंदी महत्वहीन, सबसे बुरा, निम्नतम (विप० उत्तम) 2. बाधा, 3. रुकावट, अड़चन 4. राजा का अंत:अव्य डग्यमवरं स्मृतम्--काव्य. १, दूरेण वरं कर्म- पुर राजावरोधनवधरवतारयन्तः---शि० ५।१८। बुद्वियोगाद्धनञ्जय--भग० २।४९, श्रद्दधानः शुभां | अवरोधिक (वि.) [अवरोध-+-ठन् ] 1. बाधाजनक, विद्यामाददतावरादपि-मनु० २।२३८ 5. अन्तिम । अड़चन डालने वाला 2. घेरा डालने वाला ।-क:
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