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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1182 ) ह्राद् (भ्वा० आ० हादते) 1. शब्द करना 2. दहाड़ना। | होवेरम्,-लम् [हिये लज्जाये वेरम् अङ्गम् अस्य क्षुद्रत्वात्, हादः | ह्राद्+घा ] शोर, आवाज---दुन्दुभीनां ह्रादः पूषो० वा रस्य ल:] एक प्रकार का गन्ध द्रव्य / —कि० 16 / 8, इसी प्रकार 'धनुदिः ' आदि। हष (भ्वा० आ० हेषते) 1. घोड़े की भाति) हिनहिनाना, हादिन् (वि०) [हाद्+णिनि ] शब्दायमान, दहाड़ने रेंकना 2. जाना, सरकना। वाला। हषा ह्रष्-अ-+-टाप् हिनहिनाहट / हादिनी हादिन+ङीप् ] 1. इन्द्र का वज्र 2. बिजली ह्लग (भ्वा० पर० ह्रगति) ढांपना। ___3. नदी 4. शल्लकी नामक वृक्ष / हत्तिः ( स्त्री० ) [ लाद्+क्तिन्, ह्रस्वता / हर्ष, ह्रासः [ ह्रस्+घा ] 1. शब्द, कोलाहल 2. घटी, कमी, प्रसन्नता। क्षय, अवनति, पतन मनु०१२८५, याज्ञ० 2 / 249 लस् (भ्वा० पर० लसति) शब्द करना / 3. छोटी संख्या। ह्लाद् (भ्वा० आ० लादते, हन्न, हादित) 1. प्रसन्न हिणीयते दे० 'हणीयते' -- महावीर० 1151 / होना, खुश होना, हर्षित होना 2. शब्द करना, आ / हिणीया [हिणी+यक् +अ-टाप् ] 1. भर्त्सना, निन्दा प्र, हर्षित होना, प्रसन्न होना, खुश होना। 2. शर्म, लज्जा 3. दया -तु. हृणीया।। ह्लादः, ह्लादकः [लाद्+घञ्, ण्वुल वा] प्रसन्नता, हर्ष, ह्री (जुहो० पर० जिह्वेति, ह्रीण, ह्रीत) 1. शर्माना, उल्लास / विनीत होना 2. लज्जित होना (स्वतंत्र प्रयोग अथवा ह्लादनम् [ह्राद् + ल्युट्] हर्षित होने की क्रिया, हर्ष, खुशी, अपादान सं० के साथ)-जिहेम्यार्यपुत्रेण सह गुरुसमीप प्रसन्नता। गन्तुम् श० 7, अन्योऽन्यस्यापि जिह्रीमः किं पुनः ह्लादिन (वि०) [ह्लाद +-णिनि] प्रसन्न होने वाला, खुश सहवासिनाम्-कि० 11158, रघु० 1544, 17/73, | होने वाला। भट्टि० 3153, 5 / 102, ६।१३२-प्रेर० (हृपयति | ह्लादिनी दे० 'हादिनी / ते) शर्मिदा करना, (आलं० से भी) सकौस्तुभं ह्वल (भ्वा० पर० ह्वलति) 1. जाना, हिलना-जुलना हेपयतीव कृष्णम् - रघु० 6 / 49, हेपिता हि बहवो 2. थरथराना, कांपना-प्रेर० (ह्वलयति-ते, ह्वालयति नरेश्वरा.....११३४०, कि वा जात्या स्वामिनो हपयति -ते, परन्तु पहला रूप उपसर्ग युक्त) हिलाना, कंपकंपी -शि० 18 / 23. कि० 11164, 13 / 41, वेणी० पैदा करना (विशेषत: 'वि' पूर्वक)। 117 / ह्वानम् [ढे ल्युट्] 1. आमन्त्रण 2. ऋन्दन, शब्द करना। ही (स्त्री०)[ह्रो+क्विप् ] 1. लज्जा-रतेरपि ह्रीपद ह व (भ्वा० पर० बरति) 1. कुटिल होना 2. आचरण मादधाना-कु० 3157, दारिद्रयाध्रियमेति ह्रीपरि में टेढ़ा होना, ठगना, धोखा खाना 3. कष्टग्रस्त, गतः प्रभ्रश्यते तेजसः - मृच्छ० 1114, रघु० 4 / 80 क्षतिग्रस्त / 2. शर्मीलापन, विनय- ह्रीसन्नकण्ठी कथमप्युवाच | (भ्वा० उभ० ह्वयति-ते, हूतः, कर्मवा० हूयते, प्रेरक -- कु. 7 / 85 / सम-जित,-मुढ (वि०) लज्जा ह्वापयति-ते; इच्छा जुहषति-ते) 1. बुलाना -तां से अभिभूत या व्याकुल होमढानां भवति विफल- पार्वतीत्याभिजनेन नाम्ना बन्धुप्रियां बन्धजनो जहाव प्रेरणा चूणमुष्टि:--मेघ० 68, - यन्त्रणा लज्जा का -कु० 1 / 26 2. नाम लेकर पुकारना, आवाहन करना, बंधन---रघु० 7 / 63 / / आवाज देना 3. नाम लेना, बुलाना 4. ललकारना हीका [ ह्री+का+टाप ] 1. शर्मीलापन, लज्जाशीलता, 5. प्रतिस्पर्धा करना, होड़ाहोड़ी करना 6. प्रार्थना ___ संकोच 2. भीरुता, डर / / करना, याचना करना, आ-, 1.बुलाना, निमंत्रित ह्रीकु (वि०) [ह्रो+उन्, कुक च] 1. शर्मीला, विनीत, करना-वत्स! इत एवाह्वयनम-उत्तर०६ 2. ललसंकोचशील 2. भीरु, कुः 1. रांगा 2. लाख / कारना (आ.)-तभीराबत चेदिराण्मुरारिम् ..-शि० ह्रीण, ह्रीत (भू० क० कृ०) [ह्री-+क्त, पक्षे तस्य नः] . 2011, कृष्णश्चाणूरमाह्वयते-सिद्धा०, भट्टि० 8118, 1. लज्जित- वेणी० 2011 2. शर्मीला, विनीत-नै० 15.89, उप--, उपा -, बुलाना, भट्टि० 8517, 3153 / सम् - समा--, मिलकर बुलाना। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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