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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1181 ) हरिकः [ हिर+ठक ] चोर / षत: तीन या चार दिन (इसी पर्व को हम 'होली' हैहय (पुं० ब० व.) एक देश और उसके अधिवासियों कहते हैं) 2. फाल्गुन मास की पूर्णिमा / का नाम, यः 1. यदु के प्रपौत्र का नाम 2. अर्जन होलिका, होली (स्त्री०) होली का त्योहार, दे० कार्तवीर्य (जिसके एक हजार भुजाएँ थी, और जिसे / 'होलाका' / परशुराम ने मार गिराया था)-धेनुवत्सहरणाच्च हेह- हो, होहो (अव्य०) [ह वेडो , नि०] संबोधनात्मक यस्त्वं च कीर्तिमपहर्तमद्यतः--रघु० 11174 / अव्यय, हो, अरे, भो। हो (अव्य०) [ हवे+डो, नि ] किसी व्यक्ति को बुलाने | हौत्रम् [होतुरिदम्, अण्] होता नामक ऋत्विक् का पद / के लिए प्रयुक्त होने वाला संबोधनात्मक अव्यय, | होम्यम् [ होम- व्यञ ] ताया हुआ मक्खन, घी। (हे, अरे)। हनु (अदा० आ० हु नुते, ह नुत) 1. ले जाना, लूटना, होड़i (भ्वा० आ० होडते) उपेक्षा करना, अनादर | छिपा देना, वञ्चित करना - अध्यगीष्टार्थ शास्त्राणि करना। यमस्याह्नोष्ट विक्रमम् ---भट्टि० 15 / 88 2. छिपाना, ii (भ्वा० पर० होडति) जाना। ढकना, रोकना,-मा० 1 3. किसी से छिपाव करना होङः [ होड्+अच ] बेड़ा, नाव / (सम्प्र०के साथ)-गोपी कृष्णाय नुते-सिद्धा० / अपहोत (वि.) (स्त्री० -त्री) [ह+तृच ] यजमान, 1. छिपाना, दुराना मनु० 853, रत्न० 2 हवन करने वाला,--वहति विधिहुतं या हविर्या च 2. मुकरना, स्वामित्व को इंकार करना, किसी से होत्री --श० 111, -(पु.) 1. ऋत्विज, विशेषकर कोई चीज़ छिपाना --गुणांश्चापनुषेऽस्माकम् वह जो यज्ञ में ऋग्वेद के मन्त्रों का पाठ करता है .. भट्टि० 5 / 44, अपनबानस्य जनाय यन्निजाम् 2. यज्ञकर्ता--रघु० 1162, 82, मनु० 11 / 36 / / (अधीरताम् ) नै० 1149, नि-, 1. छिपाना, गुप्त होत्रम् [हु+ष्ट्रन् ] 1. (घी आदि) कोई भी वस्तु / कर देना-भट्टि०१०।३६ 2. किसी से छिपाना, जिसको हवन में आहुति दी जावे 2. हवन में जली किसी के सामने मुकर जाना (संप्र० के साथ) हुई सामग्री 3. यज्ञ। भट्टि० 8174 / होत्रा [ होत्र+टाप् ] 1. यज्ञ 2. स्तुति / ह्यस् (अव्य०) [गते अहनि नि०] बीता हुआ कल / होत्रीयः [होत्राय हितं होतुरिदं वा छ) देवों को उद्देश्य सम-भव (वि.) जो कल हुआ था। __ करके आहुति देने वाला ऋत्विक,-यम् यज्ञमंडप / यस्तन (वि०) (स्त्री० ---नी) [ह्यस्+ट्युल, तुट् ] होमः [हु+मन् ] यज्ञाग्नि में घी की आहुति देना, बीते कल से संबंध रखने वाला-यथा ह्यस्तनी (ब्राह्मणों द्वारा किए जाने वाले दैनिक पंच यज्ञों में वृत्तिः / सम-दिनम् बीता कल, पिछला दिन / से एक जिसे देवयज्ञ कहते हैं) 2. हवन, यज्ञ / ह्यस्त्य (वि०) [ ह्यस् + त्यप् ] कल से संबद्ध, (बीते सम०--अग्निः होम की आग,-कुण्डम् हवनकुंड, हुए) कल का। ---तुरङ्गः यज्ञ का घोड़ा-रघु० ३।३८,-धान्यम् हवः [हाद् +अच्, नि.] 1. गहरा सरोवर, जल का तिल, धूमः होम की अग्नि का धुआँ,-भस्मन् विस्तृत और गहरा तालाब-नै० 3153 2. गहरा (नपुं०) हवन की राख,-वेला हवन करने का समय छिद्र या विवर-शि०५।२९ 3. प्रकाश की किरण / श०४,-शाला यज्ञशाला, यज्ञगृह / सम-ग्रहः मगरमच्छ / होमकः दे० 'होत'। हदिनी [ हृद- इनि+ङीप ] 1. नदी 2. बिजली। होमिः [ हु+इन्, मुटु च ] 1. ताया हुआ मक्खन, घी | हृद्रोगः [ग्रीकशब्द से व्युत्पन्न ] कुम्भ राशि / 2. जल 3. अग्नि / ह्नस् (भ्वा० पर० ह्रसति, ह्रसित) 1. शब्द करना होमिन् (पुं०) [ होमोऽस्त्यस्य इनि ] होम करने वाला, 2. छोटा होना। यजमान, यज्ञकर्ता। हसिमन् (पृ.) [ ह्रस्व+इमनिच्, ह्रसादेशः ] हलकापन, होमीय, होम्य (वि०) [होम+छ, यत् वा ] होम से / छोटापन, लघुता। संबद्ध, आहुति दिए जाने के योग्य, हवन संबन्धी, ह्रस्व (वि०) [ ह्रस-+ वन्, म० अ० ह्रसीयस, उ० अ० -म्यम् घी। हसिष्ठ ] 1. लघु, अल्प, थोड़ा 2. ठिंगना, क़द में होरा [ हु+र+टाप् ] 1. राशि का उदय 2. राशि की छोटा 3. लघु (विप० दीर्घ-छन्दःशास्त्र में), स्वः अवधि का अंश 3. एक घंटा 4. चिह्न, रेखा / बौना। सम० --अङ्ग (वि०) ठिंगना, गिट्टा, (गः) होलाका [ह+विच्, तं लाति-ला+क-कन्+टाप् ] बौना,-गर्भः कुश नामक घास, वर्भः छोटा या श्वेत वसन्त ऋतु के आने पर मनाया गया वसन्तोत्सव, | कुशनामक घास,-बाहक (वि.) छोटी भजाओं वाला. फाल्गुन मास की पूर्णिमा से पूर्व के दस दिन, विशे- -मूर्ति (वि.) कद में छोटा, ठिंगना, बौना। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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