________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1178 ) 32 5. पूरा करना (यज्ञ आदि) 6. वापिस आना, या आन्तरिक भाग 5. रहस्य विज्ञान, अश्व, अक्ष। अपने उचित स्थान को फिर से प्राप्त करना --मन सम--आत्मन् (पुं०) सारस,~-आविषु (वि०) 81319 7. दमन करना, नियन्त्रित करना। हृदयविदारक, दिल को बींधने वाला . भट्रि० 673, हृ (हि) णीयते (ना० धा० आ०) 1. क्रुद्ध होना, -ईशः ईश्वरः पति, ( शा,-री) 1. पत्नी 2. लज्जित होना (करण० या संबं० के साथ) 2. गृहिणी, कम्पः दिल का कांपना, धड़कन, ग्राहिन् -त्वयाद्य तस्मिन्नपि दण्डधारिणा कथं न पत्या धरणी (वि.) मनमोहक, चौरः जो दिल को या प्रेम को हणीयते नै० 14133, दिवोऽपि वज्रायधभूषणा या चुराता है-छिद् (वि०) हृदय-विदारक, हृदय को, हृणीयते वीरवती न भूमिः भट्टि० 2 / 38 / बींधने वाला,--विध, वेधिन् (वि०) हृदय को हणी (णि) या [हणी+यक+अ+टाप्] 1. निन्दा, बींधने वाला,-वृत्तिः (स्त्री०) मन का स्वभाव,-स्थ भत्संना 2. लज्जा 3. करुणा।। (वि०) हृदय स्थित, मन में विराजमान,-- स्थानम् हृत् (वि०) [ह+क्विप्, तुक् ] (केवल समास के अन्त | छाती, वक्षःस्थल / में) ले जाने वाला, अपहरण करने वाला, हटाने हृदयङगम (वि.) [हृदय+गम् +खच्, मुम्] 1. हृदय वाला, उठाकर ले जाने वाला, आकर्षक / को दहलाने वाला, मर्मस्पर्शी, रोमांचकारी 2. प्रिय, हृत (भू० क. कृ०) हि-क्त] 1. ले जाया गया सुन्दर,-- मा० 1 3. मधुर, आकर्षक, सुखद, 2. अपहरण किया गया 3. मुग्ध किया गया 4. स्वी- रुचिकर --अहो हृदयङगमः परिहासः-मा० 3, वल्लकी कृत 5. विभक्त, दे० 'ह'। सम०---अधिकार (वि.) च हृदयङगमस्वना रघु० 19 / 13, कु० 2016 1. जिसका अधिकार छीन लिया गया है, बाहर 4. योग्य, समुचित 5. प्यारा, वल्लभ, आंख का तारा निकाला हआ 2. अपने उचित अधिकारों से वंचित माना हुआ क्व नु ते हृदयङगमः सखा कु० 4 / 24 / किया गया,-उत्तरीय (वि०) जिसका उत्तरीय बस्त्र हृदयालु, हृदयिक, हृदयिन् (वि०) [ हृदय / आलुच, (चादर डपट्टा आदि) छीन लिया गया हो द्रव्य, ठन, इनि वा ] कोमलहृदय वाला, अच्छे दिल वाला, -धन (वि.) धन दौलत से वंचित, सर्वस्व (वि.) स्नेही। जिसका सब कुछ छीन लिया गया हो, बिल्कुल बर्वाद / हृदि (दो) कः (पुं०) एक यादव राजकुमार / हो गया हो। हृदिस्पृश् (वि०) [ हृदि+स्पृश् + क्विन्, अलुक् स०] हृतिः (स्त्री०) [ह+क्तिन् ] 1. छीन लेना 2. लूटना, 1. हृदय को छूने वाला 2. प्रिय, प्यारा 3. रुचिकर, खसोटना 3. विनाश / मनोहर, सुन्दर / हृद् (नपुं०) [-हृत, पृषो० तस्य दः, हृदयस्य हृदादेशो हृद्य (वि.) [हृदि स्पृश्यते मनोज्ञत्वात् हृद् +यत् ] वा) (इस शब्द के सर्वनामस्थान के कोई रूप नहीं, 1. हार्दिक, दिली, भीतरी 2. जो हृदय को प्रिय लगे, होते, कर्म० द्वि० व० के पश्चात् 'हृदय के स्थान में स्निग्ध, प्रिय, अभीष्ट, वल्लभ भामि० 1169 यह रूप आदेश हो जाता है) 1. मन, दिल 2. छाती, 3. रुचिकर, सुखकर, मनोहर मा० 4, रघु० 11 // दिल, सीना-इमां हृदि व्यायतपातमक्षिणोत कू० 68 / सम०-गन्धः बेल का पेड़,-गन्धा फूलों से 5 / 54 / सम० आवर्तः घोड़े की छाती के बाल, खूब लदा हुआ मोतिया। --कम्पः दिल की कंपन, धड़कन,-पत (वि.) 1. मन हृष (भ्वा० दिवा० पर० हर्षति, हृष्यति, हृष्ट या हृषित) में आसीन, सोचा हुआ, अभिकल्पित 2. पाला-पोसा 1. खुश होना, आनन्दित होना, प्रसन्न होना, हर्षित गया,-(तम्) अभिकल्पना, अर्थ, आशय,--देशः होना, बाग बाग होना, हर्षोन्मत्त होना-अद्वितीयं रुचाहृदयतल पिडः, -डम् , दिल, रोगः 1. दिल का स्मानं मत्वा किं चन्द्र हृष्यसि-भामि० 21105, भट्टि. रोग, दिल की जलन 2. शोक, गम, वेदना 3. प्रेम 15/104, मनु० 2 / 54 2. रोमांचित होना, रोंगटे 4. कुंभराशि, - लासः (हृल्लासः) 1. हिचकी खड़े होना-हृपितास्तनूरुहा:-दश०, हृष्यन्ति रोमकूपानि 2. अशान्ति, शोक,--लेखः (हल्लेखः) 1. ज्ञान, तर्कना / - महा0 3. खड़ा होना (कोई अन्य वस्तु-उदा० 2. दिल की पीडा,-लेखा (हल्लेखा) शोक, चिन्ता, लिङ्ग का) प्रेर० (हर्षयति-ते) प्रसन्न करना, खुश -वंटकः पेट, -शोकः हृदय की जलन, वेदना। करना, प्रसन्नता से भर जाना, प्र--, 1. प्रसन्न होना, हवयम् [ह+कयन्, दुक आगमः ] 1. दिल, आत्मा, मन हर्षोन्मत्त होना--न प्रहृष्येत् प्रियं प्राप्य-भग० 5 / - हृदये दिग्धशरैरिवाहतः--कु० 4 / 25, इसी प्रकार 20, 11 // 36 2. रोंगटे खड़े होना, (शरीर के बाल) 'अयोहृदय:--रघु० 9 / 9, पाषाणहृदय आदि 2. यक्ष: खड़े होना, वि, हर्षोन्मत्त करना, प्रसन्न होना, खुश स्थल, सीना, छाती -बाणभिन्नहृदया निपेतूषी--रघ० होना। 1119 3. प्रेम, अनुराग 4. किसी चीज़ का रस / हुषित (भू० क० कृ०) [ हृष्+क्त ] 1. प्रसन्न, खुश, For Private and Personal Use Only