________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1176 ) मन्ये हुतवहपरीतं गृहमिव -श० 5 / 10, शीतांशुस्त-। 4 / 74 2. उठाकर ले जाना, अपहरण करना, दूरी पनो हिम हुतवहः .. गीत० 9, मेघ० 43, ऋतु / पर ले जाना, भट्रि० 5 / 47 3. अपहृत करना, लटना, २२७,-होमः वह ब्राह्मण जिसने आग में आहुति डाका डालना, चुराना-दुर्वता जारजन्मानो हरिष्यदी है, ( मम्) जला हुआ शाकल्य। न्तीति शड्या - भामि० 4 / 45, रघ० 3139, कु. हुम् (अव्य०) हु+डुमि (मूल रूप से एक अनुकरणा- 147, भट्टि० 2139, मनु० 7 / 43 4. विवस्त्र करना, त्मक ध्वनि) निम्नांकित अर्थों को अभिव्यवत करने वञ्चित करना, छोन लेना, अपहरण करना-वृन्तातश्लथं वाला अव्यय ---1. याद, प्रत्यास्मरण हूँ ज्ञातम्, हरति पुष्पमनोकहानाम् रघु० 5 / 69, 354, ...या-रामो नाम बभूव हं तदबला सीतेति हम भट्टि० 15 / 116, मनु० 8 / 334 5. ले जाना, प्रती2. सन्देह-चैत्रो हुँ मैत्रो हुम् 3. स्वीकृति-उत्तर० कार करना, नष्ट करना तथापि हरते तापं लोका५।३५ 4. रोष 5. अरुचि 6. भर्त्सना 7. प्रश्नवाचकता नामुन्नतो घनः भामि० 1149, रघु० 15 / 24, मेघ० (जादू व मंत्रों में 'हम्' का संप्र० के साथ प्रयोग 31 6. आकृष्ट करना, मुग्ध करना, जीत लेना, प्रभाव ---उदा० ओं कवचाय हम) (हंकृ 'हुम्' की ध्वनि डालना, अधीन करना, वशीभूत करना-चेतो न कस्य करना, दहाड़ना, चिघाड़ना, रांभना यथा अनुहंक हरते गतिरङ्गनाया:- भामि०२।१५७, ये भावा हृदयं 'बदले में 'हम' की ध्वनि करना अनहंकुरुते घन- हरन्ति ...1 / 103, तवास्मि गीतरागेण हारिणा प्रसभं ध्वनि न हि गोमायरुतानि केसरी-शि०१६।२५), हृतः श० 115, मृगया जहार चतुरेव कामिनी सम० --कार:-कृतिः (स्त्री०) 1. 'हुम्' की ध्वनि -- रघु० 9 / 69, 10683, विक्रम० 4 / 10, ऋतु. करना-पृष्टा पुनः पुनः कान्ता हुंकारैरेव भाषते 6 / 20, भग० 6144, 2160 मनु० 6159 7. उपलब्ध 2. गर्जना, ललकार ...क्षतहुंकारशंसिनः--कु० 26, करना, ग्रहण करना, लेना, प्राप्त करना -ततो विशं हुंकारेणेव धनुषः स हि विघ्नानपोहति - श० 311, नृपो हरेत् मनु० 8 / 391, 153, स हरतु सुभगपरघु० 7 / 58, कु० 5 / 54 3. दहाड़ना, रांभना 4. सूअर ताकाम्-दश० 8. रखना, अधिकार में करना का घुर्घराना 5. धनुष की टंकार / --भामि० 2 / 163 1. पराभूत करना, ग्रस्त करना हुर्छ (भ्वा० पर० हुईति) टेढ़ा होना / --भट्टि० 5 / 71, शि० 9 / 63 10. विवाह करना हुल (भ्वा० पर० होलसि) 1. जाना 2. ढांपना, छिपाना। -मनु० 9 / 93 11. बांटना-प्रेर० (हारयति-ते) हलहली | हल+क, द्वित्वम, डीष च हर्ष के अवसरों पर 1. उड़वा देना, ढुवाना, पहुँचाना, (कोई चीज) किसी महिलाओं द्वारा उच्चारण की जाने वाली एक अस्पष्ट के हाथ भिजवाना (करण के कर्म के साथ)--भूत्यं हर्षध्वनि। भृत्येन वा भारं हारयति-सिद्धा०, जीमतेन स्वकुशहुहु (ह) (पुं०) [ह्वे+डु, नि०] एक गन्धर्व विशेष / लमयीं हारयिष्यन् प्रवृत्तिम्--मेघ०४, मनु० 8 / 114 हुडू (भ्वा० आ० हूडते) जाना। कु० 2 / 39 2. अपहृत करवाना, नष्ट करवाना, हूणः (न:) [ढे+नक्, सम्प्र०, पक्षे पृषो० णत्वम् वञ्चित होना 3. पुरस्कार देना, इच्छा० (जिहीर्षति 1. असभ्य, जंगली, विदेशी–सद्योमण्डितमत्तहण- -ते) लेने की इच्छा करना। अध्या-न्यनपद की चिबुकप्रस्पधि नारंगकम् 2. एक सोने का सिक्का, पूर्ति करना, अनु , 1. नकल करना, मिलना-जुलना (संभवतः यह हणों के देश में प्रचलित था),-णाः ----देहबन्धेन स्वरेण च रामभद्रमनुहरति-- उत्तर०४, (पुं०, ब० व०) एक देश या उसके अधिवासियों इसी प्रकार कि० 9 / 67 2. (अपने माता पिता से) का नाम -हूणावरोधानां--रघु० 4168 / मिलना-जुलना (इस अर्थ में आ०) दे० पा० 123 / हत (भू० क० कृ०) [ह्व+क्त संप्रसारणम्] आमन्त्रित, 21 वार्तिक, अप-, 1. छीन लेना, उड़ा लेना--पश्चा- बुलाया गया, निमन्त्रित -दे० 'हे'। त्पुत्ररपहृतभरः कल्पते विश्रमाय -- विक्रम० 3.1 हूति: (स्त्री०) [ह्वे+क्तिन्, संप्र०] 1. बुलावा, निमंत्रण 2. पराङमुख होना, मुड़ना- वदनमपहरन्तीं (गौरीम) 2. चुनौती 3. नाम-जैसा कि 'हरिहेतुहूतिः' में। कु० 7495 3. लूटना, डाका डालना, चुराना हम् दे० हुम् / 4. (किसी को) वञ्चित करना, दूर करना, नष्ट हरवः [ह इति रवो यस्य -ब० स०] गीदड़ / करना -- त्वं च कोतिमपहर्तुमुद्यत:-रघु० 11174 हूहू (पुं०) [-हुहू पृषो०] गन्धर्व विशेष / 5. आकृष्ट करना, प्रभावित करना, जोर डालना, ह (म्वा० उभ० हरति-ते, हृत, कर्मवा० ह्रियते) लेना, जीत लेना, वशीभूत करना (न) प्रियतमा यतमान ढोना, पहुँचाना, आगे आगे चलना (इस अर्थ में बहधा मपाहरत् ..-रघु० 97, इसी प्रकार 'अपहिये खल द्विकर्मक प्रयोग)-अजां ग्रामं हरति - सिद्धा०, संदेश परिश्रमजनितया निद्रया उत्तर० 1, (प्रेर०) मे हर धनप्रतिक्रोधविश्लेषितस्य - मेघ० 7, मनु० / / (दूसरों से) अपहरण करवाना –कि० 1131, अभि For Private and Personal Use Only