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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1175 ) 4. चित्रक या मदार का पौधा,—वर्गा नदी,-वाहः / चरित' काव्य के रचयिता श्री हर्ष के पिता का नाम, सोन दरिया / -रः,-रम् 1. इन्द्र का बज 2. हीरा, (नैषषषरित हरिण्यय (वि.) (स्त्री०-यो) [ हिरण्य+मयट, नि० के प्रत्येक सर्ग के अन्तिम श्लोक में आने वाला)। सम. मलोप: ] सुनहरी।। --अङ्गः इन्द्र का वज। हिरक (अव्य) हि०+उकिक, रुट 11 के बिना, के हीरकः हीर+कना हीरा। सिवाय 2. में, बीच में 3. निकट 4. नीचे। हीरा हीर+टाप] 1. लक्ष्मी का विशेषण 2. चिऊंटी। हिल (तुदा० पर० हिलति) केलि क्रीड़ा करना, स्वेच्छा से होलम् [ही विस्मयं लाति ला+क] पौरुषेय वीर्य / रमण करना, प्रमालिगन करना, कामेच्छा प्रकट | हीही (अव्य.) [ही+ही] आश्चर्य और प्रमोद को प्रकट करना। करने वाला अव्यय / हिल्ल: [हिल-लक] एक प्रकार का पक्षी। ह (जुहो० पर० जुहोति, हुत-कर्मवा० हूयते, प्रेर० हावहिल्लोलः [हिल्लोल+अच्] 1. लहर, झाल 2. हिंडोल ! यति-ते, इच्छा० जूहूषति) 1. (हवनकुंड में आहुति राग 3. धुन, सनक 4. एक रतिबंध / के रूप में) प्रस्तुत करना, किसी देवता के सम्मान में हिल्वलाः (स्त्री०, ब० व०) [-इल्वला, पृषो०] मृगशिरो। भेंट देना (कर्म के साथ), यश करना- यो मन्त्रपूर्ता नक्षत्र के शिर के पास के पांच छोटे तारे। तनुमप्यहौषीत् --रघु० 13,45, जटाधरः सन् जुहुधीह ही (अव्य.) [हि+डी] 1. आश्चर्य प्रकट करने वाला पावकम् -कि० 1 / 44 हविर्नुहुधि पावके-भट्रिक अव्यय हतविधिलसितानां ही विचित्रो विपाक:-शि० 20111, मनु० 387, याज्ञ. 1199 2. यश का 11164, या--ही चित्रं लक्ष्मणेनोचे-भट्रि० 14 अनुष्ठान करना 3. खाना / 39 (इस अर्थ में प्रायः नाटकीय भाषा में इसकी | हडi (भ्वा० पर० होडति) जाना। आवृत्ति होती है) 2. थकावट, उदासी, खिन्नता | ii (तुदा० पर० हुडति) संचय करना / तर्क / हडः हड़+क] 1. मेढ़ा 2. चोरों को दूर रखने के लिए हीन (भू० क० कृ०) [हा-+ क्त, तस्य नः ईत्वम्] 1. छोड़ा ___ लोहे का कांटा 3. एक प्रकार की बाड़ 4. लोहे का हुआ, परित्यक्त, त्यागा हुआ 2. रहित, वञ्चित, मुद्गर / वियुक्त, के विना (करण० या समास में)-गुणींना न | हुड़ः [हुड्+कु०] मेंढा-जम्बुको हुडुयुशन-- पंच० 1 / 162 / शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः-सुभा०, इसी प्रकार हडक्कः हिड+उवक] बाल की घड़ी के आकार का बना द्रव्य, मति° और उत्साह आदि 3. माया हुआ, एक छोटा ढोल, नै०१५।१७ 2. एक प्रकार का बर्बाद 4. त्रुटिपूर्ण, सदोष, हीनातिरिक्तगात्रो वा | पक्षी, दात्यूह 3. दरवाजे की कुंडी 4. नशे में चूर तमप्यपनयेत्ततः- मनु० 3 / 242 5. घटाया हुआ पुरुष / 6. कम, निम्नतर . मन० 21194 7. नीच, अधम, | | हुडुत् (नपुं०) [हुड्-+-उति] 1. सांड का भिना 2. धमकी कमीना, दुष्ट, न: 1. सदोप गवाह 2. अपराधी का शब्द / प्रतिवादी (नारद पाँच प्रकार के बताता है - अन्य- हुण्ड: [हुण्ड्+क] 1. व्याघ्र 2. मेढ़ा 3. बुलू 4. ग्रामसूकर वादी क्रियाद्वेषी नोपस्थायी निरुत्तरः / आइतप्रपलायो / 5. राक्षस। च हीनः पंचविधः स्मृतः।।)। सम० अङ्ग (वि०) हत (भू० क. कृ०) [ह+पत] 1. आहुति के रूप में अंगहीन, विकलांग, अपाहज, सदोष मन्०४।१४१, आग में डाला हुआ, यज्ञीय भेंट के रूप में होम किया याज्ञ० 2222, - कुल, ज (वि०) ओछे कुल में हुआ 2. जिसे आहुति दी जाय-श०४, रघु० 2071, उत्पन्न, नीच परिवार का,-ऋतु (वि०) जो अपने ९।३३,-तः शिव का नाम,--तम् आहुति, बढ़ावा। यज्ञानुष्ठान में अवहेलना करता है,-जाति (वि०) सम-अग्नि (वि.) जिसने अग्नि में आहुतिहाली 1. नीच जाति का 2. जाति से बहिष्कृत, बिरादरी है-रघु० 116, - अशन: 1. अग्नि-समीरणो नोदयिता से खारिज, पतित,-योनिः (स्त्री०) नीची कोटि का भवेति व्यादिश्यते केन हताशनस्य-कु० श२१, जन्मस्थान,- वर्ण (वि.) 1. नीच जाति का 2. घटिया रघु० 4.1 2. शिव का नाम सहायः शिव का दर्जे का, ... बाविन (वि.) 1. सदोष बयान देने वाला विशेषण,– अशनी फाल्गुन मास की पूर्णिमा, होलिका, 2. अपलापी 3. गूंगा, मक,---सख्यम् नीच व्यक्तियों से -आशः आग-प्रदक्षिणीकृत्य हुतं हताशम्स मेलजोल, सेवा नीच व्यक्तियों की टहल करना। २१७१,--जातवेवस् (वि०) जिसने अग्नि में आहुति हीन्तालः [हीनस्तालो यस्मात्-पपो०] दलदल में होने वाला दी है,-भुज (पुं०) आग-नैशस्याचिलुतभुज इव खजूर का वृक्ष। च्छिन्नभूयिष्ठधूमा--विक्रम 1 / 9, उत्तर० 5 / 9, हीरः [ह+क, नि०] 1. साँप 2. हार 3. सिंह 4. 'नैषध- / प्रिया अग्नि की पत्नी स्वाहा,-बहः आग-जनाकीर्ण For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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