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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1174 ) ......कि० 15. हि० ११३०,---तम 1. उपकार, लाभ, ! -ज: मैनाक पर्वत,-जा 1. खिरनी का पेड़ 2. पार्वती, फायदा 2. कोई भी उपयुक्त या समचित बात - तैलम् एक प्रकार की कपूर की मल्हम, दीधिति: 3. कल्याण, कुशल, क्षेम / सम--अनुबन्धिन (वि०) चन्द्रमा-शि० ९।२९-दुर्दिनम् अति ठंड से कष्टकल्याणपक्ष, अन्वेषिन, --- अथिन् कुशलाभिलाषी, दायक दिन, ठंड और बुरा मौसम, ध्रुतिः चन्द्रमा, ---इच्छा सदिच्छा, मंगलकामना,---उक्तिः आरोग्य- -द्रुह (पुं०) सूर्य,-ध्वस्त (वि०) पाले स मारा हुआ, वर्धक निदेन, सत्परामर्श, नेक सलाह,--उपदेशः कुतरा हुआ या नष्ट हुआ... प्रस्थ: हिमालय पहाड़, हितकर उपदेश, सत्परामर्ग, नेक सलाह,-एषिन हितेच्छु, -----रश्मि (पुं०) चाँद,-बालुका कपूयर,-शीतल (वि०) भला कहने वाला, परोपकारी, - कर (वि०) सेवा बर्फ की भांति ठंडा, --शैल; हिमालय पहाड़,--संहतिः या कृपापूर्ण कार्य करने वाला, मित्र-सा व्यवहार करने (स्त्री०) बर्फ़ का ढेर, सरस् 'बर्फ की झील, ठंडा वाला, अनुकूल, - काम (वि०) हितेच्छु, मंगलाकाटी, पानी-मा० 131, -हासकः दलदल में होने वाला ...काम्या दूसरे की मंगलकामना, सदिच्छा, - कारिन् खजूर का पेड़। कृत (पु.) परोपकारी,-प्रणी (पुं०) गुप्तचर हिमवत् (वि.) [ हिम-मतुप् ] हिममय, वीला, कुहर। यदि (वि०) मित्र-से मन वाला, सद्भावनापूर्ण, से युक्त,--(पुं०) हिमालय पहाड़-घु० 4 / 79. -वाक्यम् मैत्रीपूर्ण परामर्श,-वादिन् (पुं०) सत्परामर्श विक्रम०५।२२। सम० कुक्षिः हिमालय पर्वत की देने वाला। घाटी,-पुरम् हिमालय की राजधानी औषधिप्रस्थ का हितकः / हितक] 1. बच्चा 2. किमी पशु का शावक। नाम, -- कु० ६।३३,-सुतः मैनाक पर्वत,-सुता हिन्ताल. / हामस्तालो यस्मात् --- पृषो०] एक प्रकार का / 1. पार्वती 2. गंगा। खजर। हिमानी ! महद् हिमम्, हिम / डीए आनुक | बफ़ का ढेर हिन्दोलः ! हिल्लालघञ पूषो०] 1. हिंडोल, झला हिम का समूह, हिमसंहति नगमपरि हिमानीगौरमा 2. श्रावण के शुक्ल पक्ष में दोलोत्सव के अवसर पर साद्य जिष्णः - कि० 4.38, भामि० 125 / कृष्ण भगवान् की मूर्तियों को ले जाने वाला हिंडोल, हिरणम् हि ल्युट, नि०] 1. सोना 2. बीर्य 3. कौड़ी। या दोलोत्सव / हिरण्मय (वि.) (स्त्री० यी) [ हिरण ! मयट नि०] हिन्दोलकः, हिन्दोला [ हिन्दोल+कन्, टाप् वा ] झूला, सोने का बना हुआ, सुनहरी-हिरण्मयी सीतायाः हिंडोला। प्रतिकृतिः-उत्तर०२, रघु०१५।६१,-यः ब्रह्मा देवता। हिम (वि०) [हिमा | ठंडा, शीतल, सर्द, तुषारयक्त, हिरण्यम् [हिरणमेव स्वार्थे यत् ] 1. सोना,-मनु० 2 / 246, ओसीला,म: 1. जाड़े की मौसम, सर्द ऋतु 2. चंद्रमा 8 / 182 2. सोने का पात्र मनु० 229 3. चाँदी 3 हिमालय पर्वत 4. चन्दन का पेड़ 5. कपूर,-मम् 4. कोई भी मूल्यवान धातु 5. दौलत, संपत्ति 6. वीर्य, कुदरा, पाला -- रघु० 146, 9 / 25, कु० 2 / 19 शुक्र 7. कौड़ी 8. एक विशेष माप 9. सारांश 1. सर्फ, पाला-कु० 113, 11, रघु० 9 / 28, 15 / 10. धतुरा 1. सम-कक्ष (वि०) सुनहरी करधनी 66, 16.44, कि० 5.12 3. सर्दी, ठंडक 4. कमल पहनने वाला, --कशिपुः राक्षसों के एक प्रसिद्ध राजा 5. ताजा मक्खन, 6. मोती 7. रात 8. चन्दन की का नाम (यह कश्यप और दिति का पुत्र था। यह कड़ा। सम० अंशुः 1. चन्द्रमा,---मेघ० 89, इतना शक्ति शाली हो गया था कि इसने इन्द्र का घुल 5 / 16, 6 / 47, 14180, शि० 249 2. कपूर राज्य छीन लिया और तीनों लोकों को पीडित करने नियम चांदी, अचल:-अद्रिः हिमालय पहाड़ लगा। इसने बड़े-बड़े देवताओं की निन्दा की, और -- 154. रघु० 4179, 14.13, जा, अपने पुत्र प्रह्लाद को, विष्णु को ही परमात्मा मानने माय: 1. पार्वती 2. गंगा, ... अम्बु,-अम्भस् (नपुं०) के कारण नाना प्रकार के कष्ट दिये, परन्तु बाद में 1. भीतल जल 2. ओस - रघ. 570, ---अनिल: उसे विष्णु ने नरसिंह का अवतार धारण कर यमपुर नोतल वाय, अब्जम् कमल,-अरातिः 1. आग भेज दिया---दे० प्रह्लाद), कोशः सोना और चांदी ... सूर्य,-आगमः जाड़े का मौसम या सर्द तु (चाहे आभूषण बने हों या बिना गढ़ा सीना चौदी) ....आर्तः (वि०) पाले से ठिठुरा हआ, ठंड से जमा -गर्भः 1. ब्रह्मा (क्योंकि वह सोने के अंडे से पैदा हुआ,...-आलयः हिमालय पहाड़---कु० 111, सुता हुआ) 2. विष्णु का नाम 3. सूक्ष्मशरीर धारण करने पार्वती का विशेषण. -- आह्वः-आह्वयः कपूर, उस्रः वाली आत्मा, द (वि०) सुवर्ण देने वाला--मनु० सन्मा , कर: 1. चाँद-लुठति न सा हिमकरकिरणेन 4 / 230, (दः) समुद्र, (दा) पृथ्वी, --- नाभः मैनाक __ गीत० 7 2. कपूर, कूट: 1. जाड़े की ऋतु | पहाड़,-बाहुः 1. शिव का विशेषण 2. सोन नदी, 2. हिमालय पहाड़,-गिरिः हिमालय पहाड़,-गः चाँद, -रेतस् 1. आग-रघु० 18125 2. सूर्य 3. शिव For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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