________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1968 ) हलाहलः,-लम् देखो 'हाल (ला) हल' / घी या हवनीय द्रव्यों का खाया जाना, (नः) अग्नि, हलिः [हल+इन्] 1. बड़ा हल 2. खूड 3. कृषि / -गन्धा (हविर्गन्धा) शमीबुक्ष, जैड का पेड़,-गेहम् हलिन् (पुं०) [हल+इनि] 1. हाली, हलवाहा, किसान / (हविर्गहम) यज्ञगह जहाँ अग्नि में आहुति दी जाय, 2. बलराम। सम० प्रियः कदंब का वृक्ष (-या) भुज (हविर्भुज) अग्नि अन्वासितमरुन्धत्या मदिरा। स्वाहयेव हविर्भुजम्- रघु० 1156. 1080, 13 / हलिनी हिलिन् + ङीष् हलों का समूह / 41, कु० 5 / 20, शि० 112, काव्य० 2 / 168, हलीनः [हलाय हितः हल-+ख सागौन का पेड़। ..... यशः (हविर्यज्ञ:) एक प्रकार का यज्ञ, याजिन् हलीषा [हलस्य ईषा-ब० त०, शक० पररूपम्] हल का (हविर्याजिन्)-- (पुं०) पुरोहित। दण्ड, हलस। हव्य (वि.) [ हु कर्मणि+यत् ] आहुति के रूप में दिया हल्य (वि.) हल+यत्] 1. जोतने योग्य, हल चलाये जाने वाला पदार्थ,-व्यम् 1. घी 2. देवों को दी जाने योग्य 2. कुरूप, विकृताकृति / जाने वाली आहुति (विप० कव्य) 3. आहुति / सम० हल्या [हल्य-+टाप् हलों का समूह / -~-आशः अग्नि, कव्यम् देवों तथा पितरों को आहुहल्लकम् [हल्ल्+ण्वल लाल कमल / तियाँ-मनु० 194, 3 / 97. 128, आगे पीछे,-वाह, हल्लनम् [हल्लन-ल्युट्] लोटना, इधर-उधर करवट बदलना -- वाह वाहन (पुं०) आहुतियों को ले जाने वाला, (सोते समय) / अग्नि / हल्लीशम् (षम् ) [हल -+क्विप् लष् (स)+अच्, पृषो० (भ्वा० पर० हसति, हसित) 1. मुसकराना, मन्द ईत्वम्, कर्म० स०] 1. अठारह उपरूपकों में से एक हंसी हंसना,-हससि यदि किचिदपि दन्तरुचिकौमदी (एक प्रकार का एकांकी नाटक जिसमें प्रधानतः हरति दरतिमिरमतिघोरम-गीत० 10, भट्टि० 7 / 63, गायन और नृत्य होता है, तथा इसमें एक पुरुष और 14 / 93 2. हंसी उड़ाना, मखौल करना, उपहास सात या आठ नतंकियाँ भाग लेती है---सा० द० करना (कर्म० के साथ)--यमवाप्य विदर्भभः प्रभ 555 2. एक प्रकार का वर्तुंलाकार नृत्य / हसति द्यामपि शकभर्तकाम् नै० 2 / 16 3. (अतः) हल्लोशकः [हल्लीश+कन्] घेरा बनाकर नाचना / आगे बढ़ जाना, श्रेष्ठ होना, दूसरे को पीछे छोड़ हवः हु-1-अ, ढे+अप, संप्र०, पृषो० वा] 1. आहुति, देना-यो जहासेव वासुदेवम् -- का०, शि० 1171 यज्ञ 2. आवाहन, प्रार्थना 3. आह्वान, आमन्त्रण 4. मिलना-जुलना.....श्रिया हसद्धिः कपलानि सस्मितः 4. आदेश, समादेश 5. बुलावा, बुला भेजना 6. चुनौती, -कि० 8 / 44 5, मखौल उड़ाना, दिल्लगी करना ललकार। 6. खुलना, खिलना, फूलना - हसबन्धुजीवप्रसूनैः हवनम् [हु। भावे ल्युट्] 1. अग्नि में सामग्री की आहति 7. चमकाना, मांजकर साफ़ करना-भास्वानुदेष्यति देना 2. यज्ञ, आहुति 3. आवाहन 4. बुलावा, आम- हसिष्यति पङ्कजाली सुभा०, प्रेर० (हासयति-ते) न्त्रण 6. युद्ध के लिए ललकार। सम० आयुस् मंद हंसी हंसना - कु. 7 / 95, अप-, हंसी उड़ना, (पुं०) अग्नि। तिरस्कार करना, उपहास करना, अव-, 1. तिरस्कार हवनीयम् हिन अनीयर] 1. कोई भी वस्तु जो आहुति करना, बेइज्जती करना 2. आगे बढ़ जाना, श्रेष्ठ देने के योग्य हो 2. गरम किया हुआ मक्खन या धी। होना-स्थितावहस्येव पुरं मघोन: --- भट्टि० 26, हवित्री ह+इन् + ङीप्] हवनकुण्ड जो भूमि में खोद उप---,उपहास करना, तिरस्कार करना, बुरा भला - कर बनाया गया हो, (इसमें आहुतियां दी जाती है)। कहना-, तथा प्रयतेथा यथा नोपहस्यसे जन..... का०, हविष्मत् (वि.) [हविस्+मतुप्] आहुतिवाला। घट० 17, परि--, 1. मखौल करना, हंसी उड़ाना हविष्यम् हविषे हितम् कर्मणि यत्] 1. कोई वस्तु जो 2. उपहास करना, बुरा-भला कहना, (अतः) आगे आहुति के लिए उपयुक्त हो --मनु० 31256,11177, बढ़ जाना, श्रेष्ठ होना , जनानामानन्दः परिहसति 106, याज्ञ० 2 / 239 2. गर्म किया हुआ मक्खन / निर्वाणपदवीम् गंगा०५, प्र , 1. उपहास करना, सन०-- अन्नम् व्रत के तथा अन्य पर्वो के अवसर पर मुस्कराना.--- ततः प्रहस्यापभयः पुरन्दरम् रघु० 3 / खाने योग्य भोज्य पदार्थ, आशिन,-भुज् (पुं०) 51 3. तिरस्कार करना, बुरा-भला कहना, मखौल उड़ाना-हसन्तं प्रहसन्त्येता रुदन्तं प्ररुदन्ति च-सुभा० हविस् (नपुं०) हियते हु कर्मणि असुन] 1. आहुति या 4. चमकाना, शानदार दिखाई देना, वि--, 1. मुस्क हवनीय द्रव्य -बहति विधिहुतं या हविः--श० 111, राना, मन्द मन्द हंसना किंचिद्विहस्यार्थपति बभाषे मनु० 3187, 132, 5 / 7, 6 / 12 2. गर्म किया हुआ - रघु० 2 / 46 2. उपहास करना, बुराभला कहना, मक्खन 3. जल। सम० - अशनम् (हविरशनम्) / अपमान करना-किमिति विषीदसि रोदिषि विकला अग्नि / For Private and Personal Use Only