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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विहसति युवतिसभा तव विकला-गीत० 9, गौरी होती है जब कभी ऐसी बात का निर्देश करना हो तो वक्तभ्रफुटिरचना या विहस्येव फेनै:--मेघ० 50 / बिल्कुल स्पष्ट और अनायास ही वोधगम्य हो;-आवापः हस [ हस् / अप् ] 1. हंसी, ठहाका 2. उपहास 3. आमोद, | दस्ताना, हस्तत्राण, (ज्याघातवारण)--विक्र० 5, श०६ प्रमोद, खुशी, प्रसन्नता / - कमलम् 1. हाथ में लिया हुआ कमल 2. कमल हसनम् [ हम नल्य ट् हंसना, ठहाका, अट्टहास / जैसा हाथ, कौशलम् हाय की दक्षता,---क्रिया हाथ हसनी [ हसन +डीप् ] उठाऊ चूल्हा, कांगड़ी / का काम, दस्तकारी, गत गामिन् / वि०) हाथ में हसन्ती हस शत--डीप] 1. उठाऊ अंगीठी 2. एक प्रकार आया हआ. अधिकार में आया हआ, प्राप्त, गृहीत की मल्लिका। त्वं प्रायसे हस्तगता ममभि: रघु० 767, हसिका [ हम्+ण्वुल+टाप, इत्वम् ] अट्टहास, उपहास / 8 / 1, ग्राहः हाथ से पकड़ना, चापल्यम हस्तकौशल, हसित (भू० क. कृ.) [ हस्+क्त ] 1. जिसकी हंसी की ---तलम 1. हाथ को होलो 2. हाथी के मंड की नोक, गई हो, हंसना 2. विकसित, फूला हुआ, तम् 1. अट्ट- -ताल: होली बजाना, तालियां बजाना, दोषः हास 2. मखौल, मज़ाक 3. कामदेव का धनुष / हाथ से होने वाली टि, भूल, धारणम्-वारणम् हस्तः [ हस्- तन्, न इट् ] हाथ; हस्तं गतः हाथ में (हाथ से) आघात का निवारण करना, पादम् हाथ पड़ा हुआ या अधिकार में आया हुआ,—गौतमीहस्ते और पर, न मे हस्तपादं प्रसरति श०४, पुच्छम् विसर्जयिष्यामि- श०३, (मैं गौतमी के हाथ कलाई से नीचे का भाग, --पृष्ठम् हथेली का पृष्ठभाग, (द्वारा) इसे भेज दंगा) इसी प्रकार 'हस्ते पतिता', . प्राप्त (वि०) 1. हस्तगत 2. उपलब्ध, सुरक्षित, 'हस्ते संनिहितां कुरु' आदि, शंभुना दत्तहस्ता - मेघ० --.. प्राप्य (वि.) जहाँ आसानी से हाथ पहुंच सके, 60 (शंभु का सहारा लिए हुए), हस्ते कृ (हस्तेकृत्य, जो हाथ की पहुँच में हो---हस्तप्राप्यस्तवकनमितो कृत्वा) हाथ से पकड़ना, ले लेना, हाथ से ले लेना, वालमन्दारवक्षः-मेघ०७५, - बिम्बम् शरीर में उबटन हाथ में पकड़ लेना, अधिकार कर लेना, लोकोक्ति- आदि गंध द्रव्यों का लेप, मणिः कलाई पर पहना हस्तकडाकणं कि दर्पणे प्रेक्ष्यते (हाथ कंगण को आरसी जाने वाला रत्नाभूषण,-लाघवम् 1. हाथ की तत्परता क्या) अर्थात् हाथ पर रक्खी वस्तु को देखने के लिए या कुशलता 2. हाथ की सफाई, वाजीगरी,-संवाहनम् शीशे की आवश्यकता नहीं होती 2. हाथी की संड-कू० हाथ से मलना या मालिश करना-मेघ० ९६,-सिद्धिः 1136 3. तेरहवां नक्षत्र जिसमें पाँच तारे सम्मिलित हैं (स्त्री०) 1. हाथ का श्रम, हाथ से किया जाने वाला हाथभर, एक हस्तपरिमाण, (24 अंगल या लगभग काम 2. भाडा, पारिथमिक, मजदूरी, सूत्रम् कलाई 18 इंच की लंबाई, जो कोहनी से मध्य अंगली की में धारण किया हुआ मंगलसूत्र या वलय, कड़ा नोक तक होती है) 5. हाथ की लिखाई, हस्ताक्षर -- कु०७।२५। —घनीवोपगतं दद्यात् स्वहस्तपरिचिह्नितम्-याज्ञ० | हस्तकः हस्तवत् [हस्त--कन् ] 1. हाथ की अवस्थिति / 3 / 93, स्वहस्तकालसंपन्नं शासनम्-११३२० (तारीख हस्ताहस्ति (वि०) [हस्त+मतुप् ] दक्ष, कुशल, 'चतुर / और हस्ताक्षर सहित), धार्यतामयं प्रियायाः स्वहस्तः हस्तिकम् (अव्य०) [ हस्तैश्च हस्तैश्च प्रहृत्य इदं युद्धं ---विक्रम० 2, (मेरी प्रिया का आत्मलेख), 2 / 20 प्रवृत्तम् व० स०, दीर्घ; इत्वम्, अव्ययत्वं च ] हाथा (अतः आलं० से) प्रमाण, संकेत - मुद्रा० 3 7. सहा- पाई, हस्ताहस्ति जन्यमजनि दश। यता, मदद, सहारा,-वात्याखेदं कृशाङ्गया: सुचिरमव- हस्तिकम् हस्तिनां समूहः ---कन् ] हाथियों का समूह / यवर्दत्तहस्ता करोति-वेणी० 2 / 21 8. राशि, परि- हस्तिन् (वि.) (स्त्री०-नी) हस्त: शंडादण्डोऽस्त्यस्य इनि| माण, (बालों का) गुच्छा, रचना में 'केश' 'कच' के साथ 1. करयुक्त 2. संडवाला, - (पुं०) हाथी मनु० -पाश: पक्षश्च हस्तश्च कलापार्थाः कचात्परे अमर०, 7196, 12 / 43, (हाथी चार प्रकार के बताये जाते सति विगलितबन्धे केशहस्ते सुकेश्याः सति कुसुमसनाथे है - भद्र, मंद्र, मृग और मिश्र) 1. सम० अध्यक्षः किं करोत्येष बी, विक्रम०४।१०,-स्तम् धौंकनी / हाथियों का अधीक्षक, आयुर्वेदः हाथियों के रोगों की सम० -अक्षरम् अपने निजी अक्षर, दस्तखत,—अग्रम् चिकित्सा से संबद्ध कृति, रचना, आरोहः महावत, या अंगुली (क्योंकि हाथ का सिरा यही होती है) हाथी की सवारी करने वाला, कक्ष्यः 1. सिंह 2. बाघ -अंगुलिः हाथ को कोई सी अंगुलि, अभ्यस्तः हाथ से -कर्णः एरंड का पौधा,-नः 1. हाथी को मारने वाला, काम करने का अभ्यास, -अवलम्बः ---आलम्बनम् हाथ -चारिन् (40) पीलवान,-दन्तः 1. हाथी का दांत का सहारा -दत्तहस्तावलम्बे प्रारम्भे-रत्न (सहारा 2. दीवार में गड़ी हुई खूटी (--तम्) 1. हाथीदांत दिये जाने पर),-आमलकम् 'हाथ में रक्खा आंवले 2. मूली,--दन्तकम् मूली, ---- नखम् पुरद्वार पर बना का फल' यह एक वाग्धारा है, और उस समय प्रयुक्त / हुआ मिट्टी का ढहा,- प: पकः पीलवान, हाथी की 147 For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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