________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1151 ) (इसी अर्थ में प्रेर० रूप प्रयुक्त होता है)—एकोऽपि | स्फेयस् (वि०) अतिशयेन स्फिरः, ईयसुन्, स्फादेशः 'स्फिर विस्फुरितमण्डलचापचकं कः सिन्धुराजमभिषणयितुं की म० अ०] प्रचुर तर, अपेक्षाकृत विस्तारयुक्त। समर्थः-वेणी० 2 / 25, कि० 14 / 31 / स्फेष्ठ (वि.) [ स्फिर+इष्ठन्, स्फादेशः, 'स्फिर' की स्फुरः [ स्फुर् भावे घटा ] 1. धड़कना, थरथराना, फर- उ० अ० ] प्रचुरतम, अत्यंत विस्तारयक्त / कना 2. सूजन 3. ढाल / स्फोटः [ स्फुट करणे घा ] 1. फूट निकलना, चटक कर स्फुरणम् [ स्फुर-+ ल्युट ] 1. धड़कना, फरकना, थरथ- खुलना, फट पड़ना 2. भेद खुलना जैसा कि 'नर्मस्फोट राना 2. शरीर के अंगों का (शुभाशुभसूचक) फरकना में 3. सूजन, फोड़ा, रसौली 4. शब्द के सूनने पर मन 3. फट निकलना, उदित होना, दिखाई देने लगना में आने वाला भाव, शब्द सुन कर मन में उत्पन्न होने 4. चमकना, दमकना, जगमगाना, झलकना, टिमटिमाना वाला विचार-बुधर्वैयाकरणः प्रधानभूतस्फोटरूपव्य5. मन में फुरना, अचानक स्मरण हो आना। जकस्य शब्दस्य ध्वनिरिति व्यवहारः कृतः --काव्य स्फुरत् (वि०) [ स्फुर-+-शतृ 1 धड़कने वाला. चमकने 1, सर्व भी दे० (पाणिनीयदर्शन) 5. मीमांसकों वाला। सम० उल्का उल्कापिंड, टूटा तारा। द्वारा माना हआ नित्य शब्द / सम-बीजक: भिलावा / स्फुरित (भू० क० कृ०)। स्फुर+क्त ] 1. कंपायमान, | स्फोटन (वि.) (स्त्री० - नी) स्फुट ल्युट ] फाड़कर धड़कता हुआ 2. हिला-डुला 3. चमकीला, दमकने अलग-अलग करना, प्रकट करना, भेद खोलना, स्पष्ट वाला 4. अस्थिर 5. सूजा हुआ, ...तम् 1. धड़कना, करना,-नः परस्पर मिले हुए व्यंजनों का अलग-अलग फरकना, थरथराहट 2. विक्षोभ या मन का संवेग / उच्चारण,-नम् फाड़ना, अचानक फट पड़ना, टुकड़े स्फुर्छ (म्वा० पर० स्फूर्च्छति) 1. फैलना, विस्तृत होना टुकड़े होना, चटकना 2. अनाज फटकना 3. अंगुलियों 2. भूल जाना। को ग्रन्थियां चटखाना, अंगुलियाँ चटकना 4. दो मिले स्फुर्ज (म्वा० पर० स्फूर्जति) 1. गरजना, गरजनध्वनि, हुए व्यंजनों का अलग करना। धमाधम होना, विस्फोट होना,--मनु० 1153 2. दम- | स्फोटनी [ स्फोटन+ङीप्] सूराख करने का औज़ार, जमीन कना, चमकना 3. फट पड़ना, फूटना, स्फूर्जत्येव स | का बरमा, बरमा / एष सम्प्रति मम न्यक्कारभिन्नस्थितेः --- महावीर० स्फोटा [ स्फोट+टाप् ] साँप का फैलाया हुआ फण / 3140, वि, 1. दहाड़ना, गरजना 2. गंजना | स्फोटिका [स्फुट +ण्वुल+टाप, इत्वम्] एक पक्षीविशेष / 3. बढ़नः .. चमकना, प्रतीत होना-अस्त्येवं जडधा- स्फोरणम् (दे० स्फुरणम्)। मता तु भक्तो रद् व्योम्नि विस्फूर्जसे-काव्य. 10 / / स्पषम् [ स्फाय+यत्, नि० साधुः ] यज्ञों में प्रयुक्त होने स्फुल् (तुदा० पर० स्फुलति) 1. कांपना, धड़कना, धक- __ वाला तलवार के आकार का एक उपकरण-मनु० धक करना 2. लपकना, अचानक आ पड़ना 3. स्वस्थ- 5 / 117, याज्ञ. 184 / सम-वर्तनि: इस उपचित्त होना 4. मार डालना, नष्ट करना / करण द्वारा बनाया गया चिह्न (खूड)। स्फुलम् (स्फुल+क] तंबू, खेमा / दे० स्व। स्फुलनम् [ स्फुल-+ ल्युट् ] कांपना, थरथराना, फरकना। (अव्य) [स्मि+] एक प्रकार का निपात जो स्फुलिङ्गः, -- गम्, स्फुलिङ्गा [स्फुल+इङ्गक ] आग की वर्तमान काल की क्रियाओं के साथ (या वर्तमान चिगारी,- स्फुलिंगावस्थया बहिरेधापेक्ष इव स्थितः कालिक कृदंत शब्दों के साथ) जुडकर भूतकाल का --श० 7.15, वेणी०६।८ / अर्थ देता है . भासुरको नाम सिंहः प्रतिवसति स्म स्फर्जः [ स्फूर्ज+घा ] 1. बादलों की गड़गड़ाहट 2. इन्द्र ---पंच० क्रीणन्ति स्म प्राणमुल्यर्यशांसि-शि० 17.15 का वज़ 3. अकस्मात् फूट निकलना या उदय होना 2. शब्दाधिक्य निपात (बहुधा निषेधात्मक निपात के ..जैसा कि 'नर्मस्फर्ज' में 4. नायक-नायिका का साथ जोड़ा जाता है - भविप्रकृतापि रोषणतया मा प्रथम मिलन जिसके आरंभ में आनन्द और अन्त में स्म प्रतीपं गमः - श० 4117, मा स्म सीमन्तिनी भय की आशंका रहती है।। काचिज्जनयेत्पुत्रमीदृशम् -- हि० 217 / स्फूर्जयः स्फु अथुच ] बिजली की गड़गड़ाहट, गरज। स्मयः [स्मि+अच] 1. आश्चर्य, अचंभा, ताज्जुब 2. अभिस्फूतिः (स्त्री०) [स्फुर (स्फुर्छ)+क्तिन् ] 1. धड़कन, मान, घमंड, हेकड़पना, गर्व तस्मै स्मयावेशविजि स्फूरण, थरथराहट 2. छलांग, चौकड़ी 3. कूसूमित, ताय ----रघु० 5.19, भर्तृ० 3 / 3, 69 / प्रफुल्लित 4. प्रकटीकरण, प्रदर्शन 5. मन में फरना स्मरः [स्म भावे अप] 1. प्रत्यास्मरण, याद 2. प्रेम 6. काव्य की उद्भावना / 3. कामदेव, प्रेम का देवता, स्मरपर्यत्सुक एव माधव: स्फूतिमत् (वि०) [ स्फूर्ति +-मतुप् ] 1. धड़कने बाला, | --कु० 4 / 28,42, 43, सम०-अङ्कुश: 1. अंगुली थरथराने वाला, विक्षुब्ध 2. कोमल हृदय / का नाखून 2. प्रेमी, कामातुर व्यक्ति,-अगारम् For Private and Personal Use Only