________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1152 ) --कूपकः,-- गृहम् मन्दिरम् स्त्री की योनि, भग, ब्राह्मण 2. परंपराप्राप्त धर्म का अनयायी 3. (स्मयों -अन्ध (वि.) कामांध, प्रेममुग्ध,-आतुर -- आर्त के अनुसार चलने वाला एक) संप्रदाय / -उत्सुक (यि०) काम से पीडित, कामतप्त, काम- | स्मि (भ्वा० आ० स्मयते, स्मित) 1. मुस्कराना, हँसना दग्ध,- आसवः लार,-कर्मन् (नपुं०) कोई भी काम- (मंद मंद)... काकुत्स्थ ईषत्स्मयमान आस्त-भट्टि० कतापूर्ण व्यवहार, स्वैरकृत्य,-गुरुः विष्णु का विशेषण 2 / 11, 15 / 8, स्मयमानं वदनाम्बुजं स्मरामि —भामि० - छत्रम् भगशिश्निका, बशा शरीर की कामजन्य 2 / 27 2. खिलना, फूलना पंच० १११३६,-प्रेर० अवस्था (यह दस है), --ध्वजः 1. पुरुषेन्द्रिय 2. पौरा (स्माययति--ते) 1. मुस्कान पैदा करना, मुस्कराहट णिक मछली 3. एक वाद्ययंत्र, (- जम्) भग,(-जा) को जन्म देना 2. हंसना, अपहास करना 3. आश्चचाँदनी रात,-प्रिया रति का विशेषण,-भासित (वि०) र्यान्वित करना (इस अर्थ में-स्मापयते) इच्छा० कामोद्दीप्त,-मोहः कामजन्य संज्ञाहीनता, प्रणयोन्माद, (सिस्मयिषते) 1. मुस्कराने की इच्छा करना / --लेखनी सारिका पक्षी,---बल्लभः 1. बसंत ऋतु का उद्, मुस्कराना, हँसना, वि- 1. आश्चर्य करना, विशेषण 2. अनिरुद्ध का विशेषण,-वीथिका वेश्या, अचंभे में आना-उभयोर्न तथा लोकः प्रावीण्येन रंडी,-शासनः शिव का विशेषण, - सखः चन्द्रमा, विसिष्मिये-रघु० 15/65, भट्टि० 5 / 51 2. सराहना -स्तम्भः शिश्त, पुरुष का लिंग, - स्मर्यः रासभ, गधा 3. घमंडी, अहंमन्य होना-न विस्मयेत तपसा-मनु० -हरः शिव का विशेषण / 4 / 236, (प्रेर०) मुस्कान पैदा करना, आश्चर्यान्वित स्मरणम् [स्मृ+ल्युट्] 1. स्मृति, याद, प्रत्यास्मरण - केवलं कराना, आश्चर्य या अचंभे से भरना- विस्माययन् स्मरणेनैव पुनासि पुरुषं यतः-रघु० 10 // 30 विस्मितमात्मवृत्ती-रघु० 2 / 33, भट्टि० 5 / 58, 2. चिन्तन करना-यदि हरिस्मरणे सरसं मन:-गीत०१ 8 / 42 / 3. स्मृति, स्मरणशक्ति 4. परम्परा, परंपरागत स्मिट (चुरा० उभ० स्मेटयति ते) 1. अपमानित विधि - इति भृगुस्मरणात् (विप० श्रुति) 5. किसी करना, घृणा करना, नफ़रत करना 2. प्रेम करना देवता के नाम का मन में जाप करना 6. खेद से याद 3. जाना। करना, खे दकरना 7. काव्यगत प्रत्यास्मरण जो एक स्मित (भू. क. कृ.) [स्मि+क्त ] 1. मुस्कानयुक्त, अलंकार माना जाता है, इसकी परिभाषा है-यथानुभव- मुसकराता हुआ 2. फुलाया हुआ, खिला हुआ, प्रफमर्थस्य दृष्ट तत्सदृशो स्मृतिः स्मरणम्-काव्य० 10 / ल्लित, - तम् मुस्कान, मंद हंसी, सस्मितम् मुस्कराहट सम०-अनुग्रहः 1. कृपापूर्वक स्मरण करना, 2. स्मरण | के साथ, सविलक्षस्मितम् आदि / सम०-दश (वि०) करने की कृपा--कु. ६।१९,-अपत्यतर्पकः कच्छप, मुस्कानयुक्त दृष्टि रखने वाला (स्त्री०) सुन्दर स्त्री, कछुवा, - अयोगपद्यम् प्रत्यास्मरणों की समसामयिकता - पूर्वम् (अव्य०) मुस्कराहट के साथ, मुस्कान से का अभाव, पदवी मृत्यु / युक्त, सप्तर्षिभिस्तान् स्मितपूर्वमाह - कु० 747 / स्मार (वि.) [स्मर+अण् ] कामदेवसंबंधी - स्मारं | स्मील (म्वा० पर० स्मीलति) झपकना, आँख से संकेत पुष्पमयं चापं बाणाः पुष्पमया अपि / तथाप्यनङ्गस्त्र-| करना। लोक्यं करोति वशमात्मनः -रम् [स्म+घञ्] स्म (स्वा० पर० स्मृणोति) 1. प्रसन्न होना, संतुष्ट प्रत्यास्मरण, स्मरणशक्ति / होना 2. प्ररक्षा करना, प्रतिरक्षा करना 3. जीवित स्मारक (वि०) (स्त्री०-रिका) [स्म+णिच्+ण्वुल, रहना। स्त्रियां टाप इत्वं च ] ध्यान दिलाने वाला, फिर याद ii (भ्वा० पर०–महाकाव्यों में आ० भी-स्मकराने वाला,-कम् किसी की स्मति-रक्षा के अभिप्राय रति, स्मृत कर्मवा० स्मयते) 1. (क) याद करना, से संस्थापित कोई संस्था (आधुनिक प्रयोग)। मन में रखना, प्रत्यास्मरण करना, मन में लाना, स्मारणम् [स्म-+-णिच् + ल्युट ] मनमें लाना, याद विदित होना - स्मरसि सुरसनीरां तत्र गोदावरी दिलाना, स्मरण कराना। वा स्मरसि च तदुपान्तेष्वावयोर्वर्तनानि-उत्तर० स्मार्त (वि.) [स्मतौ विहितः, स्मति वेत्त्यघीते वा अण] 1 / 25, (ख) मन में पुकारना, मन से याद करना, 1. स्मृतिसंबंधी, याद किया हुआ, स्मारक 2. स्मृति सोचना - स्मरात्मनोऽभीष्टदेवताम् ---पंच० 1, रघु० के भीतर 3. स्मृति पर आधारित, या स्मृति में 15 / 45 2. किसी देवता के नाम का मन में ध्यान अभिलिखित, धर्मशास्त्र में विहित-कर्मस्मार्त विवा- करना या मन में जाप करना, - यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं हाग्नौ कुर्वीत प्रत्यहं गृही-याज्ञ. 197, मनु०१॥ स बाधाभ्यन्तरःशुचिः 3. स्मृति में अंकित करना या 108 4.वैध 5. धर्मशास्त्र को मानने वाला 6. गह्म अभिलेख करना -तथा च स्मरन्ति 4. प्रकथन करना, (जैसे कि अग्नि),-तः परंपराप्राप्त धर्म का विशेषज्ञ खयाल करना, सोचना, पंच० 1 / 30 5. खेद के For Private and Personal Use Only