________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1150 ) 3 / 167 3. भाग जाना, छलांग लगाना, तितर- / स्फुट, (चुरा० उभ० स्फुट्टयति-ते) तिरस्कार करना, वितर करना,- तुरङ्गः पुस्फुदुर्भीता:- भट्टि० 1416, अपमान करना, निरादर करना। 10184. दृष्टिगोचर होना, निगाह में पड़ना, प्रकट | कर (तुदा० पर० स्फुडति) ढकना / होना, स्पष्ट होना। स्फुष्ट i (भ्वा० पर० स्फुण्टति) खोलना, फुलाना / ii (चुरा० उभ० स्फुटयति-ते) 1. फटना, तरेड़ (चुरा० उभ० स्फुण्टयति-ते) मखौल करना, आना, टूट जाना 2. निगाह में पड़ना,-प्रेर० स्फोट मजाक करना, उपहास करना। यति-ते, 1. फट कर टुकड़े टुकड़े होना, खंडश: स्फुण्ड (भ्वा० आ०, चुरा० उभ० स्फुण्डते, स्फुण्डयति-ते) होना, खोल कर फाड़ना, तरेड़ डालना, बांटना 2. प्रकट करना, बतलाना, स्पष्ट करना 3. खोलना, स्फुत् (अव्य०) एक अनुकरण परक ध्वनि / करः आग, भंडाफोड़ करना 4. चोट पहुंचाना, नष्ट करना, मार -कारः 'स्फुत्' ध्वनि, चटचटाने की आवाज / डालना 5. पछोड़ना। स्फुर् (तुदा० पर० स्फुरति, स्फुरित) 1. (क) थरथराना, स्फुट (वि.) [स्फुट+2 ] 1. फट पड़ा, टूट कर टुकड़े फरकना (जैसे आंख का) शान्तमिदमाश्रमपदं हुआ, टूटा हुआ, खंडित 2. खिला हुआ, फूला हुआ, स्फुरति च वाहुः कुतः फलमिहास्य श० 1115, प्रफुल्लित - स्फुटपरागपरागतपङ्कजम्-शि० 625 स्फुरता वामकेनापि दाक्षिण्यमवलम्ब्यते मा० 118 3. प्रकटीकृत, प्रदर्शित, स्पष्ट किया हुआ (ख) हिलना, कांपना, लरजना, थरथराना स्फूरद4. साफ़, स्पष्ट, साफ दिखाई देने वाला या व्यक्त धरनासापुटतया ---उत्तर० 1129, 6 // 33 2. खसोटना, --अत्र स्फुटो न कश्चिदलङ्कारः-काव्य० 1, कु० संघर्ष करना, विक्षुब्ध होना हतं पृथिव्यां करुणं 5 / 44, मेघ०७०, कि० 11144 5. प्रत्यक्ष-उत्तर० स्फुरन्तम्- राम० 3. कृच करना, फेंकना, आगे उछ३।४२ 6. श्वेत, उज्ज्वल, शुभ्र-मुक्ताफलं वा लना-पुस्फुरुर्वृषभाः परम् ---भट्टि० 1416 4. पीछे की स्फुटविद्रुमस्थम्- कु० 1144 7. सुविदित. प्रसिद्ध, ओर उछलनी, पलट कर आना 5. उछलना, फूट -स्फुटनृत्यलीलमभवत्सुतनो:- शि० 9 / 79 (प्रथित) निकला, उदगत होना, उठना--धर्मतः स्फूरति निर्मल 8. प्रसारित, विकीर्ण 9. उच्च 10. दृश्यमान, सत्य, यशः 6. दष्टिगोचर होने लगना, दिखाई देने लगना, -~-टम् (अध्य०) स्पष्ट रूप से, विशदतया, साफ़ तौर प्रकट होने लगना, स्पष्ट दिखाई देना, प्रदर्शित होना पर, निश्चय ही, प्रकट रूप से / सम० अर्थ (वि०) ___ मुखात्स्फुरन्ती को हर्तुमिच्छति हरेः परिभूयं दंष्ट्राम् 1. बोधगम्य, स्पष्ट 2. सार्थक,-तार (वि.) जिसमें --- मद्रा० 118, रचितरुधिरभूषां दष्टिमीपे प्रदोषे तारे रूपी रत्न जड़े हुए हों, उज्ज्वल,-फलम् (ज्या० स्फुरति निरवसादो कापि राधां जगाम - गीत०११ में) 1. किसी त्रिकोण का यथार्थ क्षेत्रफल 2. किसी 7. दमक उठना, जगमगाना, चिंगारी उठना, चमकना, गणित का मूलफल, सारः किसी ग्रह या तारे का झलकना, टिमटिमाना-स्फुरति कुचकुम्भयोपरि वास्तविक आयाम,-- सूयंगतिः (स्त्री०) सूर्य की दृश्य मणिमञ्जरी रञ्जयतु तव हृदयदेशम् गीत० 10, मान या वास्तविक गति / (तया) स्फुरत्प्रभामण्डलया चकाशे कु० 1 / 24, स्फुटनम् [ स्फूट+ल्य ] 1. तोड़ कर खोलना, फाड़ रघु० 3160, 5 / 51, मेघ०१५।२७ 8. चमकना, देना, फूट जाना, फट कर खुल जाना 2. प्रसार होना, विशिष्टता दिखाना, प्रमुख होना. पंच० 1127 खुलना, प्रफुल्लित होन / 9. अचानक मन में फुरना, अकस्मात् स्मृति में आना स्फुटिः,टी (स्त्री०) [ स्फुट-+-इन्, पक्षे डीष ] पैरों की 10. थरथराते हुए चलना 11. खरोंचना, नष्ट करना खाल का फट जाना, दवाई, परों का दुःखना या | -प्रेर० (स्फारयति-ते, स्फोरयति-ते) 1. थरथराना सूजन / 2. चमकाना, जगमगाना 3. फेंकना, डाल देना, अप--- स्फुटिका [ स्फुटि+कन्+टाप् ] टूटा हुआ छोटा टुकड़ा, चमक उठना, अभि.--.1. फैसला, प्रकीर्ण होना, फूलना खंड, फांक। 2. ज्ञात होना, परि घड़कना, फरकना, धकधक स्फुटित (भू० क० कृ०) [स्फुट+क्त ] 1. फटा हुआ, करना-- तस्याः परिस्फुरितगभरालसायाः - उत्तर टूट कर खुला हुआ, खंड-खंड हुआ, तरेड़ आया हुआ 3128, प्र-, 1. फरकना, कांपना 2. फैलना, प्रसृत 2. मुकूलित, खिला हुआ, प्रफुल्लित (जैसा कि होना--प्रास्फुरन्नयनम् --महा० 3. दूर-दूर तक फूल) 3. स्पष्ट किया गया, प्रकट किया गया, फैलना, विख्यात होना-.--संस्थितस्य गुणोत्कर्षः प्रायः दिखलाया गया 4. फाड़ा हुआ, नष्ट 5. हंसी उड़ाया प्रस्फुरति स्फुटम्-सुभा०, वि-, 1. फरकना, हुआ। सम०-चरण (वि.) जिसके पैर फैले हों, कापना 2. संघर्ष करना 3. चमकना, दमकना बाहर को निकले हुए चौड़े चपटे पर बाला। .. उत्तर० 4 4. (धनुष को) तानना, टंकारना फलपति स्वार्थ करना को) ता For Private and Personal Use Only