________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कामना, लालसा, ईर्ष्या, अभिलाषा-कथमन्ये करि- | स्फार (वि.) [स्फाय---रक्] 1. विस्तृत, बड़ा, बढ़ा हुआ, ष्यन्ति पुत्रेभ्यः पुत्रिणः स्पृहाम्---वेणी० 3 / 29, / फुलाया हुआ ..स्फारफुल्लत्फणापीठनियंत्-आदि-मा० रघु० 8 / 34 / 5 / 23, महावीर० 6 / 32 2. अधिक, पुष्कल . महास्पा (वि.) [स्पृह, +णिच् + यत्। वांछनीय, स्पर्धा के | वीर० 5 / 2, भर्तृ० 3142 3. ऊंचा (स्वर),-र योग्य, ह्यः बिजौरा नीब / 1. सूजन, वृद्धि, विस्तार, विकास 2. (सोने में पड़ी स्पृ (क्रया० पर० स्पृणाति) आघात करना, मार डालना। हुई) फुटकी 3. उभार, गिल्टी 4. धड़कना, थरथरीस्प्रष्ट (पुं०) दे० 'स्पष्टुं'। युक्त स्पन्दन, धकधक 5. टंकार,-रम् प्रचुरता, स्फट (भ्वा० पर० स्फटति) फट पड़ना, फूलना। आधिक्य, पुष्कलता (स्फारीभ सूज जाना, फूलना, स्फटः [स्फट + अच्] साँप का फैलाया हुआ फण तु० | फैलना, बढ़ना, वृद्धि होना -सुस्निग्धा विमुखीभवन्ति फट-टा। सुहृदः स्फारीभवन्त्यापदः मुच्छ० 1136 / स्फटा [स्फट+टाप्] 1. साँप का फैलाया हुआ फण | स्फारण [स्फुर् +-णिच् + ल्युट्, स्फारादेशः] थरथराहट, 2. फिटकिरी। स्फुरण, कंपकंपी। स्फटिकः स्फटि+के+क बिलौर, काचमणि---अपगतमले स्फाल: [स्फाल+घञ्] थरथराहट, धकधक, घड़कन, हि मनसिं स्फटिकमणाविव रजनिकरगभस्तयः सुखं कंपकंपी। प्रविशन्त्युपदेशगणाः-का० / सम०-अचल: मेरु पर्वत, स्फालनम् [स्फाल् + ल्युट्] 1. स्पन्दन, धकधक 2. हिलाना-- अद्रिः कैलास पहाड़, भिद् (पुं०) कपूर अश्मन्, डुलाना 3. रगड़ना, घिसना 4. थपथपाना, सहलाना --आत्मन,-मणि (0) शिला बिल्लौर पत्थर / (घोड़े आदि को), धीरे-धीरे हाथ फेरना। स्फटिकारिः, स्फटिकारिका (स्त्री०) फिटकिरी। | स्फिच् (स्त्री०) [ स्फाय+डिच् ] चूतड़, कूल्हा, अंसस्फटिकी [फटिक+डीप] फिटकिरी। स्फिक्पृष्ठपिण्डाद्यवयवसुलभान्युग्रपूतानि जग्ध्वा-मा० स्पष्ट / ( भ्वा० पर० स्फण्टति ) फूट पड़ना, खिलना, 5 / 16 / स्फिट् (चुरा० उभ० स्फेटयति--ते) 1. चोट पहुँचाना, 1 ( चुरा० उभ० स्फण्टयति-ते) मखौल करना, क्षतिग्रस्त करना, मार डालना 2. घृणा करना 3. प्रेम मजाक करना, हंसी उड़ाना। करना 4. ढकना। स्फर् दे० स्फुर् / | स्फिट्ट (चुरा० उभ• स्फिट्टयति ---ते) चोट पहुंचाना स्फरणम् [स्फर्+ल्युट कांपना, थरथराना, धड़कना / / | आदि, दे० ऊपर 'स्फिट् / स्फल् (भ्वा० पर० स्फलति) कांपना, थरथराना, घड़कना, स्फिर (वि.) [स्फाय+किरच्, म० अ० स्फेयस, उ. लरजना, (चुरा० उभ० या प्रेर० स्फालयति-ते) अ० स्फेष्ठ ] 1 प्रचुर, प्रभूत, बहुत 2. बहुत से, कंपा देना, हिला देना, आ , 1. कंपाना, फड़फड़ाना, असंख्य 3. विस्तृत, आयत / हिलाना, डुलाना 2. आघात करना, प्रपीडित करना, स्फीत (भू० क. कृ.) [स्फाय+क्त, स्फी आदेशः ] छपछप करना आस्फालितं यत्प्रमदाकराप्रैः - रघु० 1. सूजा हुआ, बढ़ा हुआ-वेणी० 5/40 2. मोटा, 16 / 13, उत्तर० 5 / 9 3. आघात करना, अनुचित पीन, बड़ा, विस्तृत, विशाल 3. बहत से, असंख्य, लाभ उठाना-शि० 119 4. (धनुष को) टंकारना / अधिक, पर्याप्त, पुष्कल, प्रचुर 4. पवित्र--भामि० स्फाटिक (वि०) (स्त्री०-की)स्फिटिक+अण] विल्लौर 4 / 13. सफल, समृद्ध, फलता-फूलता 6. पैतृक रोग पत्थर का, कम बिल्लौर पत्थर / से ग्रस्त (स्फीतीकृत बड़ा करना, विस्तृत करना)। स्फाटित (भू० क. कु.) [स्फट्+णिच्+क्त] फाड़ा स्फीतिः [ स्फाय+क्तिन्. स्फी आदेशः ] 1. बृद्धि, बढ़ती, हुआ, फटा हुआ, फूला हुआ, विदीर्ण किया हुआ। विस्तार 2. प्राचुर्य, यथेष्टता, पुष्कलता- धनधान्यस्य स्फातिः (स्त्री०) [स्फाय +क्तिन्, यलोपः) 1. सूजन, च स्फीतिः सदा मे वर्ततां गृहे 3. समृद्धि / शोथ 2. वृद्धि, बढ़ती। स्फुट / (तुदा० पर०, म्वा० उभ० स्फुटति, स्फोटति - ते, स्फाय (म्वा० आ० स्फायते, स्फीत) 1. मोटा होना, स्फुटित) 1. फट जाना, अकस्मात् फूट जाना, टूट बड़ा होना, विस्तारयुक्त होना, विशाल होना 2. सूजना, जाना, अचानक विदीर्ण होना, दरार पड़ना, भंग होना बढ़ना, फूलमा / संघले तयोः कोपः पस्फाये शस्त्र- -~-हा हा ! देवि स्फुटति हृदयं संसते देहबन्ध:-उत्तर० लाघवम् . भट्टि. १४११०९--प्रेर. (स्फावयति-ते) 3138, स्फुटति न सा मनसिजविशिखेन गीत०७, बढ़ाना, विकसित करना, विस्तारयुक्त करना, बड़ा भट्टि० 14156. 1577 2. फूलना, खिलना, फूल करना--तावत्स्फावयता शक्तीर्वाणांश्चाकिरतां मुहुः / देना, कुसुमित होना-स्फुटति कुसुमनिकरे विरहि-भट्टि. 17143, 4 / 33, 12 / 76, 15 / 99 / हृदयदलनाय.... गीत० 5. पंच० 11136. काव्य. For Private and Personal Use Only