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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1124 ) करना, परि-, 1. चारों ओर घमना, छा जाना प्रसार 3. वीर्यपात 4. तर्पण, चढ़ावा। सम०-पात्रम् 2. इधर उधर घूमना, प्र-, 1. आगे जाना, बाहर 1. पानी छिड़कने का पात्र, जल-पात्र 2. डोलची, निकलना, आगे आना, प्रगति करना ---भट्टि० 14 / / बोका। 20 2. फैलाना, प्रचारित करना, (आलं० से भी) सेकिमम् [ सेक+डिम ] मली। रुधिरेण प्रसर्पता-महा०, आलर्क विषमिव सर्वतः | सेक्त (वि.) (स्त्री०-पत्र) [ सिच्-+ तृच् ] सींचने वाला प्रसप्तम-उत्तर० 1140, वि-, 1. जाना, प्रयाण (पुं०) 1. छिड़काव करने वाला 2. पति / करना, प्रगति करना-यः सुबाहुरिति राक्षसोऽपरस्तत्र सेक्त्रम् [ सिच-1-ष्ट्रन् ] डोलची, सींचने का पात्र / तत्र विससर्प मायया--- रघु०१२२९, 4152 2. इधर सेचक (वि०) (स्त्री०-चिका) [सिन्+ण्वल ] सींचने उधर उड़ना या घूमना 3. फैलाना मनोरागस्तीव्र | वाला, कः बादल। विषमिव विसर्पत्यविरतम् - मा० 2 / 1 4. साथ साथ | सेचनम् [ सिच् + ल्युट् ] सींचना, (वृक्षों को) पानी देना, बहना, नीचे गिरना--(बाष्पौषः) विसर्पन धाराभिल- __ -वृक्षसेचने द्वे धारयसि मे श० 1 2. स्राव, छिड़काव ठति धरणी जर्जरकणः -- उत्तर० 1126 5. लेकर 3. मन्द-मन्द रिसना, टपकना 4. डोलची। सम. चम्पत होना, बच निकलना 6. छा जाना 7. मड़ना, -घटः सींचने का बर्तन / घुमना 8. भिन्न भिन्न दिशाओं में जाना सम--, सेचनी [ सेचन-+डीप् ] डोलची। 1. हिलना-जुलना,-संसर्पत्या सपदि भवत: स्रोतसि | सेटुः [ सिट+उन् ] 1. तरबूज 2. एक प्रकार की ककड़ी। च्छाययासौ मेघ० 51 2. साथ साथ चलना, बहना | सेतिका (स्त्री०) अयोध्या का नाम / -मेघ० 29 / सेतुः [ सि+तुन् ] 1. मिट्टी का टीला, मेंड, किनारा, सृपाट: [सप्+काटन] एक प्रकार की माप / ऊँचा मार्ग, बांध--नलिनी क्षतसेतुबन्धनो जलसंघात सृपाटिका [सृपाट+की+कन्+टाप, ह्रस्वः] पक्षी की / इवासि विद्रुतः- कु० 4 / 6, रघु० 16 / 2 2. पुल - चोंच। -वैदेहि पश्यामलयाद्विभक्तं मत्सेतुना फेनिलमम्बसपाटी [सपाट+ङीष्] एक प्रकार की माप / राशिम रघु० 13 / 2, सैन्यबद्धद्विरदसेतुभिः--४।३८. सृप्रः [सृप+ऋन्] चन्द्रमा। 12170, कु० 7.53 3. सीमाचिह्न, मेंड-मनु० 8 / संभ, सम्भ (म्वा० पर० सर्भति, सृम्भति) चोट पहुँचाना, 245 4. संकुचित मार्ग, दर्रा, संकीर्ण गिरिपथ 5. हद, क्षतिग्रस्त करना, वध करना। सीमा 6. जंगला, परिसीमा, किसी प्रकार का अवरोध समर (वि०) (स्त्री०री) [स+मरच] गमन करने ---दूष्येः सर्ववर्णाश्च भिद्येरन् सर्वसेतवः ....सुभा० वाला, जाने वाला,-रः एक प्रकार का हरिण। 7. निश्चित नियम या विधि, सर्वसम्मत प्रथा 8. 'ओम' सृष्ट (भू० क० कृ०) [सज+वत] 1. रचित, उत्पादित पुनीत अक्षर--मन्त्राणां प्रणवः सेतूस्तत्सेतुः प्रणव 2. उडेला हुआ, उगला हुआ 3. ढीला छोड़ा हुआ। स्मतः / स्रवत्वनोंकृतं पूर्व परस्ताच्च विदीर्यते / 4. छोड़ा हमा, परित्यक्त 5. हटाया गया, दूर भेजा कालिका० / सम०--बन्धः 1. पुल का निर्माण, गया 6. निश्चय किया गया, निर्धारित 7. संयुक्त, नवारा की रचना वयोगते कि वनिताविलासो जले संबद्ध 8.. अधिक, प्रचुर, असंख्य 9. अलंकृत दे० गते कि खल सेतुबन्धः सुभा०, कु० 416 2. शैल 'सृज्'। शृंखला जो कारोमण्डल समुद्रतट की दक्षिणी सीमा सृष्टिः (स्त्री० [सृज+क्तिन्] 1. रचना, कोई भी रचित से लंका तक फैली हुई है (कहते हैं कि यही वह पुल वस्तु-कि मानसी सृष्टि: - श०४, या सृष्टिः स्रष्टुराधा है जिसे नलनील ने राम के लिए बनाया था) 3. कोई ---श०१११, सृष्टिराद्येव धातुः-मेघ० 82 2. संसार भी पूल या नवारा,- भेदिन (वि.) 1. बन्धनों को की रचना 3. प्रकृति, प्राकृतिक संपत्ति 4. ढीला तोड़ने वाला 2. रुकावटों को हटाने वाला (पुं०) छोड़ना, उद्गार 5. प्रदान करना, भेंट 6. गुणों की एक वृक्ष का नाम, दन्ती। विद्यमानता 7. पदार्थ का अभाव / सम०-गर्त (पुं०) | सेतुकः [ सेतु + क ] 1. समुद्रतट, नवारा, पुल 2. दर्रा / स्रष्टा, रचयिता / सेत्रम् [सिष्ट्रिन् ] बन्धन, हथकड़ी, बेड़ी। सृ (क्रया० पर० सृणाति] चोट पहुँचाना, क्षतिग्रस्त | सेदिवस् (वि.) (स्त्री०-सेदुषी) [ सद् --लिट् + क्वसु ] करना, मार डालना। बैठा हुआ। सेक् (भ्वा० आ० सेकते) जाना, हिलना-जुलना। सेन (वि.) [ सह इनेन ब० स०] प्रभु वाला, जिसका सेकः [सिच+घा] छिड़कना, (वक्षों को) पानी देना, कोई स्वामी हो, नेता हो। -सेकः सीकरिणा करेण विहितः कामम्--उत्तर० 3 / 16, सेना [ सि+न+टाप, सह इनेन प्रभुणा वा ] 1. फौज रघु० 1151, 8145, 16 / 30, 17 / 16 2. उद्गार, / -सेनापरिच्छदस्तस्य द्वयमेवार्थसाधनम् ---रघु०१।१९ For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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