________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1125 ) 2. संग्राम के देवता कार्तिकेय की मूर्त पत्नी सेना, / कारण्डवः सेवते-विक्रम० 2 / 23, पंच० 29 7. पहरा फौज--तु० देवसेना / सम-अग्नम् सेना का अग्रभाग, देना, रखवाली करना, रक्षा करना, आ-, उपभोग गः सेना का नायक या सेनापति, -अङ्गम् सेना का | करना यदायुरन्विष्टमृगैः किरातरासेव्यते भिन्नसंघटक भाग (यह गिनती में चार है--हस्त्यश्वरथ- शिखण्डिबहः कु० 1215, प्रवातमासेवमानां तिष्ठति पादातं सेनाङ्ग स्याच्चतुष्टयम्),-चरः 1. सैनिक --मालवि० 1 2. अभ्यास करना, अनुष्ठान करना 2. अनुचरवर्ग, निवेशः सेना का शिविर रघु० 5 / 3. सहारा लेना, उप--, 1. सेवा करना, पूजा करना, 49, नी (पं०) 1. सेना का नायक, सेनापति, सेना- सम्मान करना, मनु० 41133 2. अभ्यास करना, ध्यक्ष सेनानीनामहं स्कन्दः भग० 10 / 24, कु० अनुसरण करना, ध्यान देना, पीछा करना 3. * व्यस्त 2 / 51 2. कार्तिकेय का नाम अथैनमनेस्तनया शुशोच होना, उपभोग करना-भग०१५।९ 4. (किसी स्थान सेनान्यमालीढमिवासुरास्त्रः रघु० 2137, पतिः पर) नित्य जाना, बसना 5. मलना, मालिश करना, 1. सेना का नायक 2. कातिकेय का नाम परिच्छद नि--, पीछा करना, अनुसरण करना, संलग्न करना, (बि०) सेना से घिरा हआ (रघु० 1119 में 'सेना- अभ्यास करना---० 1127 2. उपभोग करना परिच्छदः' कभी कभी एक ही शब्द समझा गया और -- निषेवते श्रान्तमना विविक्तम्-श० 5 / 5, कु. 116 तदनुकूल ही अर्थ किया गया, परन्तु इनको अलग- 3. शारीरिक सुखोपभोग करना-यथा यथा नामरसेक्षणा अलग दो शब्द समझना ज्यादह अच्छा है), पृष्ठम् मया पूनः सरागं नितरां निषेविता -- भामि०२।१५५ सेना का पिछला भाग, भङ्गः सेना का भग्न हो जाना, 4. सहारा लेना, बसना, नित्य आना-जाना-कू० 5 / सर्वथा तितर-बितर होना, अव्यवस्थित रूप से इधर 76 5. उपयोग में लाना, काम में लाना--विषतां उधर भागना, मखम् 1. सेना का एक दस्ता या निषेवितमपक्रियया समपति सर्वमिति सत्यमदः-शि० भाग 2. विशेषतः वह दस्ता जिसमें तीन हाथी, तीन 9 / 68 6. सेवा में उपस्थित रहना, हाजरी देना रथ, नौ घोड़े और पन्द्रह पदाति हों 3. नगर फाटक 7. नज़दीक जाना, पहुँचना 8. भुगतना, अनुभव के बाहर बना मिट्टी का टीला, योगः सेना की करना, परि-, 1. सहारा लेना 2. उपभोग सुसज्जा, * रक्षः पहरेदार, सन्तरी / करना, लेना। सेफ: सि-फः ] पुरुष का लिंग तू० 'शेफ' / सेव दे० 'सेवन'। सेमन्ती [ सिम् --झि | कोष् ] सफेद गुलाब, सेवती।। सेवक (वि.) [सेव+ण्वुल ] 1. सेवा करने वाला, पूजा सेरः (पु.) एक विशेष माप, सेर का बट्टा, (लीलावती करने वाला, सम्मान करने वाला 2. व्यवसाय करने इसकी परिभाषा की है पादोनगद्यानकतुल्यटङ्कद्विसप्त वाला, अनुगामी 3. आश्रित, दास,-कः 1. टहलुआ, तुल्यैः कथितोऽत्र सेर:)। -आश्रित सेवया धनमिच्छद्धि : सेवकः पश्य किं कृतम / सेराहः (पुं०) दुग्ध के समान श्वेत रंग का घोड़ा। स्वातंत्र्यं यच्छरीरस्य मृडैस्तदपि हारितम्-हि० सेरु (वि०) / सि+रु ] बांधने वाला, कसने वाला। 2 / 20 2. भक्त, पूजक 3. सीने वाला, दर्जी सेल (भ्वा० पर० सेलति) जाना, हिलना-जुलना। 4. बोरा, थैला। सेव (भ्वा० आ० सेवते, सेवित, प्रेर० सेवयति ते. सेवधि (अव्य०) दे० 'शेव' के अन्तर्गत 'शेवधि' / इच्छा० सिविषते -नि, परि, वि आदि इकारांत / सवनम् / सब+ ल्युट् ] 1. सवा करना, सवा. हाजरा म उपसर्गों के पश्चात् सेव का स बदल कर प्रायः मुर्धन्य खड़े रहना, पूजा करना-पात्रीकृतात्मा गुरुसेवनेन ष हो जाता है) 1. सेवा करना, सेवा में उपस्थित --रघु० 18130 2. अनुगमन करना, अभ्यास करना, रहना, सम्मान करना, पूजा करना, आज्ञा मानना काम में लगाना मनु० 12152 3. उपयोग करना, ---प्रायो भत्यास्त्जन्ति प्रचलितविभवं स्वामिनं सेवमानाः उपभोग करना 4. शारीरिक सुखोपभोग करना मुद्रा०४।२१, या, ऐश्वर्यादनपेतमीश्वरमयं लोकोऽ ----यत्करोत्येकरात्रेण वृषली सेवनाद द्विजः--मनु०११॥ र्थतः सेवते.--११४ 2. अनुगमन करना, पीछा करना, 179 5. सौना, टाँका लगाना 6. बोरा, थेला / अनुसरण करना 3. उपयोग में लाना, उपभोग करना | सेवनी | सेवन+डीप्] 1. सुई 2. सीवन, संधिरेखा .....कि सेव्यते सुमनसां मनसापि गन्धः कस्तूरिकाजनन- 3. संधि या सीवन की भाँति शरीर के अंगों का शक्तिभृता मृगेण ---रस 4. शारीरिक सुखोपभोग संघान / करना-भामि० 11118 5. अनुराग करना, अनुष्ठान | सेवा [ सेव-|-अङ्-+टाप ] 1, परिचर्या, खिदमत, दासता, करना मनु० 2 / 1, कु० 5 / 38, रघु० 17149 टहल... सेवां लाघवकारिणी कृतधियः स्थाने श्ववत्ति 6. सहारा लेना, आश्रित होना, रहना, बार-बार विदु:-मद्रा० 3 / 14, हीनसेवा न कर्तव्या-हि. आना जाना, बसना,-तप्तं वारि विहाय तीरनलिनी 3 / 11 2. पूजा, श्रद्धांजलि, सम्मान 3. संलग्नता, For Private and Personal Use Only