________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1119 की पहले तीन सूचना देने वाला, संकेत करने वाला 3. विरुद्ध सुचित / सूत्र (चुरा० उभ० सूत्रयति-ते, सूत्रित) 1. बांधना, कसना करने वाला 4. रहस्य का पता लगाने वाला (पुं०) धागा डालना, नत्थी करना 2. सूत्र के रूप में या भेदिया, सूचना देने वाला। संक्षेप से रचना करना-----तथा च सूश्यते हि भगवता सूचिनी [सूचिन्+ङीप्] 1. सूई 2. रात / पिङ्गलेन, जैमिनिरपि इदमपि धर्मलक्षणमसूत्रयत्, सूची दे० 'सूचि'। आदि 3. योजना बनाना, क्रमबद्ध करना, ठीक पद्धति सूच्य (वि.) [सूच्+ण्यत्] सूचित किये जाने योग्य, में रखना --तन्निपुणं मया निसृष्टार्थदूतीकल्पः सूत्रजताया जाने योग्य / यितव्यः---मा० 1 4. शिथिल करना, ढीला करना / सूत् (अव्य०) अनुकरणात्मक ध्वनि (जैसे खर्राटे का सूत्रम्[सूत्र +अच्] 1. धागा, डोरी, रेखा, रस्सो-पुष्पमाशब्द)। लानुषङ्गेण सूत्रं शिरसि धार्यते-सुभा०, मणी वनसूत (भू० क० कृ०) [सू+क्त] 1. जन्मा हुआ, उत्पन्न, समुत्कीर्ण सूत्रस्येवास्ति मे गति:--रघु, 114 जन्म दिया हुआ, पैदा किया हुआ 2. प्रेरित, उद्गीर्ण, 2. रेशा, तन्तु-सुरांगनां कर्षति खण्डिताग्रात्सूत्र मृणा.- तः रथवान् सारथि ---सूत चोदयाश्वान् पुण्याश्रम लादिव राजहंसी-विक्रम० 1119, कु० 1140, 49 दर्शनेन तावदात्मानं पुनीमहे-श०१ 2. ब्राह्मणवर्ण 3. तार 4. धागों की आटी 5. यज्ञोपवीत, जनेऊ (जो की स्त्री में क्षत्रिय द्वारा उत्पन्न पुत्र (इसका कार्य रथ पहले तीन वर्ण धारण करते हैं)-शिखासूत्रवान् हांकने का होता है)-क्षत्रियाद्विप्रकन्यायां सूतो भवति ब्राह्मणः तर्क० 6. पुत्तलिका का तार या डोरी जातितः-मनु० 10111, सूतो वा सूतपुत्रो वा यो वा 7. संक्षिप्त विधि, गुर, सूत्र 8. परिभाषा परक संक्षिप्त को वा भवाम्यहम् -वेणी० // 33 3. बंदीजन 4. रथ वाक्य-परिभाषा-स्वल्पाक्षरमसन्दिग्धं सारवद्विश्वतो कार 5. सूर्य 6. व्यास के एक शिष्य का नाम तः, मुखम् / अस्तोभमनवा च सूत्र सूत्रविदो विदुः / / .-तम् पारा। सम०-तनयः कर्ण का विशेषण, 9. सूत्रग्रन्थ -उदा० मानवकल्प सूत्र, आपस्तंबसूत्र ---राज् (पुं०) पारा / 10. विधि, धर्म-सूत्र, आज्ञप्ति (विधि में)। सम. सूतकम् [सूत+कन्] 1. जन्म, पैदायश--मनु० 4 / 112 -आत्मन् (वि०) डोरी या धागे के स्वभाव वाला, 2. प्रसव (या गर्भपात) के कारण उत्पन्न अशौच (0) आत्मा,-आली माला, (जो कण्ठ में पहनी (जननाशौच),-कः,-कम् पारा / जाये, हार,—कण्ठ: 1. ब्राह्मण 2. कबूतर, पेंड़की सूतका [सूत+कन्+टाप्] सद्यः प्रसूता, वह स्त्री जिसने 3. खंजन पक्षी,--कर्मन् (नपुं०) बढ़ई का काम हाल ही में बच्चे को जन्म दिया हो, जच्चा,-मनु० -कारः, - कृत् (पुं०) सूत्र रचने वाला, ... कोणः, 5 / 85 / ---कोणकः डमरु, डुगडुगी, -गण्डिका एक प्रकार की सूता [सूत+टाप्] जच्चा स्त्री। यष्टिका जिसका उपयोग जुलाहे धागे लपेटने में करते सूतिः (स्त्री०) [सू+क्तिन] 1. जन्म, पैदायश, प्रसव, है,-चरणम् वैदिक विद्यामन्दिर जिनके द्वारा अनेक जनन, बच्चा पैदा करना 2. सन्तान, प्रजा 3. स्रोत, सूत्रग्रंथों का निर्माण हआ,–दरिद्र (वि.) कम धागों मूलस्रोत, आदिकारण तपसां सूतिरसूतिरापदाम् वाला वह कपड़ा जिसमें थोड़े धागे लगे हों, झीना ---कि० 2256 4. वह स्थान जहाँ सोमरस निकाला -अयं पटः सूत्रदरिद्रतां गतः--मृच्छ० २।९,-धरः, जाता है। सम-अशौचम् परिवार में बच्चे के ---धारः 1. 'डोरी पकड़ने वाला' रंगमच का प्रबंधक, जन्म के कारण अपवित्रता (जो दश दिन तक रहती वह प्रधान नट जो पात्रों को एकत्र कर उन्हें प्रशिक्षित है), -हम् जच्चा घर, प्रसूति-गृह,-मासः (सूती- करता है, तथा जो प्रस्तावना में प्रमुख कार्य करता मासः भी) प्रसव का महीना, गर्भाधान के पश्चात् / है-परिभाषा यह है-नाट्यस्य यदनुष्ठानं दसवाँ महीना। तत्सूत्रं स्यात् सबीजकम् / रङ्गदैवतपूजाकृत् सूत्रधार सूतिका [सूत+क+टाप, इत्वम्] वह स्त्री जिसके हाल इति स्मृतः / / 2. बढ़ई, दस्तकार 3. सूत्रकार 4. इन्द्र ही में बच्चा हुआ हो, जच्चा। सम० ...अगारम्, का विशेषण,-पिटकः बुद्धसंबन्धी त्रिपिटक का प्रथम -गृहम्,-हम-भवनम् जच्चाखाना, सौरी,-रोगः खंड-पुष्पः कपास का पौधा,-भिद् (पुं०) दर्जी प्रसव के पश्चात् होने वाला रोग, प्रसवजन्य रोग, -भूत् (पुं०) सूत्रधार,-यन्त्रम् 1. 'धागा यंत्र' ढरको -षष्ठी प्रसव के पश्चात् छठे दिन पूजी जाने वाली 2. जुलाहे की खड्डी, वीणा एक प्रकार की बांसूरी देवी विशेष का नाम / --वेष्टनम् जुलाहे की ढरकी। सूत्परम् [सु+उ+-+-अप] मदिरा का खींचना या | सूत्रणम् [ सूत्र+ल्युट् ] 1. मिला कर, नत्थी करना, क्रम चुआना। में रखना, क्रम बद्ध करना 2. सूत्रों के अनुसार क्रमसूत्या [सू+क्यप् +टाप, तुक्] दे० 'सुत्या' / पूर्वक रखना। For Private and Personal Use Only