________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1115 ) इन्द्र के स्वर्ग की वारांगना, (वम् ) विष्णु का आसन, / तरलद्रव्य,--धवलित (वि.) पलस्तर किया हुआ, ---...बोधः 1. सुख संवेदना 2. आसानी से प्राप्य ज्ञान, सफ़ेदी किया हुआ, ... निधिः 1. चाँद कपूर, ---- भवनम् ..-भागिन्, - भाज् (वि०) प्रसन्न,--श्रव,श्रुति (वि.) चूने लिपा-पुता मकान, - भित्तिः (स्त्री०) 1. पलस्तर कानों को मीठा, कर्णमधुर,-कि० १४१३,-सङ्गिन् की हुई दीवार 2. ईटों की दीवार 3. पांचवां मुहर्त सुख का साथी, स्पर्श (वि०) छ्ने में सुखकर / या दोपहरबाद,--भुज (पुं०) सुर, देव-भूतिः 1. चाँद सुत (भू० क. कृ.) [सु+क्त] 1. उड़ेला गया 2. निकाला 2. यज्ञ, आहुति-मयम् ईंट या पत्थरों का बना गया, या निचोड़ा गया (जैसे कि सोमरस) 3. जन्म मकान 2. राजकीय महल, वर्षः अमृतवर्षा,-वर्षिन् दिया गया, उत्पादित, पैदा किया गया,-तः 1. पुत्र (पुं०) ब्रह्मा का विशेषण,---वासः 1. चाँद 2. कपूर, 2. राजा। सम०-आत्मजः पोता, (-जा) पोती -वासा एक प्रकार की ककड़ी,-सित (वि.) 1. चूने ---उत्पत्तिः (स्त्री०) पुत्र का जन्म,-निविशेषम् जैसा सफेद 2. अमृत जैसा उज्ज्वल 3. अमृत से भरा (अव्य०) 'जो सीधे पुत्र से प्राप्त न हो' 'पुत्र की हुआ जगतीशरणे युक्तो हरिकान्तः सुधाशितः कि० भांति'-रघु० ५।६-वस्करा सात पुत्रों की माता, 15 / 45, (यहाँ पर इस शब्द का प्रथम और द्वितीय .-स्नेहः पितृप्रेम, वात्सल्य / अर्थ भी घटता है), सूतिः 1. चांद 2. यज्ञ 3. कमल सुतवत् (वि.) [सुत+मतुप्] पुत्रों वाला-पुं० पुत्र का -स्यन्दिन् (वि.) अमृतमय, अमृत बहाने वाला पिता। -भर्तृ० 2 / 6, वा तालुजिह्वा, कोमल तालु का सुता [ सुत+टाप् ] पुत्री,-तमर्थमिव भारत्या सुतया | लटकता हुआ मांसल भाग, - हरः गरुड़ का विशेषण, योक्तुमर्हसि कु०६।७९ / दे.' 'गरुड'। सुतिः [सु+क्तिन्] सोमरस का निकालना / सुधितिः (पुं०, स्त्री०) [सु+घा+क्तिच् कुल्हाड़ा। सुतिन् (वि०) (स्त्री०-नी) [सुत-+-इनि] बच्चे वाला | सुनारः [सुष्ठु नालमस्य-प्रा० ब०, लस्य रः] 1. कुतिया या बच्चों वाला, (पुं०) पिता / की औड़ी 2. साँप का अण्डा 3. चिड़िया, गोरया / सुतिनी [सुतिन् +डीप्] माता -- तेनाम्बा यदि सुतिनी सुनासो (शी) र सुष्ठी नासी (शी) रम् अग्रसैन्यं यस्य स्यावद वन्ध्या कीदृशी भवति–सुभा० / / --प्रा० ब०] इन्द्र का विशेषण। सुतुस् (वि०) अच्छी आवाज वाला। सुन्दः (पुं०) एक राक्षस, उपसंद का भाई,-यह दोनों सुत्या [सु+क्या+टाप, तुक] 1. सोमरस निकालना, या भाई निकुम्भ राक्षस के पुत्र थे (उन्हें ब्रह्मा से एक तैयार करना 2. यज्ञीय आहुति 3. प्रसव / वर मिला था कि वे जब तक स्वयं अपना वध न सुत्रामन् (पुं०) [सुष्ठु त्रायते -सु++मनिन्, पृषो०] करें, मृत्यु को प्राप्त नहीं होंगे। इस वरदान के इन्द्र का नाम / कारण वे बड़ा अत्याचार करने लगे। अन्त में इन्द्र सुत्वन् (पुं०) [सु+क्वनिप्, तुक्] 1. सोमरस को उपहार को तिलोत्तमा नाम की अप्सरा भेजनी पड़ी-जिसके में देने वाला या पीने वाला 2. वह ब्रह्मचारी जिसने लिए झगड़ा करते हुए दोनों ने एक दूसरे को मार (यज्ञ के आरंभ में या पूर्णाहुति पर) भाचमन और डाला)। मार्जन का अनुष्ठान कर लिया है। सुन्दर (वि०) ( स्त्री०-री) सुन्द+अरः] 1. प्रिय, सुवि (अव्य.) [सुण्ठ दीव्यति सु+दिव+डि] मनोज, मनोहर, आकर्षक 2. यथार्थ, कामदेव मास के शुक्लपक्ष में --तु० 'वदि'। का नाम,-री मनोरम स्त्री, एका भार्या सुन्दरी वा सुधन्वाचार्यः (पुं०) पतितवैश्य का सवर्णा स्त्री में उत्पन्न दरी वा-भर्तृ० 2 / 115, विद्याधरसुन्दरीणाम् ---कु० पुत्र-तु० मनु० 10123 / 17 / सुधा [सुष्ठ धीयते, पीयते घे (धा)+क+टाप्] 1. देवों सुप्त (भू० क० कृ०) स्वप्+क्त] 1. साया हुआ, सोता का पेय, पीयूष, अमृत निपीय यस्य क्षितिरक्षिणः | हुआ, निद्राग्रस्त-नहि सूप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति कथां तथाद्रियन्ते न बुधाः सुधामपि-० 11 मुखे मृगाः-हि० प्र० 36 2. लकवा मारा हुआ, 2. फूलों का रस या मधु 3. रस 4. जल 5. गंगा का स्तम्भित, सुन्न, बेहोश दे० स्वप्,-प्तम् निद्रा, नाम 6. सफ़ेदी, पलस्तर, चना-कैलासगिरिणेव गहरी निद्रा। सम-जन: 1. सोता हुआ व्यक्ति सुधासितेन प्राकारेण परिगता-का०, रघु० 16.18 2. मध्यरात्रि, ज्ञानम् स्वप्न, - त्वच (वि०) अर्धांग7. ईंट 8. बिजली 9. सेंहड / सम० - -अंशुः 1. चाँद ग्रस्त, लकवा मारा हुआ। 2. कपूर, रत्नम् मोती,-अङ्गः,-आकारः, आधारः सुप्तिः (स्त्री.) [स्वप्-+-क्तिन] 1. निद्रा, सुस्ती, ऊंघ चाँद, -जीविन् (पुं०) पलस्तर करने वाला, ईंट की 2. बेहोशी, लकवा, स्तम्भ, जाडय 3. विश्वास चिनाई करने वाला, राज, -द्रवः अमृत के समान / भरोसा। For Private and Personal Use Only