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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डालना, नष्ट करना ... सुग्रीवान्तकमासेदुः साधयिष्याम 22. साधना, तपस्या 23 मोक्ष प्राप्त करना 24. औषधि इत्यरिम्-भट्टि० 7 / 31 7. समझना, जानना निर्माण, भेषज, जड़ी-बूटी 25. (विधि में) ऋण आदि 8. चिकित्सा करना,स्वस्थ करना 9. जाना, अलग होना, की प्राप्ति के लिए आदेश, जर्माना करना 26. शरीर अपने रास्ते लगना, -- साधयाम्यहमविघ्नमस्तु ते-रघु० का कोई अवयव 27 शिश्न, लिंग 28. औड़ी, ऐन 11191, श०१७-प्रायेण ष्यन्तकः साधिर्गमेरर्थे प्रय- 29. दौलत 30 मंत्री 31 लाभ, फ़ायदा 32. शव की ज्यते-सा० द० 3 / 40 10. (ऋण की भांति) उगाहना दाह क्रिया 33. मृतकसंस्कार 34 धातुओं का मारण 11. पूर्ण कर देना, प्र-(प्रेर०) 1. आगे बढ़ना, या जारण। सम-क्रिया समापिका क्रिया,-पत्रम् उन्नति करना 2. निष्पन्न करना, कार्यान्वित करना लिखित प्रमाण / 3. उपलब्ध करना, प्राप्त करना 4. पराभूत करना, | साधनता, स्वम् [साधन+तल+टाप, त्व वा उपायवत्ता, दबाना 5. वस्त्र धारण करना, सजाना, सम् / उद्देश्यपूर्ति का जरिया होना–प्रतिकूलतामुपगते हि 1. सफल होना (आ०) 2. निष्पन्न करना, पूरा करना विधी विफलत्वमेति बहुसाधनता-शि० 9 / 6 / -मनु० 21100 3. सुरक्षित करना, प्राप्त करना साधना [सिध+णि+युच्+टाप, साधादेशः] 1. निष्प 4. बस जाना 5. पुनः प्राप्त करना मनु० 850 नता, पूरा करना, पूर्ति 2. पूजा, अर्चा 3. संराधन, 6. तय किया जाना या चुकता किया जाना-मनु० प्रसादन / 8 / 213 7. नष्ट करना, मार डालना 8. बुझाना। साधन्तः [साध्+झच, अन्तादेशः] भिक्षक, भिखारी। साधक (वि.) (स्त्री०--धका-धिका) [साध+ण्वल, | साधर्म्यम् [सधर्म+ष्य] 1. समानता, कर्तव्य की एकता, सिध+णिच् + ण्वुल साघादेशः वा] 1. संपन्न करने समानधर्मता-पञ्चमं लोकपालानामूचुः साधर्म्ययोगतः वाला, पूरा करने वाला, कार्यान्वित करने वाला, पूर्ण - रघु०१७७८ 2. प्रकृति की समानता, समान करने वाला 2. दक्ष, प्रभावशाली-कु० 3 / 12 चरित्र, समता, गुणों की समानता-साधर्म्यमुपमा भेदे 3. कुशल, निपुण 4. जादू से कार्य में परिणत करने - काव्य० 10, भग० 14 / 2, भाषा० 12 / वाला, ऐन्द्रजालिक 5. सहायक, मददगार। साधारण (वि.) (स्त्री०-णा,-णी) [सह धारणया-ब. साधन (वि.) (स्त्री०-नी) [सिध् + णिच् + ल्युट, साधा स० सधारण+अण्] 1. (दो या दो से अधिक अंकों में) देशः] निष्पन्न करने वाला, कार्यान्वित करने वाला, समान, संयुक्त,---साधारणोऽयं प्रणय:-श०३, साधा-नम् 1. निष्पन्न करना, कार्यान्वित करना, अनुष्ठान रणो भूषणभूष्यभावः-कु० ११४३,रघु० 16.5, विक्रम करना जैसा कि 'स्वार्थसाधनम्' में 2. पूरा करना, 2 / 16 2. मामूली, सामान्य -- साधारणी न खलु बाधा सम्पन्नता किसी पदार्थ की पूर्ण अवाप्ति ..प्रजार्थ- भवस्य-अश्व० 10,3. सार्वजनिक, विश्वव्यापी 4.मिसाधने तो हि पर्यायोद्यतकार्मुको रघु० 4 / 16 श्रित, मिला-जुला समान-उत्कण्ठासाधारणं परितोष3. उपाय, तरकीब, किसी कार्य को सम्पन्न करने की मनुभवामि-श० 4, वीज्यते स हि संसुप्त: श्वाससाषातदबीर-शरीरमाद्यं खल धर्मसाधनम्,-कु० 5 / 33, रणानिल:-कु० 2 / 42 5. तुल्य, सदृश, समान 52, रघु० 119, 3 / 12, 4136, 62 4. उपकरण, 6. (तर्क० में) एक से अधिक निदर्शनों से संबड, अभिकर्ता, कुठारः छिदिक्रियासाधनम् 5. निमित्त हेत्वाभास के तीन प्रभागों में से एक, अनैकान्तिक, कारण, स्रोत, सामान्य हेतु 6. करण कारक 7. उप -णम 1. सामान्य या सार्वजनिक नियम, सार्वजनिक करण, औजार 8. यन्त्र, सामग्री 9. मूल पदार्थ, संघ विधि या नियम 2. जातिगत या निविशेष गण / टक तत्त्व 10 सेना या उसका अंग-मनु० 5 / 10 सम० ...धनम् संयुक्त संपत्ति, स्त्री सामान्य स्त्री, 11. सहायता, मदद, सहारा 12. प्रमाण, सिद्ध करना, वेश्या, रंडी। प्रदर्शन करना 13. अनुमान की प्रकिया में हेतु, कारण, साधारणता, स्वम् [ साधारण तिल+टाप, स्व वा] जो हमें किसी परिणाम पर पहुंचाये--साध्ये निश्चित- 1. सामदायिकता, विश्वव्यापकता 2. संयुक्त हित / मन्वयेन घटितं बिभ्रत् सपक्षे स्थिति, व्यावृत्तं च विपक्षतो साधारण्यम् | साधारण+ष्यञ ] समानता-दे० साषाभवति यत्तत्साधनं सिद्धये - मुद्रा० 5.10 14. दमन रणता। करना, जीत देना 15. जादूमंत्र से वश में करना साधिका [ सिघ+णिच्+ण्वल+टाप, इत्वम्, साधा16. जादू या मंत्र से किसी कार्य को निष्पन्न करना | देश: ] 1. कुशल या निपुण स्त्री 2. गहरी नींद।। 17. स्वस्थ करना, चिकित्सा करना 18. वध करना, साषित (भू. क. कृ.) [साध+क्त ] 1. निष्पन्न, विनाश करना - फलं च तस्य प्रतिसाधनम-कि० 14 // कार्यान्वित, अवाप्त 2. पूरा किया हुआ, समाप्त 17 19. संराधन, प्रसादन, तुष्टीकरण 20, बाहर 3. सिद्ध, प्रदर्शित 4. प्राप्त, उपलब्ध 5. उन्मुक्त जाना, कूच करना, प्रस्थान 21. अनुगमन, पीछे चलना। 6. वश में किया हुआ, दमन किया हुआ 7. पूरा किया For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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