________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्था साचिव्यम् [सचिव+व्य] 1. मंत्रालय, मंत्रित्व 2. मंत्रि- / सात्वत् (पुं०) [सातयति सुखयति-सात् +विप्, सात् मंडल, प्रशासन 3. मंत्री। परमेश्वरः, स उपास्यत्वेन अस्ति अस्य-सात्+मतुप, साजास्यम् [सजाति+ध्य] 1. जाति की समानता, वर्ग, | मस्य वः 1 (कृष्ण आदि का) अनुयायी, उपासक / श्रेणी या प्रकार की समानता 2. जाति का समुदाय, सात्वतः (पुं०) 1. विष्णु का नाम 2. बलराम का नाम समजातीयता। 3. जाति से बहिष्कृत वैश्य का पुत्र, ताः (पुं०, ब. साजनः [सह अञ्जनेन ब० स०] छिपकली। व०) एक जाति का नाम--शि०१६।१४।। साद (चुरा० उभ० साटयति-ते] बतलाना, प्रकट करना। सात्वती (स्त्री०) 1. चार प्रकार की नाटयशैलियों में से साटोप (वि.) [सह आटोपेन–२० स०] 1. घमंड एक-दे. सा.द. 416 2. शिशुपाल की माता में भरा या फूला हुआ, अहङ्कारी 2. गौरवशाली, का नाम-शि० 2 / 11 / / शानदार 3. उभरा हुआ, बढ़ा हुआ (जैसे पानी से)। सावः [ सद्+घञ्] 1. बैठना, बसना 2. क्लान्ति, -पंच०१,-पम् घमंड के साथ, हेकड़ी के साथ, थकावट उदितोरुसादमतिवेपथुमत् - शि० 977 अकड़ कर, इठला कर, रौब से। 3. क्षीणता, दुबला-पतलापन, कृशता-शरीरसादा. सात (अव्य.) तद्धित का एक प्रत्यय जो किसी शब्द के दसमग्रभूषणा रघु० 32 4. ध्वंस, क्षय, लोप, साथ इसलिए जोड़ा जाता है कि शब्द से अभिहित विनाश, विश्रांति-गतिविभ्रमसादनीरवा-रघु. वस्तु के साथ किसी वस्तु का पूर्ण परिवर्तन हो जाता 8 / 56, नलोद. 3 / 24 5. पीडा, संताप 6. स्वच्छता, है, या वह वस्तु पूर्ण रूप से तदधीन या उसके नियं पवित्रता। श्रण में हो जाती है,-भस्मसात् भू बिल्कुल राख बन | सावनम् [ सद् --णिच् + ल्युट ] 1. थकाना, क्लान्त करना जाना, अग्निसात् कृत्वा मालवि०५, भस्मसात्कृत- 2. नष्ट करना 3. थकावट, क्लान्ति 4.घर, निवासवतः पितृद्विषः पात्रसाच्च वसुधां ससागराम् - रघु० स्थान / 11386, विभज्य मेरुन यदर्थिसास्कृतः .. ने० 16, | साविः[सद+इण ] 1. सारथि, रथवान 2. योद्धा / इसी प्रकार ब्राह्मणसात्, राजसात् आदि०-शि० सादिन् (वि.) [सद्+णिचु-णिनि ] 1. बैठा हुआ 14136 / 2. थकाने वाला, नष्ट करने वाला,-पुं० 1. घुड़सवार सातत्यम् [संतत+व्या] निरन्तरता, स्थायित्व / 2. हाथी पर सवार या रथ में बैठा हुआ। सातिः (स्त्री०) [सन्+क्तिन्] 1. भेंट, उपहार, दान सादृश्यम् [ सदृश+ध्या ] 1. समानता, मिलता-जुलता 2.प्राप्त करना, हासिल करना 3. सहायता 4. विनाश पन, समरूपता सति पुनर्नामधेयसादृश्यानि - श०.७, 5. अन्त, उपसंहार 6. तेज या तीव्र वेदना / तवाक्षिसादृश्यमिव प्रयुञ्जते--कु. 5 / 35, 7 / 16, सातीनः, सातीनकः [सतीन+अण, सातीन+कन्] मटर। रघु० 1140, 15 / 67 2. प्रतिलिपि, आलोकचित्र, सात्विक (वि.) (स्त्री०-को)[सत्त्व+ठ ] 1. वास्त- प्रतिमा-मत्सादृश्यं विरहतनु वा भावगम्यं लिखन्ती विक, आवश्यक 2. सत्य, असली, प्राकृतिक -- मेघ० 84 / / 3. ईमानदार, निष्कपट, अच्छा 4. सद्गुणी, मिलनसार | साधन्त (वि.) [सह आद्यन्ताम्याम् -ब. स.] पूरा, 5. बलशाली 6. सत्वगुण से युक्त 7. सत्त्वगुण से समस्त। संबद्ध या उत्पन्न-ये च सात्त्विका भावा:-भग०७१०, | सायस्क (वि.) (स्त्री०-स्को) [ सद्यस्क+अण् ] शीघ्र 14 / 16 8. आन्तरिक भावनाओं से उत्पन्न (जैसे होने वाला, जिसमें विलंब न हो। प्रेम आदि से) आन्तरिक - तद्भरिसात्त्विकविकारम- | सा i (स्वा० पर० सानोति) 1. पूरा करना, समाप्त पास्तचर्यमाचार्यकं विजयि मान्मथमाविरासीत् मा० करना, संपन्न करना 2. जीतना। 1126, कः (आन्तरिक) भावनाओं या संवेगों का ii (दिवा० पर० साध्यति) पूरा किया जाना, निष्पन्न बाह्य संकेत, काव्य में भावों का एक प्रकार (भाव किया जाना, प्रेर० 1. निष्पन्न करना, कार्यान्वित आठ हैं: स्तम्भः स्वेदोऽथ रोमाञ्चः स्वरभङ्गोऽथ करना, घटित करना, सम्पन्न करना---अपि साधय वेपथुः / वैवर्ण्यमथुप्रलय इत्यष्टो सात्त्विकाः स्मृताः / / साधयेप्सितं - नै० 2162, कु० 2 / 33, रघु० 5 / 25 -सा०६० 116 2. ब्राह्मण 3. ब्रह्मा। 2. पूरा करना, समाप्त करना, उपसंहार करना सात्यकिः [सत्यक+इ ] यदुवंशी योद्धा जो कृष्ण का 3. उपलब्ध करना, प्राप्त करना, पाना-रघु. सारथि था तथा जिसने महाभारत के युद्ध में पांडवों 17138, मनु० 675 4. साबित करना, सिद्ध करना का पक्ष लिया। 5. दमन करना, पराजित करना, जीतना (शत्रु आदि तात्यवतः, सात्यवतेयः [ सत्यवती+अण्, उक् वा] व्यास का), वश में करना-न हि साम्ना न दानेन न भेदेन मुनि का मातुपरक नाम / च पाण्डवाः, शक्याः साधयितुम् --महा० 6. मार For Private and Personal Use Only