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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साकेतकः [साकेत+कन] अयोध्या का निवासी। साडण्यम्,-क्या जनक के भ्राता कुशध्वज की राजधानी साक्तुकम् [सक्तूनां समाहार ... सक्तु+ठन] भुने हुए का नाम / अन्न या सत्तू का ढेर, क: जौ। सारेतिक (वि.) (स्त्री० की) [संकेत+ठक] 1. प्रतीसाक्षात (अव्य०) [सह+अक्ष+आति] 1. के सामने, कात्मक, संकेतपरक 2. व्यवहार-सिद्ध, रीत्यनुसार। आंखों के सामने, दृश्य रूप से, हूबहू, स्पष्ट रूप से साङ्केपिक (वि.) (स्त्री०-को) [संक्षेप+ठक्] संक्षिप्त, 2. व्यक्तिशः, वस्तुतः, मूर्तरूप में साक्षात्प्रियामुप- संकुचित, छोटा किया हुआ / गतामपहाय पूर्वम् श० 6 / 16, 116 3. प्रत्यक्ष, / साम्य (वि०) सिया+अण्] 1. संख्या संबंधी 2. आकलन (समास में प्रायः शरीरी'-साक्षाद्यमः, या खुला,। कर्ता, गणक 3. विवेचक 4. विचारक, तार्किक, तर्क सीधा-तत्साक्षात्प्रतिषेधः कोपाय मा० 1111 कर्ता--त्वं गतिः सर्वसाङ्ख्यानां योगिनां त्वं परायणम् (साक्षात्कृ 'अपनी आंखों से देखना, स्वयं जान लेना)। - महा०,- ख्यः-ख्यम् छ: हिन्दू दर्शनों में से एक सम-करणम् 1. दृष्टिगोचर करना 2. इन्द्रियग्राह ! जिसके प्रणेता कपिल मुनि माने जाते हैं (इस शास्त्र बनाना 3. अन्तर्ज्ञानमूलक प्रत्यक्षज्ञान,-कारः प्रत्यक्ष का नाम 'सांख्य दर्शन' इस लिए पड़ा कि इसमें ज्ञान, समझ, जानकारी। पच्चीस तत्त्व या सत्य सिद्धांतों का वर्णन किया गया साक्षिन (वि.) (स्त्री०-णी) [सह अक्षि अस्य, साक्षाद् है, इस शास्त्र का मुख्य उद्देश्य पच्चीसवें तत्व अर्यात द्रष्टा साक्षी वा सह+अक्ष+इनि] 1. देखने वाला, पुरुष या आत्मा को अन्य चौबीस तत्त्वों के शुद्ध अवलोकन करने वाला, सबूत देने वाला, पुं० गवाह, ज्ञान द्वारा तथा आत्मा की उनसे समुचित भिन्नता अवेक्षक, चश्मदीद गवाह, आंखों देखी बात बताने दर्शाकर, उसे सांसारिक बंधनों से मुक्त कराना है। वाला, फलं तपः साक्षिषु दृष्टमेष्वपि कु० 5 / 60 / सांख्य शास्त्र समस्त विश्व को निर्जीव प्रधान या साक्ष्यम् [साक्षिन व्यञ] 1. गवाही, शहादत -तमेव प्रकृति का विकास मानता है, जब कि पुरुष (आत्मा) चाधाय विवाहसाक्ष्ये रघु० 7 / 20 2. अभिप्रमाण, सर्वथा निलिप्त एक निष्क्रिय दर्शक है / संश्लेषणात्मक सत्यापन / होने के कारण वेदान्त से इसकी समानता, तथा साक्षेप (वि.) [सह आक्षेपेण ब० स०] जिसमें आक्षेप विश्लेपणपरक न्याय और वैशेपिक से भिन्नता कही या व्यंग्य भरा हो, दुर्वचनयुक्त / जाती है। परन्तु वेदान्त से भिन्नताकी सब से बड़ी साखेय (वि.) (स्त्री० यी) [सखि + ढा] 1. मित्र- बात यह है कि सांख्य शास्त्र दो (द्वैत) सिद्धान्तों संबन्धी 2. मैत्रीपूर्ण, सौहार्दपूर्ण। का समर्थक है जिनको वेदान्त नहीं मानता। इसके साख्यम् सखि+प्या ] मित्रता, सौहार्द / / अतिरिक्त सांख्यशास्त्र परमात्मा को विश्व के स्रष्टा सागरः [सगरेण निर्वृत्तः--अण् | 1. समुद्र, उदधि 'सागरः / और नियन्त्रक के रूप में नहीं मानता, जिनकी कि सागरोपमः (आलं० से भी) दयासागर, विद्यासागर वेदान्त पुष्टि करता है), ख्यः सांख्य शास्त्र का आदि, तु. सगर 2. चार या सात की संख्या 3. एक अनुयायी भग० 35, 511 / सम० प्रसावा, प्रकार का हरिण। सम० -- अनुकूल (वि०) समुद्र -- मुख्यः शिव के विशेषण / के किनारे स्थित, -- अन्त (वि०) समुद्र की सीमा से साङ्ग (वि०) [सह अङ्ग:--ब० स०] 1. अंगों सहित यक्त, जिसके सब ओर समुद्र छाया है, अम्बरा, 2. प्रत्येक भाग से पूर्ण 3. सहायक अंगों से यक्त। नैमिः मेखला पृथ्वी, आलयः वरुण का नाम, साइतिक (वि.) (स्त्री०-की) [सङ्गति+ठक] समाज -उत्थम् समुद्रीनमक,-गा गंगा,-गामिनी नदी। या संघ से संबंध रखने वाला, साहचर्यशील. .... साग्नि (वि.) [सह अग्निना ब० स०] 1. अग्नि सहित दर्शक, अतिथि, नवागंतुक / 2. यज्ञाग्नि रखने वाला। / साङ्गमः [सङ्गम-+अण्] मिलाप, मिलन तु. संगम् / साग्निक (वि.) [सह अग्निना ब० स० कप्] 1. यज्ञाग्नि सामामिक (वि.) (स्त्री०-की) [संग्राम+ठो यह रखने वाला 2. अग्नि से संबद्ध,-कः यज्ञाग्नि रखने संबंधी, योद्धा, जंगजू, सैनिक, सामरिक-उत्तर० वाला गृहस्थ / ५।१२,-कः सेनाध्यक्ष, सेनापति। * सान (वि.) [सह अग्रेण ---ब० स०] 1. समस्त 2. अति- साचि (अव्य०) [सच् + इण] टेढ़ेपन से, तिरछेपन से, रिक्त समेत, अपेक्षाकृत अधिक रखने वाला। तिर्यक, वक्रगति से, टेढ़े-टेढ़े-साचि लोचनयुगं नमयन्ती साइय॑म् सङ्कर+व्या मिश्रण, सम्मिश्रण, गड्डमड्ड ..- कि० 9 / 44, 1057, (साची मोड़ना, एक ओर किया हुआ या मिलाया हुआ घोल / झकाना, टेढ़ा करना --निनाय साचीकृतचारुवक्त्रः साङ्कल (वि०) (स्त्री० लो) [सङ्कल+ष्य ] जोड यार पु० 6 / 14, कु. 3 8, साचीकरोत्याननम् संकलन से उत्पन्न / - बालवि० 4.14 // For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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