SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1096 ) हुआ, पुनः प्राप्त 8. दण्डित 9. दापित 10. (दंड या ) योग्य, पूरा किये जाने योग्य 5. अनुमेय, उपसंहार्य, जुर्माना) दिया हुआ। -अनुमानं तदुक्तं यत्साध्यसाधनयोर्वचः-काव्य० 10, साधिमन् (पुं०) [ साधु-+इमनिच् ] भद्रता, श्रेष्ठता, | जीते जाने के योग्य, वश्य, जेय-कु० 3 / 15 उत्तमता। 7. जिसकी चिकित्सा हो सके 8. वध किये जाने योग्य, साधिष्ठ (वि.) { साधु या बाढ़ की उत्तमावस्था --अति- विनष्ट किये जाने योग्य, ध्यः दिव्य प्राणियों शयेन साघु:-इष्ठन् ] 1. श्रेष्ठ, सर्वोत्तम, उचिततम का एक विशेष वर्ग ---तु० मनु० 1122, 3 // 195 2. अत्यंत मजबूत, कठोर या दृढ़। 2. देवता 3. एक मन्त्र का नाम,---ध्यम् 1. निष्पन्नता, साषीयस् (वि.) [साघु+ईयसुन्, उकारलोपः, साघु या पूर्णता 2. वह बात जो अभी सिद्ध की जाती है, बाढ़ की मध्यमावस्था ] 1. अधिक अच्छा, अधिक श्रेष्ठ प्रमाणित की जाने वाली वस्तु 3. (तर्क० में) प्रस्ताव -~~-भामि० 12882. कठोरतर, अपेक्षाकृत मजबूत। का विधेय, अनुमानप्रक्रिया की बड़ी बात-साध्ये साधु (वि.) (स्त्री०-धु,-ध्वी) [ साध् + उन, मध्य० निश्चितमन्वयेन घटितम् .....', यत्साध्यं स्वयमेव अ० साधीयस, उत० अ० साधिष्ठ ] 1. उत्तम, श्रेष्ठ, तुल्यमभयोः पक्षे विरुद्धं च यत्--मुद्रा० 5 / 10 पूर्ण - यद्यत्साघु न चित्रे स्याक्रियते तत्तदन्यथा - श० -- अभावः मुख्य शर्त या बंधन की कमी,-सिद्धिः 6 / 13, आपरितोषाद्विदुषां न साधु मन्ये प्रयोगविज्ञा- (स्त्री०) 1. निष्पन्नता 2. उपसंहार / नम् -22 2. योग्य, उचित, सही जैसा कि 'साधु- साध्यता [ साध्य+तल+टाप् ] 1. संभावना, शक्यता बृत्त, साघुसमाचार' में 3. गुणी, पुण्यात्मा, सम्मान- 2. (रोग का) अच्छा किये जाने की स्थिति में होना। नीय, पवित्रात्मा 4. (क) कृपाल, दयाल --रघु० सम-अवच्छेवकम् जिस रूप से किसी के गुणों का 2 / 28, पंच. श२४७ (ख) शिष्टाचारी (अधि० के पता लगे, लक्षण की जानकारी हो, या मुख्य शर्त का साथ) मातरि साधु:-सिद्धा. 5. शुद्ध, पवित्र, गौरव पता चले। यक्त या श्रेण्य (जैसे कि भाषा) 6. सुखकर, रुचिकर, | साम्वसम् [साधु+अस्+अच् ] 1. डर, आतंक, भय, सुहावना-अतोऽर्हसि क्षन्तुमसाधु साधु वा-कि० 114 त्रास, कुसुमस्तेयसाध्वसात्-कु० 2135, 351 7. भद्र, कुलीन, सत्कुलोद्भव,-धुः 1. भद्रपुरुष, 2. जाडय 3. विक्षोभ, अस्तव्यस्तता। पुण्यात्मा-रघु० 13155, 2 / 62, मेघ० 80 | साध्वी [ साधु+जीप्] 1. सती स्त्री 2. पतिव्रता स्त्री 2. ऋषि, मुनि, संत-साघोः प्रकोपितस्यापि मनो 3. एक प्रकार की जड़।। नायाति विक्रियाम ...सुभा03. सौदागर -कि०२। | सानन्द (वि.) [सह आनन्देन .ब० स०] प्रसन्न, खुश। 73 4. जनसाधु 5. सूदखोर, महाजन (अव्य०) सानसिः [सन्+इण, असुक] सोना, सुवर्ण / 1. अच्छा, बहुत अच्छा, शाबास, बढ़िया - साधु | सानिका, सानेयिका, सानेयी [सन्++ण्वुल--टाप, गीतम् --श० 1, साधु रे पिंगलवानर साधु -मालवि० / इत्वम् ; सानेयी+कन्+टाप्, ह्रस्वः; सानेय-डी] 4 2. काफी, बस। सम० -धी (वि.) अच्छे पीपनी, बाँसुरी। स्वभाव का,—वादः 'शाबास' की ध्वनि, 'धन्य' की | सानु (पुं०, नपुं०) [सन्-+-आण् ] 1. चोटी, शिखर, ध्वनि-शि० १८१५५,-वृत्त (वि०) 1. अच्छे शैल-शिला-सानूनि गन्धः सुरभीकरोति-कु० 119, चालचलन का, खरा, सद्गुणी-प्रायेण साधुवृत्तानाम मेघ० 2, कु. 116, कि० 5 / 36 2. पहाड़ की चोटी स्थायिन्यो विपत्तय:-भर्त० 2 / 85, (यहाँ दूसरा पर समतल भूमि, पठार 3. अंखुवा, अंकूर 4. वन, अर्थ भी अभिप्रेत है) 2. खूब गोल-गोल किया हुआ जंगल 5. सड़क 6. सतह, बिन्दु, किनारा 7. चट्टान (त्तः) सद्गुणी (सद्गुणी (तम्) अच्छा आचरण, 8. हवा का झोंका 9. विद्वान् पुरुष 10. सूर्य / सद्गुण, पावनता, सचाई, ईमानदारी, इसी प्रकार सानुमत् (पुं० [सानु+मतुप् ] पहाड़, तो एक अप्सरा 'साधु वृत्ति / का नाम-- श०६ / साधृतम् [ सह आघृतेन ---ब० स० ] 1. हाट, दुकान | सानुक्रोश (वि.) [अनुक्रोशेन सह-ब० स०] दयालु, 2. छतरी 3. मोरों का झुंड / करुणाकर / पाध्य (वि.) [ साध् + णिच् +यत् ] 1. कार्यान्वित | सानुनय (वि.) [ सह अनुनयेन-ब० स०] सभ्य, होने योग्य, निष्पन्न होने योग्य, किया जाने योग्य | शिष्ट / - ---साध्ये सिद्धिविधीयताम् हि०२।१५ 2. जो हो | सानुबन्ध (वि.) [सह अनुबन्धेन-ब० स०] क्रमबद्ध, सके, जो किया जा सके, प्राप्य 3. सिद्ध किये जाने / अविच्छिन्न / योग्य, प्रदर्शनीय -आप्तवागनुमानाभ्यां साध्यं त्वां | सानुराग (वि.) [स नरागेण-ब० स०] आसक्त, प्रति का कथा -रघु. 10 / 28 4. स्थापित करने | अनुरक्त, प्रेम में मुग्ध / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy